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महिलाएं बोलीं : हर क्षेत्र में खुद को साबित किया , अब समाज को देंगी नई दिशा

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर क्षेत्र की बुद्धिजीवी महिलाओं ने कहा कि ऐसा शायद ही कोई क्षेत्र होगा जहां महिलाओं ने खुद को साबित न किया है। महिलाएं देश व समाज को नई दिशा दे सकती हैं जबकि पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Mar 2020 09:27 AM (IST)Updated: Mon, 09 Mar 2020 09:27 AM (IST)
महिलाएं बोलीं : हर क्षेत्र में खुद को साबित किया , अब समाज को देंगी नई दिशा
महिलाएं बोलीं : हर क्षेत्र में खुद को साबित किया , अब समाज को देंगी नई दिशा

संवाद सहयोगी, नारायणगढ़

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर क्षेत्र की बुद्धिजीवी महिलाओं ने कहा कि ऐसा शायद ही कोई क्षेत्र होगा, जहां महिलाओं ने खुद को साबित न किया है। महिलाएं देश व समाज को नई दिशा दे सकती हैं, जबकि पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। लोगों को भी महिलाओं के प्रति अपना नजरिया बदलना होगा। समाज व देश के प्रति महिलाएं अपनी जिम्मेदारी मजबूती के साथ निभा रही हैं। शास्त्रों में भी महिलाओं को अहम स्थान प्रदान किया गया है।

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संयुक्त परिवार से बच्चियां

सेफ रहेंगी : डा. वंदना शर्मा

नारी कमजोर नहीं शक्ति का नाम है। हम जब पहले संयुक्त परिवारों में रहते थे तो बच्चियां सुरक्षित थीं। सिगल परिवार के लिए परेशानी तो है। महिलाओं को भी चाहिए कि वे आत्मनिर्भर बनें और संयुक्त परिवार को अपनाएं। दूसरी ओर समाज के प्रति लोगों को अपनी जिम्मेदारी भी निभानी होगी।

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महिला अपराधों पर तुरंत कार्रवाई हो

महिलाएं जहां सशक्त हो रही हैं, वहीं उनके प्रति अपराध भी बढ़ रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि महिला अपराध के खिलाफ कार्रवाई तेज हो। महिलाओं को भी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना होगा। उन्हें जहां समाज की दिशा बदलनी होगी, जबकि अपने लिए संघर्ष भी करना होगा।

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मिलजुलकर आगे बढ़ें महिलाएं :

महिला दिवस की सार्थकता यही है कि महिलाएं मिलजुलकर आगे बढ़ें। महिलाएं संगठित होंगी, तो हर मुकाम हासिल किया जा सकता है। इसे महिलाओं ने करके भी दिखाया है। सोसायटी या ग्रुप बनाकर जहां आत्मनिर्भर बना जा सकता है, वहीं हर रास्ता सफलतापूर्वक तय किया जा सकता है।

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पारिवारिक निर्णय में महिलाएं शामिल हों

पारिवारिक मामलों में महिलाओं को भी शामिल करना चाहिए। महिलाएं भी ऐसे मामलों में अपना पक्ष मजबूती से रखें। यही पहली सीढ़ी है, जब महिला को आत्मविश्वास मिलता है और वह अपना मुकाम तो हासिल कर सकती है, बल्कि अपने लिए निर्णय भी ले सकती है।

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बच्चों को संस्कारित करें महिलाएं :

बच्चों की पहली शिक्षक महिला ही है। बच्चों को संस्कारित करना चाहिए, ताकि स्वस्थ समाज की स्थापना हो। इससे महिलाओं के प्रति नजरिया बदलेगा, जबकि समाज सशक्त रूप से महिलाओं के पक्ष में भी खड़ा होगा।


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