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    दूसरे राज्यों के बीएस-3 भारी वाहनों की दिल्ली में एंट्री रुकी, बॉर्डरों पर तैनात टीमों ने की चेकिंग 

    Updated: Sun, 02 Nov 2025 12:33 PM (IST)

    दिल्ली सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाते हुए दूसरे राज्यों के बीएस-3 वाहनों पर रोक लगा दी है। यह निर्णय दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण स्तर को देखते हुए लिया गया है। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सरकार नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करेगी।

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    टीकरी बॉर्डर पर मालवाहक वाहनों की कैटेगरी चेक करती एनफोर्समेंट टीम। जागरण

    जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़। प्रदूषण के मद्देनजर बीएस-4 से नीचे कैटेगरी के मालवाहक वाहनों की दिल्ली में एंट्री शनिवार से रुक गई। दूसरे राज्यों में रजिस्टर्ड वाहनों पर यह नियम लागू हुआ है। इससे हरियाणा के बीएस-3 कैटेगरी के करीब डेढ़ लाख वाहन प्रभावित हाेंगे। शनिवार की अल सुबह से ही एनफोर्समेंट टीमें दिल्ली की सीमाओं पर तैनात कर दी गई।

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    दिन भर पुराने मालवाहक वाहनों की कैटेगरी चेक होती रही। इसमें जो भी बीएस-4 से नीचे मिला, उसे वापस लौटाया गया। जबकि दिल्ली में पंजीकृत किसी भी वाहन को नहीं रोका गया। टीकरी बार्डर पर तैनात टीम इंचार्ज ने बताया कि दोपहर तक ऐसा कोई वाहन नहीं, मिला जो बीएस-4 से नीचे हो। अभी रोजाना चेकिंग होगी। दिल्ली के 23 बार्डर प्वाइंटों पर इस कार्रवाई के लिए टीमें तैनात की गई हैं।

    पहले तो बीएस-6 कैटेगरी से नीचे के वाहनों को दिल्ली में एंट्री न देने का निर्णय था, लेकिन पिछले दिनों हुई बैठक के बाद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने नए आदेश जारी किए थे। इसमें बीएस-4 वाहनों को एक साल की मोहलत दी गई है।

    ये वाहन 31 अक्टूबर 2026 में जा सकेंगे। ऐसी स्थिति अब बीएस-4 से नीचे के जो वाहन यानी बीएस-3 और इससे नीचे के हैं, उनको ही रोकने के आदेश हैं। इनमें भी जो वाहन दिल्ली में रजिस्टर्ड हैं उनकी बजाय दूसरे राज्यों के डीजल-पेट्रोल के मालवाहक वाहनों पर ही यह पाबंदी रहेगी।

    प्रदेश के 20 प्रतिशत वाहनों पर पड़ा असर

    बहादुरगढ़ की हरे कृष्णा ट्रेलर यूनियन के प्रधान राजेश दलाल ने बताया कि प्रदेश की बात करें तो अनुमानित रूप से पूरे प्रदेश में लगभग आठ लाख मालवाहक वाहन हैं। इनमें से 20 प्रतिशत तक बीएस-3 कैटेगरी में आते हैं। 30 प्रतिशत तक बीएस-4 हैं और बाकी 50 प्रतिशत बीएस-6 आ चुके हैं। पहले तो डीजल के 10 साल पुराने और पेट्राेल के 15 साल पुराने वाहनों पर दिल्ली में एंट्री पर कार्रवाई करने और ऐसे वाहनों को ईंधन न देने के निर्देश थे, मगर हाल ही में इस तरह के निर्देश भी वापस लिए गए हैं।

    अब प्रदूषण के मद्देनजर दिल्ली में जिन वाहनों की एंट्री बंद हुई है, उनमें प्रदेश के अंदर कुल मालवाहक वाहनों में से 20 प्रतिशत पर असर पड़ा है। इधर, बहादुरगढ़ में 10 से ज्यादा ट्रांसपोर्ट यूनियनें हैं और सभी के मिलाकर लगभग सात हजार वाहन हैं। इनमें से 25 प्रतिशत तक वाहन बीएस-6 कैटेगरी के हैं। जबकि 70 प्रतिशत वाहन बीएस-4 में आते हैं।

    बाकी पांच प्रतिशत ही बीएस-3 में हैं। बहादुरगढ़ में पांच प्रतिशत पर ही असर पड़ेगा। दिल्ली में एंट्री पर मालवाहक वाहनों से पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क के रूप में ग्रीन टैक्स भी लिया जाता है। यह रोजाना एक बार्डर पर ही लाखों रुपये होता है। अब तो आवश्यक वस्तुएं लेकर जाने वाले वाहनों को इस टैक्स से मिलने वाली छूट भी खत्म हो चुकी है। यह ग्रीन टैक्स वाहन क्षमता के हिसाब से 1400 से लेकर 2600 रुपये प्रति चक्कर तक है।

    ऐप से की वाहनों की जांच

    टीकरी बार्डर पर तैनात टीम ने दिन भर वाहनों की जांच की। जो दूसरे राज्यों के नंबर वाली गाड़ियां पहुंची, उनके रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर ऐप से जांच की। इसमें यह पता लगा कि अमुक वाहन किस कैटेगरी का है। टीम इंचार्ज ने बताया कि सभी को पता है कि बीएस 3 और इससे नीचे के वाहनों पर दिल्ली में एंट्री पर रोक है। इसलिए पहले दिन तो टीकरी बार्डर पर दोपहर बाद तक ऐसा कोई वाहन नहीं पहुंचा था, जिसे वापस लौटाना पड़े।