नौरंग राय तालाब पर अधूरे इंतजामों के बीच शुरू हुआ वामन द्वादशी मेला
धार्मिक और एतिहासिक महत्व के उत्तर भारत के प्रसिद्ध वामन द्वादशी मेले की प्रथम संध्या का शुभारम्भ उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री विपुल गोयल ने दीप प्रज्वलित करके किया। श्री सनातन धर्म सभा शहर की देखरेख में आयोजित कार्यक्रमों की शुरुआत सुबह आठ बजे ही पुरानी अनाज मंडी स्थित पंडाल में हवन के साथ शुरू हुई।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर
धार्मिक और एतिहासिक महत्व के उत्तर भारत के प्रसिद्ध वामन द्वादशी मेले की प्रथम संध्या का शुभारम्भ उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री विपुल गोयल ने दीप प्रज्वलित करके किया। श्री सनातन धर्म सभा शहर की देखरेख में आयोजित कार्यक्रमों की शुरुआत सुबह आठ बजे ही पुरानी अनाज मंडी स्थित पंडाल में हवन के साथ शुरू हुई। सुबह 10 बजे से शोभायात्रा निकाली गई। बाजारों से होकर निकली शोभायात्रा आकर्षण का केंद्र रही। इस उपरांत दोपहर में कीर्तन शुरू हुआ जो शाम करीब आठ बजे तक चला। इस उपरांत रात आठ बजे धार्मिक गायक अम¨रद्र बॉबी ने अपने गीतों से मेले में उमड़े श्रद्धालुओं का खूब मनोरंजन किया। महत्वपूर्ण यह है कि मेले के समापन अवसर पर जिस नौरंग राय तालाब में ¨हडौले तैराए जाने हैं वहां अभी साफ सफाई नहीं हुई है। नौरंगराय सरोवर के जीर्णोद्धार का कार्य अभी भी अधूरा पड़ा है लेकिन ¨हडौले तैराए जाने के चलते यहां पानी भरा जाना है।
उद्योग मंत्री ने कहा कि भगवान वामन ने राजा बलि का अंहकार खत्म करने के लिए जन्म लिया था। उन्होंने कहा कि सभी धर्मों की परिभाषा मिलजुल कर स्नेह एवं भाईचारे के साथ रहना है और यही भगवान वामन का संदेश है। इस मौके पर विधायक असीम गोयल ने नौरंगराय तालाब के जीर्णोद्धार के बारे में बताया। विधायक असीम गोयल ने इस अवसर पर कहा कि धार्मिक और एतिहासिक ²ष्टि से जिला की देश में विशेष पहचान है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा भगवान वामन के नाम से अंबाला में स्थित नौरंगराय तालाब को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए 12 करोड़ रुपये की लागत से नौरंगराय तालाब का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। भगवान वामन तीर्थ के एतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि राजा बलि की त्याग भावना से प्रभावित होकर भगवान वामन ने उन्हें महाबलिदानी कहा था और अंबाला की धरा से ही बलिदान शब्द की उत्पत्ति मानी जाती है। इस अवसर पर श्री सनातन धर्म सभा के अध्यक्ष जीत राम अग्रवाल, सचिव विनोद गर्ग, संयोजक सेठ मदन लाल अग्रवाल, नरेश अग्रवाल, सुरेश कंसल, विरेन्द्र अग्रवाल, सोमनाथ खुराना, नरेश बंसल, सुदेश कपूर, संत लाल, विनोद गर्ग, अविनाश ¨सगला, सुरेश बंसल, सुरेन्द्र पाल खुराना, सतीश कुमार, मनोज बंगा आदि मौजूद रहे।
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वामन द्वादशी मेले का महत्व
- ¨हदू धर्म में वामन द्वादशी का अपना ही महत्व है। वामन अवतार भगवान विष्णु के दस अवतार में से एक हैं। भगवान विष्णु का यह अवतार एक महत्वपूर्ण अवतार माना जाता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु ने भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन माता अदिति के गर्भ से प्रकट हो अवतार लेते हैं तथा ब्राहमण का रूप धारण करते हैं। इस रूप में श्री विष्णु ने राजा बलि से भिक्षा में तीन पग भूमि मांगी थी। राजा बलि अपने वचन पर अडिग रहते हुए श्री विष्णु जी को तीन पग भूमि दान में दे देते हैं। वामन रूप में भगवान ने एक पग में स्वर्ग और दूसरे पग में पृथ्वी को नाम लिया ओर अभी तीसरा पैर रखना शेष था। ऐसे में राजा बलि अपना वचन निभाते हुए अपना सिर भगवान वामन के आगे रख देते हैं। वामन भगवान के पैर रखते ही राजा बलि पाताल लोक पंहुच जाते हैं।
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