किसान आंदोलन : हरियाणा के किसान संगठनों की सक्रियता से असमंजस की स्थिति, बनाई जा रही रणनीति
किसान आंदोलन के बीच जब सरकार से वार्ता सकरात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है।
फोटो-8, 12 व 22:
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :
किसान आंदोलन के बीच जब सरकार से वार्ता सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है, तब हरियाणा के किसान संगठनों की सक्रियता ने असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। आंदोलन को एक माह से ज्यादा समय बीत चुका है। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से रखी गई चार मांगों में से दो पर सहमति बन चुकी है और शेष दो पर 4 जनवरी को बातचीत होनी है। ऐसे में हरियाणा के किसान संगठनों की ओर से 5 जनवरी को टीकरी बॉर्डर पर मीटिग बुलाने के ऐलान को नया पेंच माना जा रहा है। इससे आगे की भी इन संगठनों द्वारा रणनीति बनाई जा रही है। यदि 4 को हल निकल आता है तो उसके बाद की गतिविधियां क्या रहेंगी, इसको लेकर भारतीय किसान मजदूर नौजवान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र आर्य का कहना है कि अगर समाधान हो गया तो 5 जनवरी को जो मीटिग होगी, उसमें फैसले का स्वागत किया जाएगा। आंदोलन के बीच बारिश के साथ ही बिगड़ी रही व्यवस्था :
शनिवार सुबह हुई बारिश के कारण किसान आंदोलन के बीच व्यवस्था बिगड़ी रही। टीकरी बॉर्डर पर सभा भी नहीं हो पाई। क्रमिक भूख हड़ताल में शामिल हुए किसान भी टीकरी बॉर्डर पर एक भवन में बैठे। 15 किलोमीटर तक फैले इस आंदोलन में किसानों को फिर से बारिश के कारण परेशानी भी आई। खुले आसमान के नीचे रखा सामान जल्दी-जल्दी समेटा और इधर-उधर ट्रालियों व तिरपालों के नीचे रखा। ईंधन भीगने से देर से जले चूल्हे :
आंदोलन के बीच काफी किसान परंपरागत चूल्हों पर ही खाना व चाय बनाना और पानी गर्म करने का काम करते हैं। इसके लिए ढेर सारा ईंधन भी रखा हुआ है। यह बारिश में भीग गया। ऐसे में चूल्हे देर से जले। कॉफी की स्टॉल शुरू, कई जगह बनाया हलवा :
टीकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन के बीच स्वयंसेवकों द्वारा शनिवार को कॉफी की स्टॉल भी शुरू कर दी गई। यहां पर कॉफी के लिए किसानों की भीड़ लगी दिखाई दी। इधर, हरियाणा के किसानों के पंडाल में कई जगह सूजी का हलवा बनाया गया। काफी किसानों ने इसका लुत्फ उठाया। उधर, नया गांव के पास पकौड़ा चौक पर पंजाब के मलेरकोटला से कुछ युवा शाही हलवा लेकर आए। यहां पर किसानों को यह हलवा वितरित किया गया।