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अविवाहित गर्भवती युवती को नहीं मिली गर्भपात की इजाजत, जज बोलीं- हाथ कानून से बंधे

अविवाहित गर्भवती को कोर्ट ने डॉक्टरों की रिपोर्ट के बाद उसके गर्भपात की इजाजत नहीं दी। जज ने कहा कि हमारे हाथ कानून से बंधे हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 17 Mar 2018 01:50 PM (IST)Updated: Sat, 17 Mar 2018 01:50 PM (IST)
अविवाहित गर्भवती युवती को नहीं मिली गर्भपात की इजाजत, जज बोलीं- हाथ कानून से बंधे
अविवाहित गर्भवती युवती को नहीं मिली गर्भपात की इजाजत, जज बोलीं- हाथ कानून से बंधे

अंबाला [हरीश कोचर]। अविवाहित युवती ने गर्भपात के लिए जज से भावुक अपील की। कहा- वह समाज में मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगी। गर्भपात की इजाजत दे दें। महिला जज ने उसके प्रति सहानुभूति रखते हुए भी इन्कार कर गईं, कहा- हमारे हाथ कानून से बंधे हैं। लगभग आधे घंटे चली सुनवाई के बाद अंबाला की स्थानीय अदालत ने उसकी खारिज कर दी। इसके बाद युवती मां के साथ घर लौट गई।

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कोर्ट में युवती ने किसी पर दुष्कर्म का आरोप नहीं लगाया, न ही यह बताया कि उसे गर्भवती करने वाला कौन है। उसने कोर्ट से संबंधित युवक से विवाह कराने की मांग भी नहीं की। उसको खुद के गर्भवती होने की जानकारी तब हुई जब पेट दर्द होने पर जांच के लिए अंबाला के नागरिक अस्पताल पहुंची।

इसके बाद उसने जिला विधिक प्राधिकरण के जरिये कोर्ट में याचिका दायर कर गर्भपात के लिए इजाजत मांगी। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक कोर्ट स्वास्थ्य विभाग से बिना जांच कराए इजाजत नहीं दे सकता। इसलिए कोर्ट ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी के नेतृत्व में कमेटी का गठन कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. विनोद गुप्ता के नेतृत्व में गठित तीन डॉक्टरों की टीम ने अपनी रिपोर्ट में गर्भस्थ शिशु के 28 सप्ताह से अधिक का होने की जानकारी दी। रिपोर्ट में कहा गया कि इस अवधि में भ्रूण बच्चे के रूप में आकार ले लेता है और ऐसे में उसे मारना हत्या है। बच्चा व मां दोनों स्वस्थ है। गर्भपात किया जाता है तो दोनों की जान को खतरा हो सकता है। डॉक्टरों की राय थी कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) एक्ट के मुताबिक 24 हफ्ते से ज्यादा के भ्रूण के गर्भपात की इजाजत नहीं है।

नि:संतान दंपती को दूंगी बच्चा

कोर्ट के फैसले के बाद युवती ने कहा कि वह गर्भ में पल रहे बच्चे को जन्म जरूर देगी, लेकिन किसी नि:संतान दंपती को दे देगी। दो नि:संतान परिवारों ने युवती से इस बारे में मुलाकात भी की और वह डिलीवरी नहीं होने तक युवती को भी अपने साथ रखने के लिए राजी हो गए हैं।

कोर्ट में ये हुई बहस

डॉक्टर : मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) एक्ट की शर्तों के मुताबिक मामले में गर्भपात के लिए इजाजत नहीं दी जा सकती।

जज : किस आधार पर गर्भपात के लिए इजाजत दी सकती है?

डॉक्टर : मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) एक्ट के तहत 24 हफ्ते से ज्यादा के भ्रूण के गर्भपात की इजाजत नहीं है, क्योंकि इस समय में भ्रूण बच्चे का 70 प्रतिशत रूप ले लेता है और ऐसे में उसे मारना हत्या है।

जज : अगर इजाजत दी जाती है तो क्या खतरा हो सकता है?

डॉक्टर : इस समय में बच्चा प्रतिरूप लेना शुरू कर देता है। रिपोर्ट के मुताबिक बच्चा व मां दोनों स्वस्थ है। इसलिए अगर गर्भपात किया जाता है तो इससे बच्चे व मां दोनों की जान को खतरा हो सकता है।

जज : किस तरह के केस में दी जा सकती है परमिशन?

डॉक्टर : अगर भ्रूण के कारण गर्भवती महिला की जान को खतरा होता है या बच्चा पेट में पूरी तरह से स्वस्थ नहीं है दोनों को खतरा हो सकता है, उसी केस में गर्भपात की इजाजत दी जा सकती हैं।

पीड़िता : अगर मैंने गर्भपात नहीं कराया तो मैं किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहूंगी।

जज : डॉक्टरों की राय व कानून के मुताबिक मैं गर्भपात के लिए इजाजत नहीं दे सकती हूं। इसलिए यह मामला डिसमिस किया जाता है।

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