अधिकारियों-ग्रामीणों की बैठक में नहीं निकला सौलधा की समस्या का हल
अधिकारियों-ग्रामीणों की बैठक में नहीं निकला सौलधा की समस्या का हल
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : सौलधा गांव में गंदे पानी की निकासी की समस्या को लेकर एक दिन पहले रोड जाम करने के बाद बुधवार को ग्रामीणों और पीडब्ल्यूडी बी एंड आर विभाग के अधिकारियों के बीच बैठक तो हुई, मगर कोई समाधान नहीं निकला। विभाग के कार्यकारी अधिकारी ने इस समस्या से पल्ला झाड़ लिया। उन्होंने साफ कहा कि सड़क के पानी की निकासी तो विभाग कर सकता है, लेकिन गांव का पानी निकालना हमारा काम नहीं। इसके बाद ग्रामीण वापस लौट गए। हालांकि इससे पहले अधिकारियों ने नाला निर्माण का पैसा पंचायती राज के खाते में ट्रांसफर करने और उसी के जरिये निर्माण करवाने का विकल्प रखा। मगर यह प्रक्रिया लंबी होने के कारण ग्रामीण पशोपेश में हैं।
सौलधा गांव की मुख्य गली में गंदे पानी की निकासी की समस्या है। इसको लेकर ग्रामीण दो बार तो पहले सड़क जाम कर चुके हैं और तीसरी बार मंगलवार को बहादुरगढ़-बादली मार्ग पर जाम लगाया गया था। पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों की तो ग्रामीणों ने नहीं सुनी थी, मगर पीडब्ल्यूडी बी एंड आर विभाग के अधिकारियों ने समाधान के लिए संयुक्त बैठक का भरोसा दिलाया था। इसके बाद ग्रामीण शांत हुए थे। बृहस्पतिवार को ग्रामीणों की बी एंड आर के कार्यकारी अधिकारी के एस पठानिया के साथ बैठक हुई। इसमें गांव के सरपंच जोगेंद्र भी उपस्थित रहे। ग्रामीणों ने अपनी समस्या रखी। ऐसे में विभागीय अधिकारियों ने बताया कि गांव में मुख्य सड़क के पानी की निकासी को लेकर तो विभाग काम कर सकता है, लेकिन गांव की गलियों में यदि पानी जमा होता है तो उसकी निकासी की जिम्मेदारी पंचायत की ही है। ऐसे में सड़क के साथ जो नाला बनना है, उसका पैसा विभाग की ओर से पंचायती राज विभाग के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। इसके बाद पंचायत द्वारा संबंधित विभाग के अधिकारियों से मिलकर इस समस्या का समाधान करवाया जाए। अधिकारियों के इस तर्क के बाद ग्रामीण भी वापस लौट गए। वे ज्यादा संतुष्ट नजर नहीं आए। उन्हें इस समस्या के जल्द समाधान की उम्मीद नहीं है। -- गांव में जो समस्या है, उसका समाधान करने की जिम्मेदारी पंचायती विभाग की है। इसके बावजूद बी एंड आर विभाग के पास जो नाले का पैसा है, उसे पंचायती राज विभाग को ट्रांसफर करने के लिए हम तैयार हैं। इसके बाद पंचायत जिस तरह अच्छा समझे इस समस्या का समाधान करवा ले।
--के एस पठानिया, एक्सईएन, बी एंड आर ---बी एंड आर के अधिकारियों ने जो विकल्प सुझाया है, उसकी प्रक्रिया ज्यादा लंबी और मुश्किल है। इससे तो समाधान की उम्मीद कम ही है। इसलिए ग्रामीण संतुष्ट नहीं हैं।
--जोगेंद्र, सरपंच, सौलधा