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जिला में गेहूं की फसल पर पीला रतुआ की दस्तक

जिला में पीला रतुआ ने दस्तक दे दी है। हिमाचल से चली हवा से नारायणगढ़ के हुसैनी और धनौरा गांव में करीबन आठ एकड़ को चपेट में ले लिया है। हवा के कारण खतरा और बढ़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 10:03 AM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 10:03 AM (IST)
जिला में गेहूं की फसल पर पीला रतुआ की दस्तक
जिला में गेहूं की फसल पर पीला रतुआ की दस्तक

अवतार चहल, अंबाला शहर

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जिले में गेहूं की फसल पर पीला रतुआ रोग ने दस्तक दे दी है। हिमाचल से चली हवा से नारायणगढ़ के हुसैनी और धनौरा गांव में करीब आठ एकड़ गेहूं को इस बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया है। हवा के कारण खतरा और बढ़ रहा है। कृषि विभाग के प्लांट पैथोलॉजिस्ट साइंटिस्ट ने क्षेत्र का दौरा किया। उन्होंने करीब 60 एकड़ का सर्वे किया और इनमें स्प्रे भी करवाया ताकि पीला रतुआ को आगे बढ़ने से रोका जा सके।

बता दें कि सर्दियों में यदि तेज धूप निकल आती है तो इसका गेहूं की फसल पर बुरा असर पड़ता है, जो हर साल शिवालिक की पहाड़ी से तलहटी में होते हुये करनाल तक के क्षेत्र को प्रभावित करता है। इस बीमारी से गेहूं की फसल पीली पड़ जाती है और गेहूं का पौधा नष्ट हो जाता है। यह गेहूं में पीली जंग रोग का प्रकोप है। हुसैनी और धनौरा में दिखा असर

कृषि विभाग के नारायणगढ़ एसडीसी ने अपनी टीम समेत हुसैनी, धनौरा, फतेहपुर, डेरा, अमीपुर, अंबली में चेक किया। यहां करीबन साठ एकड़ में जांच की जिसमें से आठ एकड़ में इस बीमारी का असर देखने को मिला। यह शुरुआती चरण में है, जिस पर स्प्रे करवाया गया। इसमें हुसैनी के रामकरण के तीन एकड़ खेत में, धनौरा के नवदीप के दो एकड़ में और धनौरा के ही गुरजीत सिंह के तीन एकड़ में पाया गया। उन्होंने गेहूं की 2967 और 711 किस्म लगाई हुई थी। बचाव के लिए किसान करें स्प्रे

एचएलआरडीसी हरियाणा भूमि सुधार विकास निगम से 600 रुपये प्रति लीटर दवा सब्सिडी पर उपलब्ध है। प्रोपीकॉनाजोल 25 प्रतिशत ईसी 200 एमएल को दो सौ लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करना है। दवा की दो बार 15 दिन का अंतराल में स्प्रे करें। बरोली के लक्की शेरगिल, बारापुर के गोलू ने बताया कि पिछले साल उन्होंने ओपेरा दवा का छिड़काव किया था, इसके रिजल्ट अच्छे रहे थे। मौसम के कारण समय से पहले बीमारी

कृषि विशेषज्ञों की मानें तो यह बीमारी फरवरी के दूसरे सप्ताह में शुरू होती है। लेकिन इस बार अनिश्चित मौसम के कारण समय से पहले आ गई है। क्योंकि लंबी ठंड के बाद अचानक तेज धूप आ जाती है, इसी कारण यह बीमारी आ गई। यह फंगस की जनहित बीमारी होती है। इस वर्ष बीमारी के फैलने के लिये उपयुक्त वातावरण उपलब्ध था और बीमारी बढ़ने लगी थी। नारायणगढ़ क्षेत्र के करीब 60 एकड़ में जांच की गई, जिसमें हुसैनी और धनौरा गांव के रकबा में आठ एकड़ में पीला रतुआ के कहीं-कहीं लक्षण मिले हैं। पीला रतुआ को रोकने के लिये किसानों को जागरूक किया जा रहा है।

- शेखर कुमार, असिस्टेंट प्लांट प्रोडक्शन ऑफिसर कम एसडीओ एग्रीकल्चर नारायणगढ़ कृषि विभाग बीमारी के आगमन के बारे में पूरी तरह चौकस है, बीमारी को रोकने के लिए उपाय कर लिए गए हैं। विभाग को संघन सर्वे के आदेश दे दिए गए हैं। किसानों को जागरूक किया जा रहा है।

- गिरीश नागपाल, उपनिदेशक, कृषि विभाग


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