छारा किसानों के संघर्ष की हुई जीत, 1.11 करोड़ प्रति एकड़ मिलेगा मुआवजा
छारा गांव के किसानों के संघर्ष की हुई जीत 1 करोड़ 11 लाख प्रति एकड़ मिलेगा मुआवजा
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : जमीन अधिग्रहण के उचित मुआवजे के लिए पिछले 20 दिनों से संघर्ष कर रहे छारा गांव को आखिरकार जीत मिली है। सरकार की ओर से गठित कमेटी ने यहां की जमीन का नए सिरे से रेट तय कर दिया है। जो बेसिक रेट 18 लाख था, वह अब 40 लाख तय कर दिया है। ऐसे में सब कुछ मिलाकर किसानों के हाथ में जो मुआवजा आएगा। वह एक करोड़ 11 लाख के आसपास होगा। इससे यहां के किसानों में खुशी है।
किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे रमेश दलाल और अधिकारियों के बीच कल शाम देर तक चली वार्ता में मुआवजा बढ़ाने के फैसले पर मुहर लग गई। शनिवार को पत्रकार वार्ता कर रमेश व क्षेत्र के अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने बताया कि सरकार द्वारा तय नए रेट की घोषणा कर दी गई है। दलाल ने बताया कि जहां भापड़ौदा को 38.5 लाख के कलेक्टर रेट के हिसाब से मुआवजा मिल रहा है तो गिरावड गांव को भी अब 40 लाख प्रति एकड़ के कलेक्टर रेट के हिसाब से मुआव•ा मिलेगा। छारा गांव के किसान इस जीत के बाद उत्साहित हैं। वार्ता में मास्टर साहब ¨सह प्रधान छारा चौदह गामा, उमेद देशवाल प्रधान दुल्हेड़ा बारहा, कपूरे प्रधान आसौदा नौ गामा, कैप्टन मान ¨सह दलाल मांडौठी, आसौदा से महेंद्र व दयानंद पूर्व सरपंच, छिल्लर-छिकारा से राजकुंवर छिल्लर, संजय सरपंच खरमान, जयंत तंवर सरपंच डबोदा खुर्द, ढिल्लू पूर्व सरपंच डबोदा खुर्द, ईश्वर सिलौठी, मातन से पांडु प्रधान व बोड़ा नंबरदार, दयानंद जखौदा पहुंचे थे। रमेश दलाल ने बताया कि किसान कलेक्टर रेट से खुश हैं। मगर मुआवजे को बढ़वा कर सवा दो करोड़ करवाने के लिए कानूनी प्रक्रिया के तहत अदालत का दरवाजा भी खटखटाएंगे। पत्रकार वार्ता के दौरान प्रतिनिधियों ने भाजपा जिला अध्यक्ष बिजेंद्र दलाल द्वारा दिए गए बयान पर आपत्ति दर्ज की। मास्टर साहिब ¨सह ने कहा कि मुआवजा बढ़वाने में भाजपा के पदाधिकारी की भूमिका नहीं रही। कलेक्टर रेट पर आधिकारिक मुहर शुक्रवार की शाम को लगी है। कपूरे प्रधान आसौदा व दयानंद पूर्व सरपंच आसौदा गांव का कहना था कि आंदोलन पंचायत की देखरेख में चल रहा था इसलिए पंचायत की अनुमति के बिना किसी को भी बयान नही देना चाहिए था। -- पहले छारा गांव में सड़क के साथ जमीन का जो बेसिक रेट 18 लाख था, वह अब 40 लाख तय किया गया है। जब हमारे पास पैसा आएगा तब अवार्ड सुनाया जाएगा।
--मनवीर सांगवान, डीआरओ, झज्जर