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रेलवे में इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियरों में प्रभुत्व की लड़ाई में फुटबॉल बने कर्मचारी

रेलवे में इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियरों के बीच चल रही प्रभुत्व के कारण डीजल लोको कर्मचारी और अधिकारी फुटबॉल बनकर रह गए।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 04 Dec 2018 12:23 PM (IST)Updated: Tue, 04 Dec 2018 09:06 PM (IST)
रेलवे में इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियरों में प्रभुत्व की लड़ाई में फुटबॉल बने कर्मचारी
रेलवे में इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियरों में प्रभुत्व की लड़ाई में फुटबॉल बने कर्मचारी

अंबाला [दीपक बहल]। रेलवे में इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियरों के बीच चल रही प्रभुत्व की जंग वाराणसी तक पहुंच गई है। इस कारण डीजल लोकोमोटिव वर्क्स (डीएलडब्ल्यू) वाराणसी और रेलवे बोर्ड में भी खींचतान बढ़ गई है। इस कारण डीजल लोको कर्मचारी और अधिकारी फुटबॉल बनकर रह गए।

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ऐस चली कागजी जंग

डीएलडब्ल्यू के महाप्रबंधक ने डीजल लोको से जुड़े कर्मियों और अधिकारियों की रिपोर्टिंग प्रिंसिपिल चीफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर (पीसीईई) को सौंप दी। इसके बाद मामला तूल पकड़ गया। प्रिंसिपल चीफ मैकेनिकल इंजीनियर (पीसीएमई) ने रेलवे बोर्ड के पत्र का हवाला देते हुए अधिकारियों व कर्मियों को आदेश दिए कि वे उन्हीं को रिपोर्टिंग करेंगे। विवाद यहीं नहीं रुका।

इसके बाद प्रिंसिपल चीफ पर्सनल ऑफिसर (पीसीपीओ) ने फिर से आदेश जारी कर पीसीएमई के आदेश गलत बताते हुए कहा कि यह आदेश डीएलडब्ल्यू के महाप्रबंधक की अनुमति नहीं है। अफसरशाही में कागजी जंग तेज हो गई है। फिलहाल, पीसीईई को रिपोर्टिंग आरंभ हो चुकी है।

बन गई टकराव की स्थिति

दैनिक जागरण ने रेलवे में खींचतान को उजागर किया था। बताया जा रहा है कि अब ग्रुप ए के अधिकारियों में भी टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल विभाग के बीच खींचतान से विरोध के स्वर रेल मंत्रालय तक पहुंच चुके हैं। देशभर में दौड़ रही ईएमयू (इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट) और एमईएमयू (मैन लाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट) के कार शेड मैकेनिकल इंजीनियरों के हवाले कर दिए गए हैं। शताब्दी, राजधानी, सुपरफास्ट और एक्सप्रेस ट्रेनों में लाइट, पंखे और एसी की मरम्मत का काम मैकेनिकल इंजीनियरों के अधीन कर दिया है।

यूं बदलती गई रिपोर्टिंग

डीएलडब्ल्यू वाराणसी के महाप्रबंधक की ओर से 24 नवंबर को पत्र संख्या जीएजेड में पीसीईई को रिपोर्टिंग करने के आदेश दिए गए। इसके दो दिन बाद 26 नवंबर को रेलवे बोर्ड के पीईडी/एमई (डब्ल्यू) रविंद्र गुप्ता की ओर से जारी आदेश में पीसीएमई को ही रिपोर्टिंग करने की बात लिखी जिसके बाद मामला और तूल पकड़ गया। रेलवे बोर्ड के आदेश का जिक्र करते हुए पीसीएमई ने 30 नवंबर को लिखित आदेश में कहा कि उन्हें ही रिपोर्टिंग की जाए। इसके तुरंत बाद पीसीपीओ ने महाप्रबंधक के पहले जारी किए आदेश ही लागू करने का फरमान जारी कर दिया।

महाप्रबंधक के आदेश लागू : मल्होत्रा

डीएलडब्ल्यू के डीजीएम नितिन मल्होत्रा ने बताया कि पीसीईई को रिपोर्टिंग करने के महाप्रबंधक के आदेश को लागू कर दिया गया है। उनसे पूछा गया कि पीसीएमई ने भी रेलवे बोर्ड के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि उन्हीं को रिपोर्टिंग की जाए, इस पर डीजीएम ने कहा कि इन आदेश की महाप्रबंधक से अनुमति नहीं दी गई है।

विभागों में इस तरह हुआ पुनर्गठन

वर्ष 2017 में रेलवे ने इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल विभागों को रेलवे ट्रैक्शन और रेलवे रोलिंग स्टॉक विभागों में पुनर्गठित कर दिया था। ऐसा करने से डीजल और इलेक्ट्रिकल इंजन व उनके रखरखाव के शेड एवं इंजन व चालकों से संबंधित कार्य ट्रैक्शन विभाग को सौंप दिए गए। डिब्बों और ईएमयू, डीईएमयू व अन्य ऐसी गाडिय़ों का जिम्मा भी रोलिंग स्टॉक विभाग को दे दिया गया।

इन विभागों का नेतृत्व करने वाले रेलवे बोर्ड के सदस्यों को मेंबर ट्रैक्शन और मेंबर रोलिंग स्टॉक बना दिया गया। रेल मंत्री की अनुमति के बाद एक आदेश जारी किया गया, जिसमें इलेक्ट्रिकल को डीजल लोको और मैकेनिकल को ईएमयू व एमईएमयू का जिम्मा सौंपा गया। जिसके बाद इन आदेश में भी कुछ बदलाव कर दिया गया।

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