केमिकल की आड़ में चल रही थी ड्रग बनाने की फैक्टरी
केमिकल की आड़ में चल रही थी ड्रग बनाने की फैक्टरी
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : लखनऊ से आई डीआरआइ (डायरेक्ट्रेट ऑफ रेवेन्यु इंटेलीजेंस) की टीम की ओर से बहादुरगढ़ में ड्रग बनाने की जो फैक्टरी पकड़ी गई है, वह केमिकल इकाई की आड़ में चल रही थी। कसार गांव के सामने सूर्या नगर के पास जिस प्लाट में कवर्ड शेड लगाकर यह फैक्टरी बनाई गई थी, उसके बाहर कोई नंबर या नाम नहीं है। आसपास के लोगों को शुरू दिन से ही यह बताया गया था कि यहां पर केमिकल तैयार होता है। यहां पर सेटअप जमाए ज्यादा दिन नहीं हुए थे। इस बीच डीआरआइ ने छापेमारी कर इस धंधे का भंडाफोड़ कर दिया। दरअसल, डीआरआइ की ओर से यह कार्रवाई 9 फरवरी को की गई थी। एयरपोर्ट पर कस्टम विभाग की ओर से लीड मिलने के बाद डीआरआइ की टीम को कसार-बराही मार्ग पर स्थित इस फैक्टरी का पता चला था। शनिवार को यहां पर टीम सुबह 6 बजे पहुंच गई थी और रात 11 बजे तक कार्रवाई जारी रही थी। इस बीच यहां से तीन लोगों को हिरासत में लिया गया था। ड्रग तैयार करने के लिए यहां पर जो भी मशीनरी और केमिकल रखे थे, वे सभी जब्त करके गाड़ी में लादकर ले जाए गए थे। ---जब छापा पड़ा, तब मालूम हुआ कि यहां पर ड्रग बनती थी डीआरआइ की टीम की छापेमारी से पहले आसपास में किसी को नहीं पता था कि यहां पर ड्रग बनती है। यहां पर काम करने वाले दो-तीन लोगों ने आसपास के लोगों को यही बताया था कि यहां पर केमिकल बनता है। इस जगह पर छोटे-छोटे कारखाने चल रहे हैं। जिस प्लाट में ड्रग बनाने की यह फैक्टरी तैयार की गई थी, वह दिल्ली के रहने वाले कपिल का बताया जाता है। यह जगह शहर से हटकर है। प्लाट पर चहार दीवारी के बाद ऊपर लोहे का शेड बनाकर उसे पूरी तरह कवर किया गया था। उसके अंदर ही एक छोटा केबिन बना था, जिसमें ड्रग तैयार की जाती थी। यह मामला आसपास के लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है। -----17 घंटे चली थी कार्रवाई डीआरआइ की ओर से अपनी कार्रवाई को पूरी तरह गुप्त रखा गया था। पुलिस को तो कानोंकान खबर ही नहीं थी। प्रशासन की ओर से भी तहसीलदार नरेंद्र दलाल को कानूनी औपचारिकता के लिए बुलाया गया था। सुबह 6 बजे से लेकर रात 11 बजे तक लगातार 17 घंटों तक यह कार्रवाई चली थी। इस बीच यहां से मिले सभी तरह के केमिकल के रूप में कच्चे माल के सैंपल लिए गए थे और तीन लोगों को यहां से हिरासत में डीआरआइ की टीम ले गई थी। तीन गाड़ियों में 10 से ज्यादा सदस्यों की डीआरआइ की टीम यहां पहुंची थी। -----पहले चारों तरफ की रेकी की, फिर की थी छापेमारी अल सुबह 6 बजे डीआरआइ की टीम यहां पहुंची थी। आसपास के कारखानों के भवनों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से पता चला है कि डीआरआइ की टीम पूरी तैयारी के साथ आई थी। पहले तो फैक्टरी के चारों तरफ से रेकी की गई। उसमें यह पता लगाया गया कि फैक्टरी के पीछे की तरफ से भागने का कोई रास्ता तो नहीं है। जब इत्मिनान हो गया कि सामने के गेट के अलावा कहीं से रास्ता नहीं है, तब डीआरआइ की टीम अंदर पहुंची थी। खास बात यह है कि शहर के औद्योगिक क्षेत्रों में अनेकों फैक्टरी और कारखाने ऐसे चले रहे हैं, जिनके बाहर नाम और नंबर नही होता, ऐसे में उनके अंदर क्या बन रहा है, इसकी किसी को खबर नहीं होती । --रेव पार्टियों में प्रयोग होती है यह ड्रग बहादुरगढ़ में बनी इस फैक्टरी में अवैध रूप से जो मेफेड्रोन ड्रग तैयार की जाती थी, उसका कोड नेम म्याऊ-म्याऊ है। यह सफेद पाउडर होता है। इसको एम कैट और वाइट मैजिक भी कहते हैं। इसको रेव पार्टियों में प्रयोग किया जाता है। माना जाता है कि यह हेरोइन व कोकीन से ज्यादा नशीला होता है और कीमत कम होती है। यह कोई दवा नहीं होती, इसलिए इसमें ड्रग एंड कास्टमेटिकक्स कंट्रोल एक्ट के तहत भी कार्रवाई नहीं होती। ---ड्रग की फैक्टरी पकड़े जाने की सूचना आई है। इस बारे में पता किया जा रहा है। चूंकि यह दवा नहीं है, इसलिए इसमें विभाग की ओर से कार्रवाई नहीं की जाती।
--राकेश दहिया, एसडीसीओ, रोहतक। ----इस संबंध में लखनऊ से आई डीआरआइ की टीम द्वारा अपने स्तर पर कार्रवाई की गई थी। कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए मुझे बुलाया गया था।
--नरेंद्र दलाल, तहसीलदार, बहादुरगढ़ ----इस तरह की कार्रवाई के बारे में पुलिस के पास सूचना नहीं आई थी। डीआरआइ द्वारा ही इस मामले में कार्रवाई की गई है।
--रवि कुमार, एसएचओ, सेक्टर-6 थाना