जल संरक्षण पर लापरवाही का ग्रहण
जल संरक्षण पर लापरवाही का ग्रहण
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : बरसात के पानी को बचाने के लिए मेट्रो तो शहर में अपने साथ एक व्यवस्था लेकर आई, मगर प्रशासनिक लापरवाही ने इस पर ग्रहण लगा लिया। मेट्रो लाइन के नीचे पिल्लरों के साथ-साथ बने रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम के चैंबरों को कूड़े से भर दिया गया है। इससे बरसात का पानी पानी भू-गर्भ में नही जा रहा और चैंबर से लीक होकर सड़क पर बह रहा है। इससे पिल्लरों के आसपास डिवाइडर का हिस्सा भी धंस गया है। ऐसे में इतनी बड़ी व्यवस्था देखरेख के अभाव में दम तोड़ती दिखती दिख रही है। मगर प्रशासन इस तरफ ध्यान ही नहीं दे रहा।
दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन (डीएमआरसी) की ओर से ग्रीन लाइन के विस्तार के बाद मुंडका से बहादुरगढ़ तक मेट्रो एक साल पहले पहुंची थी। इससे शहर को नई सुविधा तो मिली, मगर इसके साथ-साथ एक बड़ी व्यवस्था भी मेट्रो साथ लेकर गई। मेट्रो लाइन के नीचे आखिरी छोर तक रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम भी बनाया गया, ताकि बरसाती पानी को सहेजा जा सके। यह व्यर्थ न बहकर सीधा भू गर्भ में जाए। इसके लिए मेट्रो लाइन के नीचे सभी पिल्लरों के साथ चैंबर बनाए गए और प्लास्टिक पाइप से जोड़ा गया। दो पिल्लरों के बीच में एक और चैंबर बनाया गया, जहां से जमीन में पाइप उतारा गया। ताकि बरसात में ट्रैक पर गिरने वाला पानी इन पाइपों के जरिये चैंबरों से होता हुआ सीधा भू गर्भ में चला जाए। मगर इसे विडंबना ही कहा जा सकता है कि इस व्यवस्था को भी यहां की नासमझी ने चोट पहुंचा दी है। ----चैंबरों में कूड़ा, ईट पत्थर और वेस्ट मेटिरियल भरा
पिल्लरों के साथ इस सिस्टम के जो चैंबर बने हैं, उनमें कुछ पर तो ढक्कन लगे हैं, जबकि कुछ पर इधर-उधर हैं। ऐसे में इन चैंबरों को कूड़ा-कर्कट और अन्य वेस्ट से भर दिया गया है। आटो मार्केट के पास वाहनों का जो वेस्ट मेटिरियल निकलता है, वह भी इन चैंबरों में भरा हुआ है। बस स्टैंड के पास तो ज्यादा चैंबर इस तरह से अट गए हैं। जिनमें से बरसात का पानी भू गर्भ तक नहीं पहुंच रहा। पाइप जाम होने के कारण बरसात का पानी चैंबरों के चारों तरफ से लीक होकर वापस ऊपर आ रहा है और सड़क पर बह रहा है। इससे डिवाइडर पर लगी इंटर लाकिग टाइलें भी चैंबर के साथ-साथ धंस गई हैं। ऐसे में शहर को फायदा पहुंचाने वाली यह व्यवस्था प्रशासनिक उपेक्षा और लापरवाही का शिकार बन गई है। ---प्रशासन करे देख-रेख
शहर के सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से इस व्यवस्था की देखरेख की माग की है। क्लीन एंड ग्रीन एसोसिएशन से जुड़े सोमबीर सिंह व प्रदीप रेढू और विनोद गिरधर का कहना है कि आज के समय में हर सरकारी स्थल पर रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम की जरूरत है। मगर ऐसा करने की बजाय जहां पर व्यवस्था बनी हुई है, उसे भी उजाड़ा जा रहा है। यह कुछ लोगों की नासमझी हो सकती है, मगर प्रशासन को इस पर गंभीर होना चाहिए। यह व्यवस्था फेल होती है तो इससे बड़ा नुकसान नही हो सकता। इस पर किया गया खर्च भी फिजूल हो जाएगा। ऊपर से डिवाइडर धंसने के बाद उन्हें ठीक करने के लिए फिर से पैसा खर्च करना पड़ेगा। ----यह व्यवस्था डीएमआरसी की ओर से की गई है। इसमें खामी या फिर कोई दिक्कत आई हुई है तो इस बारे में डीएमआरसी के अधिकारी ही इसका उपाय कर सकते हैं।
--के एस पठानिया, एक्सईएन, बी एंड आर