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बाबेपुर गांव की भी बनी सहमति, अब करीब 2500 एकड़ में नहीं होगी धान की फसल

झज्जर। लगातार दूसरे दिन हुई पंचायत के बाद बाबेपुर गांव के लोगों की भी

By JagranEdited By: Published: Mon, 13 Jan 2020 11:13 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 06:13 AM (IST)
बाबेपुर गांव की भी बनी सहमति, अब करीब 2500 एकड़ में नहीं होगी धान की फसल
बाबेपुर गांव की भी बनी सहमति, अब करीब 2500 एकड़ में नहीं होगी धान की फसल

जागरण संवाददाता, झज्जर : लगातार दूसरे दिन हुई पंचायत के बाद बाबेपुर गांव के लोगों की भी अब इस बात पर सहमति बन गई है कि वे भी अपने गांव में धान की खेती नहीं करेंगे। हालांकि, सोमवार को सुबाना गांव का एक प्रतिनिधिमंडल सरपंच महासिंह की अगुवाई में बाबेपुर पहुंचा। जहां सभी ने विस्तार पर हर पहलु से चर्चा करते हुए तय किया पांचों गांवों एक साथ ही आगे कदम बढ़ाएंगे। बहरहाल, लिए गए इस फैसले के बाद तय हो गया कि क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सुबाना, छप्पार, गिरधरपुर, जटवाड़ा और बाबेपुर में आने वाली करीब 2500 एकड़ जमीन पर धान की खेती नहीं की जाएगी।

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बता दे कि रविवार को क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली चार पंचायतों ने पराली को दूर की कौड़ी बनाते हुए धान की खेती से ही तौबा कर ली थी। हालांकि, बाबेपुर गांव के ग्रामीण भी इस पंचायत में शामिल थे। लेकिन, उन्होंने एक दफा पुन: पंचायत करने की बात दोहराई थी। जिसे सोमवार को करते हुए फैसला ले लिया गया है। तय हो गया है कि भविष्य में धान की खेती इन गांवों में नहीं की जाए। चूंकि, ऐसा होने से जमीन को नुकसान होने के साथ-साथ गेंहू की खेती भी नहीं हो पा रही। गांव स्तर पर स्थिति ऐसी आन बनी है कि सैंकड़ों एकड़ जमीन पर जलभराव के कारण गेंहू की बिजाई भी नहीं हो पाई। अभी नहीं चेते तो भविष्य में यह समस्या और अधिक बढ़ सकती है।

पांच गांव की करीब 2500 एकड़ जमीन हो रहे थी धान : बाबेपुर गांव सहित सुबाना, छप्पार, गिरधरपुर और जटवाड़ा में करीब 2500 एकड़ जमीन पर धान की खेती की जा रही है। मौजूदा समय में पराली के कारण होने वाला प्रदूषण और निशाने पर आए किसान भी धान की खेती से जुड़ा पहलू है। इन्हीं सभी विषयों के साथ भविष्य की खेती को लेकर भी पंचायत में चर्चा की गई। जिसमें पांचों गांवों की पंचायत ने सहमति व्यक्त कर दी है। हालांकि, जिला के अंतर्गत आने वाले अन्य गांव भी पहल करते हुए धान की खेती से तौबा कर चुके है। बने इस सिलसिले को लगातार मजबूती मिली तो आने वाले दिनों में धान की खेती और पराली दोनों ही दूर की कौड़ी बन जाएगी। प्रतिक्रिया : सुबाना, छप्पार, गिरधरपुर, बाबेपुर और जटवाड़ा गांव के ग्रामीणों की सहमति बन गई है। बाबेपुर के स्तर पर दिनेश प्रधान की अगुवाई में पंचायत में विस्तार से चर्चा करने के बाद फैसला लिया गया है।

महा सिंह, सरपंच, सुबाना


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