ग्रुप डी की परीक्षा के दूसरे दिन भी मुश्किलों भरा रहा सफर
ग्रुप डी की नौकरियों की परीक्षा का दूसरा दिन भी सफर की मुश्किलों के नाम रहा। सुबह में तो बसें मिली, लेकिन वापसी का समय सूट नही किया। ऐसे में यह परीक्षा देने निकले अभ्यर्थियों के लिए शाम के बाद की यात्रा कठिन बनी रही। झज्जर जिले में तो इस परीक्षा के लिए कोई केंद्र नही बनाया गया था, मगर यहां से निकले अभ्यर्थियों के अलावा दूसरे कई जिलों के युवा भी इस परीक्षा के लिए बहादुरगढ़ से होकर ही परीक्षा केंद्रों तक पहुंचे। रविवार को भी परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने और घर वापसी का सफर आसान नहीं था। रोडवेज ने कई बसें अतिरिक्त तो चलाई, मगर उनसे बात नहीं बनी। भीड़ बढ़ने से सफर में परेशानी हुई। महिला अभ्यर्थियों को ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ी। उनके साथ परिवार का कोई न कोई सदस्य था। ऐसे में भीड़ और ज्यादा हो गई थी। इस परीक्षा को देखते हुए रोडवेज विभाग द्वारा र
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :
ग्रुप डी की नौकरियों की परीक्षा का दूसरा दिन भी सफर की मुश्किलों के नाम रहा। सुबह में तो बसें मिली, लेकिन वापसी का समय सूट नही किया। ऐसे में यह परीक्षा देने निकले अभ्यर्थियों के लिए शाम के बाद की यात्रा कठिन बनी रही।
झज्जर जिले में तो इस परीक्षा के लिए कोई केंद्र नही बनाया गया था, मगर यहां से निकले अभ्यर्थियों के अलावा दूसरे कई जिलों के युवा भी इस परीक्षा के लिए बहादुरगढ़ से होकर ही परीक्षा केंद्रों तक पहुंचे। रविवार को भी परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने और घर वापसी का सफर आसान नहीं था। रोडवेज ने कई बसें अतिरिक्त तो चलाई, मगर उनसे बात नहीं बनी। भीड़ बढ़ने से सफर में परेशानी हुई। महिला अभ्यर्थियों को ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ी। उनके साथ परिवार का कोई न कोई सदस्य था। ऐसे में भीड़ और ज्यादा हो गई थी। इस परीक्षा को देखते हुए रोडवेज विभाग द्वारा रविवार को भी बहादुरगढ़ से चंडीगढ़ व गुरुग्राम रूट पर अतिरिक्त बसें चलाई गई। मगर युवा कहीं ज्यादा थे। ऐसे में सभी बसें खचाखच भरी रही। ट्रेनों में भी भीड़ थी। बस स्टैंड के बाहर देर रात तक जमावड़ा :
यह परीक्षा दो सत्र मे थी। ऐसे में सुबह के सत्र की परीक्षा के लिए केंद्रों तक पहुंचने और शाम की परीक्षा के बाद घरों तक वापसी सबसे ज्यादा मुश्किल रही। इधर-उधर से आए अभ्यर्थियों का बहादुरगढ़ के बस स्टैंड के बाहर देर रात तक जमावड़ा लगा रहा। दिल्ली और गुरुग्राम की तरफ से आने वाली बसें खचाखच भरी थी। उनके अंदर पैर रखने तक जगह नही थी। बस के दरवाजों व खिड़कियों से लटककर ही युवाओं ने सफर किया। यह खतरनाक भी रहा।