आंसुओं और विरोध के बीच जग्गी सिटी सेंटर में चला पीला पंजा, 25 तोड़ी, दस शिफ्ट की
अंबाला शहर के जग्गी सिटी सेंटर में दुकानदारों के आंसुओं और विरोध के बीच करीब छह घंटे की कार्रवाई में 25 से अधिक दुकानें होर्डिंग स्ट्रक्चर को गिरा दिया।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर:
अंबाला शहर के जग्गी सिटी सेंटर में दुकानदारों के आंसुओं और विरोध के बीच करीब छह घंटे की कार्रवाई में 25 से अधिक दुकानें, होर्डिंग स्ट्रक्चर को गिरा दिया। समय देकर दस दुकानों को (जो ट्राली/ट्राला पर खड़ी की थीं) को शिफ्ट करवा दिया। लोगों ने जगह किराये पर लेकर दुकानें बनाईं थीं और शुक्रवार को नगर निगम ने इनको गैरकानूनी बताते हुए गिरा दिया। नगर निगम ने नोटिस के तहत इस कार्रवाई को अंजाम दिया, जबकि दुकानदारों का कहना था कि उनको कोई नोटिस नहीं मिला। इस कार्रवाई से करोड़ों रुपयों की दुकानें मलबे में तबदील हो गईं, वहीं सैंकड़ों लोग एक झटके में बेरोजगार हो गए। इस दौरान जेसीबी मशीन के सामने भी दुकानदार बैठ गए और नारेबाजी शुरू कर दी। इस विरोध के बीच में कुछ देर नगर निगम को कार्रवाई रोकनी पड़ी। दुकानदारों का कहना था कि उनको कुछ दिन का समय दिया जाए, जबकि निगम के अधिकारी दस से पंद्रह मिनट से अधिक का समय देने को तैयार नहीं थे। पुलिस की मौजूदगी में लोगों को हटाया गया और कार्रवाई शुरू की गई। तनाव की स्थिति में डीएसपी मौके पर
नगर निगम अधिकारियों ने जब फाइबर शीट से बनी दुकानों को गिराने लगे, तो स्थिति तनावपूर्ण हो गई। महिलाएं भी खुलकर विरोध में आ गई। कई महिलाएं जहां हाथ जोड़कर कार्रवाई रोकने का आग्रह कर रहीं थी, वहीं कुछ मजबूर होकर कार्रवाई देखती रहीं। बाद में डीएसपी सुल्तान सिंह मौके पर पहुंच गए। दुकानदारों ने जब डीएसपी से कहा कि बिना नोटिस के कार्रवाई हो रही है, तो उन्होंने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि कार्रवाई निगम द्वारा की जा रही है, उनके अधिकारियों से ही बात करें। कार्रवाई विरोध के कारण रुक गई, तो डीएसपी ने निगम अधिकारियों को कहा कि वे कार्रवाई जारी रखें। दुकानदार बीच में आते हैं तो पुलिस कार्रवाई करेगी। दो महीने लग गए, मेहनत से काम जमाया, अब रोजगार ही छीन लिया
कार्रवाई के दौरान दुकानदारों ने कहा कि दो महीने दुकान को सजाने लग गए, जबकि खून पसीना एक कर काम जमाया था। अब अचानक से सालों बाद आकर कह दिया कि दुकानें अवैध हैं। उनको नहीं पता कि यह अवैध है या नहीं, लेकिन अब तो उनका रोजगार ही छीन लिया है।