'हिदी के लिए एक दिन नहीं बल्कि हर दिन मने हिदी दिवस'
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : हिदी दिवस पर दैनिक जागरण की ओर से सेमिनार का आयोजन
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :
हिदी दिवस पर दैनिक जागरण की ओर से सेमिनार का आयोजन किया गया। 'आजादी के 70 वर्षो बाद हिदी की दशा' विषय पर आयोजित इस सेमिनार में वक्ताओं ने युवाओं में अपनी मातृभाषा के प्रति खूब जोश भरा। हिदी के प्रति दिलों में उमड़ते जज्बात जब किसी की जुबा पर खुद व खुद आ गए। काव्य रचना हो या ओजस्वी विचार, सब में हिदी की महता ही झलकी। समारोह के अंत में मुख्य अतिथि और वक्ताओं को दैनिक जागरण की ओर से सम्मानित किया गया। क्यूएलसी अकादमी की तरफ से अतिथियों को भागवत गीता भेंट की गई।
शहर की क्यूएलसी अकादमी में आयोजित इस सेमिनार में नगर परिषद की चेयरपर्सन शीला राठी मुख्य अतिथि रही। हिदी से जुडे़ कई वक्ताओं ने इस शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता अकादमी के चेयरमैन सुधीर भारद्वाज व निदेशक मनीषा भारद्वाज ने की। हिदी पत्रिका के साहित्यिक संपादक करुणेश वर्मा, हिदी अध्यापिका मंजू देवी और शिक्षाविद आकाक्षा आनंद ने अपने वक्तव्य से माहौल को हिदीमय बनाया। सभी के विचारों का सार यही था कि हिदी के लिए एक ही दिन क्यों हो, हर दिन इसके लिए क्यों न हो।
इस तरह झलकी हिदी की महत्ता :
हिदी हमें संस्कारी बनाती है। हम अपने जीवन की शुरूआत हिदी से ही करते है। यह हमें अपने मूल से जुड़े रहने का संदेश देती है। हिदी के बिना हम जीवन की सफलता की कल्पना नहीं कर सकते। आज के दौर में जब नैतिक मूल्यों और संस्कारों का पतन हो रहा है, तब हम हिदी की गहराई में डूबकर अपने जीवन को सही दिशा दे सकते है।
--शीला राठी, चेयरपर्सन, नगर परिषद
महापुरुषों ने कहा कि मातृभाषा का ज्ञान ही हमें उन्नति की ओर ले जा सकता है। हम विश्व में कुछ भी सीख लें मगर जिस हिदी की छाया में हम पले और बढे़ है, उसकी महत्ता कम न होने दें, यह हमारे जीवन का प्रण होना चाहिए। हिदी जैसी व्यापकता, गहराई और वैज्ञानिकता किसी और भाषा में नही है। हम हर तरह से हिंदी में दक्ष हों, इस संकल्प के साथ युवाओं का आगे बढ़ना चाहिए।
--करुणेश वर्मा, साहित्यिक संपादक हिदी पत्रिका
हिदी जैसी सरलता और स्पष्टता किसी दूसरी भाषा में नही। इसमें भावनाओं का संगम है। यही वह भाषा है जो पूरे विश्व को जोड़ सकती है। हमारे पूर्वजों का मान-सम्मान ही नहीं बल्कि हम सबकी पहचान भी इसी से जुड़ी है। आजादी की लड़ाई में हिदी भी एक हथियार बनी है। यह विडबना है कि आजादी के 70 वर्षो बाद हिदी अपना सम्मानजनक स्थान नहीं पा सकी है, लेकिन आज के युवा अगर दृढ़ निश्चय कर लें तो हिदी अपना यह स्थान पा सकती है।
--आकाक्षा आनंद, शिक्षाविद्
हमारे अंदर हिंदी की जन्मजात प्रवृत्ति होनी चाहिए। यह एक भाषा ही नहीं बल्कि एक ऐसा संचार है जो एक हृदय से निकली बात को दूसरे हृदय तक पहुचाने का सशक्त माध्यम है। यह सही है कि आज अंग्रेजी की हमें सख्त जरूरत है, पर हिदी को हमें अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए।
--मंजू देवी, हिदी अध्यापिका
वक्त के साथ चलना ही सफलता का मूल मंत्र है। इसमें अंग्रेजी अहम हो सकती है, मगर हिदी से तो हमारी सभ्यता और संस्कृति की पहचान है। इसलिए हम प्रतिभावान के साथ-साथ चरित्रवान भी बनें। हिदी हमें चरित्र निर्माण सिखाती है।
--सुधीर भारद्वाज, अकादमी निदेशक
हिदी ही हमें एक-दूसरे से जोड़ती है। इसी से हमने जीवन सीखा है। यही हमारी मूल पहचान है। यह दिवस इसलिए नही है कि हम दूसरी भाषाओं के ज्ञान को भूल जाएं, बल्कि इसलिए है कि हम हिदी को दूसरों के लिए प्रभावी बनाएं।
--मनीषा भारद्वाज, अकादमी निदेशक
विचारों और कविताओं से हिदी का गुणगान
सेमिनार के दौरान अन्य अतिथियों की उपस्थित ने भी सभी का उत्साह बढ़ाया। छात्रा अंजलि ने हिदी को समर्पित छोटी सी कविता के जरिये सभी में जोश भरा। कार्यक्रम के उत्साहजनक अंजाम से पहले हर किसी ने दैनिक जागरण के इस आयोजन को सराहा और हिंदी की अहमियत बनाए रखने का संकल्प भी लिया। सेमिनार में नप उपाध्यक्ष विनोद कुमार, पार्षद प्रेमचंद, प्रवीण छिल्लर, सामाजिक कार्यकर्ता राजेश खत्री, एडवोकेट संदीप राठी, आरएसओ सदस्य रवींद्र सैनी, यातायात समन्वयक सतीश कुमार व काफी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।