सुबह से ही ढोल नगाड़ों की आवाजें गूंजनी हो गई थी शुरू
चारों ओर बज रही शहनाई, बैंड बाजे के बीच थिरक रहे बाराती और डोली बनकर सजी गाड़ियों ने पूरा शहर ही शादियों में रंग दिया। सोमवार को ऐसा ही नजारा था। इस दिन कार्तिक एकादशी (देव उठनी ग्यास) से शुरू हुए शादियों के मौसम के पहले दिन क्षेत्र में शादियों की चारों धूम रही।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़
चारों ओर बज रही शहनाई, बैंड बाजे के बीच थिरक रहे बाराती और डोली बनकर सजी गाड़ियों ने पूरा शहर ही शादियों में रंग दिया। सोमवार को ऐसा ही नजारा था। इस दिन कार्तिक एकादशी (देव उठनी ग्यास) से शुरू हुए शादियों के मौसम के पहले दिन क्षेत्र करीब 150 जोड़े विवाह बंधन में बंधे।
फूल वालों, मैरिज हाल, बैंड बाजे वालों, टैंट वाले, हलवाइयों, पंडितों के पास सोमवार को सिवाय शादियों के कार्य करने के और कोई दूजा कार्य करने की फुर्सत नहीं थी। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक एकादशी से सोये हुए देव उठ जाते हैं। यह दिन शुभ कार्य के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। यहीं कारण है कि इस दिन काफी संख्या में शादियां हुई। सुबह ही ढोल नगाड़ों की आवाजें गूंजनी शुरू हो गई थी और जैसे-जैसे शाम नजदीक आती गई वैसे-वैसे शादियों का यह माहौल और रंगीन होता चला गया। डोली ले जाने वाली गाड़ियों की सजावट के लिए लाइन लगी थी। दिन भर में बहादुरगढ़ के अंदर 200 से अधिक गाड़ियां सजी। घोड़ी व बैंड बाजे के लिए कई दूल्हों को तो काफी इंतजार करना पड़ा। बारातों की आवाजाही के कारण यातायात व्यवस्था भी बाधित रही।
वीआइपी दिखने की रही चाहत
खास बात यह थी कि कई दूल्हे भी वीआइपी दिखने की चाहत सजोये थे। किसी ने डोली के लिए 50 से 60 हजार रुपये खर्च करके महंगी कार किराये पर ली थी और इसे कई हजार रुपयों में फूलों से सजवाया था तो बाकी ने भी लग्जरी गाड़ियों को सजवाया था।