सिविल अस्पताल में अव्यवस्था से मरीज तंग, लग रही लाइनें
किसी मरीज को यदि पीड़ा है तो उसके लिए बैठने की भी कोई जगह नहीं
किसी मरीज को यदि पीड़ा है तो उसके लिए बैठने की भी कोई जगह नहीं फोटो-14 व 15: जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :
कोरोना काल में सिविल अस्पताल के अंदर बदली गई व्यवस्था अब मरीजों के बढ़ने से अव्यवस्था में बदल गई है। इसके कारण मरीज भी तंग हो रहे हैं। इस तरफ से अस्पताल प्रबंधन आंखें मूंदे हुए है। रोजाना हर विभाग के बाहर भीड़ लग रही है। कुछ दिनों पहले अस्पताल में रजिस्ट्रेशन काउंटर शिफ्ट किया गया था। यहां पर नए कार्ड बनवाने वालों की बाहर लाइनें लग रही है। मगर यह लाइन ओपीडीे के गेट तक पहुंचती। ऐसे में यहां से बाकी मरीजों का प्रवेश और निकास रुक जाता है। समस्या तय भी है कि पहले कुछ मरीज अंदर बैंचों पर बैठ जाते थे और उनके स्वजन कार्ड बनवा लेते थे। मगर बाहर इस तरह के बैठने की व्यवस्था ही नहीं है। कई डाक्टर खिड़की से ही मरीजों का चेकअप कर रहे हैं। इससे मरीज अपनी परेशानी भी ठीक ढंग से नहीं बता पाते। ऐसी ही हालत लैब के बाहर की है। यहां पर भी मरीजों की बाहर की तरफ लाइन लगती है। किसी मरीज को यदि पीड़ा है तो उसके लिए बैठने की भी कोई जगह नहीं। लैब के बाहर टेस्ट के लिए लाइन में खड़े मनोज ने बताया कि वे अपनी मां को लेकर आए थे। मजबूरी में उन्हें फुटपाथ पर ही बैठाना पड़ा। बाद में जब नंबर आया तब उनका सैंपल दिलवाया। कम से कम मरीजों के बैठने की व्यवस्था तो हो। अब तो कोरोना से बचाव के लिए टीका भी आ गया है। सबसे पहले स्वास्थ्य कर्मियों को ही टीका लगाया गया है, मगर अब भी कोरोना के नाम पर मनचाहे ढंग से व्यवस्था की गई है। यह समझ से परे है। दवा होने पर भी मना कर देते हैं एचआइवी क्लीनिक कर्मी :
कई मरीजों ने बताया कि अस्पताल के एचआइवी क्लीनिक का तो यह हाल है कि यहां पर दवा होती है, मगर यहां पर तैनात महिला कर्मी दवा न होने की बात कहकर वापस लौटा देती हैं। यहां तो सिफारिश से दवा मिलती है। सवाल यह है कि क्या हर मरीज किसी से सिफारिश करवाए, तब दवा मिलेगी।