चाइनीज एप्स पर पाबंदी, केंद्र सरकार का क्रांतिकारी कदम
59 चाइनीज मोबाइल एप पर भारत सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदी को टेक्नोलॉजी सेक्टर के लोगों ने बड़ा ही क्रांतिकारी निर्णय बताया है।
यशलोक सिंह, गुरुग्राम
केंद्र सरकार द्वारा 59 चाइनीज मोबाइल एप्स पर लगाई पाबंदी को टेक्नोलॉजी सेक्टर के लोगों ने बड़ा फैसला बताया है। इनका कहना है कि सरकार ने क्रांतिकारी कदम उठाया है। ऐसे में अब हमारी बारी है कि मोबाइल एप्स के क्षेत्र में अपने देश को आत्मनिर्भर बनाएं। यह काम मुश्किल नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि दुनिया भर की बड़ी से बड़ी कंपनियों के लिए मोबाइल एप्स का निर्माण देश के ही टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स करते हैं। अब वह अपने देश के लिए करेंगे। देश में स्थित टेक्नोलॉजी कंपनियों में इसे लेकर हलचल शुरू हो गई है। आने वाले छह माह में मोबाइल एप्स टेक्नोलॉजी को लेकर देश में कम से कम हजार स्टार्टअप्स के खड़े होने की प्रबल संभावनाएं हैं।
आइटी क्षेत्र के दिग्गजों का कहना है कि चीन की सोच शुरू से ही आत्मनिर्भर बनने की थी। उसने ऐसा किया भी। भारत के पास इस क्षेत्र की प्रतिभाएं चीन के मुकाबले अधिक हैं। चीन ऐसा देश है जहां पर गूगल, फेसबुक और ट्विटर पर प्रतिबंध है। इनके लिए उसके पास अपने विकल्प हैं। आज दुनिया भर में चीन के बनाए मोबाइल एप्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। पहली बार ऐसा हुआ है कि भारत ने चाइनीज मोबाइल एप्स पर प्रतिबंध लगा आत्मनिर्भरता का रास्ता खोल दिया है।
आने वाले दिनों में इसका काफी सकारात्मक परिणाम सामने आने वाला है। मोबाइल एप्स बनाने वाले स्टार्टअप्स को फंडिग करने को लेकर भी बड़ी कंपनियों द्वारा योजना बनाई जाने लगी है। मोबाइल एप्स के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का सबसे अधिक लाभ टेक्नोलॉजी क्षेत्र की माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) एवं स्टार्टअप्स को ही मिलने वाला है। बैन किए गए चीन के कुल 59 मोबाइल एप्स का विकल्प तैयार करने में अब अधिक समय नहीं लगेगा। केंद्र सरकार ने 59 चाइनीज मोबाइल एप्स को प्रतिबंधित करने का जो निर्णय लिया है वह बहुत ही प्रगतिवादी कदम है। मोबाइल एप्स के मामले में आत्मनिर्भर होने का यह सबसे बेहतर समय है। नए-नए स्टार्टअप्स भी खड़े होंगे।
राकेश कपूर, सीईओ, प्रॉसेस नाइन टेक्नोलॉजीज मोबाइल एप्स के मामले में आत्मनिर्भर होने का यह स्वर्णिम अवसर है। इसका लाभ तभी मिलेगा जब बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां इस क्षेत्र में आने वाले स्टार्टअप्स के लिए बेहतर इकोसिस्टम विकसित करें और उन्हें फंड मुहैया कराने का काम करें।
प्रदीप यादव, अध्यक्ष, हाईटेक इंडिया, हरियाणा