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मजदूरी कर बच्चों को खेल के ट्रैक पर उतारा

गरीबों ने भी अपने बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए परिवार ने कोई कमी नहीं छोड़ी। बच्चों के भविष्य के लिए मेहनत-मजदूरी कर उनको कामयाब बनाने के लिए खेल के मैदान में उतारा। अपने खर्चो को कम किया और बच्चों की जरूरतें पूरी की। परिवार का सपना है कि एक दिन उनके बच्चे जरूर सपना पूरा करेंगे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 08 Dec 2019 07:10 AM (IST)Updated: Sun, 08 Dec 2019 07:10 AM (IST)
मजदूरी कर बच्चों को खेल के ट्रैक पर उतारा
मजदूरी कर बच्चों को खेल के ट्रैक पर उतारा

संजू कुमार अंबाला

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गरीबों ने भी अपने बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए परिवार ने कोई कमी नहीं छोड़ी। बच्चों के भविष्य के लिए मेहनत-मजदूरी कर उनको कामयाब बनाने के लिए खेल के मैदान में उतारा। अपने खर्चो को कम किया और बच्चों की जरूरतें पूरी की। परिवार का सपना है कि एक दिन उनके बच्चे जरूर सपना पूरा करेंगे। ओलंपिक, एशियाड, कॉमनवेल्थ जैसे खेलों में तिरंगा लहराते हुए प्रदेश का नाम रोशन करेंगे। प्रदेश के बालक-बालिका अब अपने इस लक्ष्य की ओर निकल चुके हैं। राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर खूब नाम रोशन कर रहे है। उधर, बच्चों की प्रतिभा पर परिवार को भी फº होने लगा है। जब खेल के मैदान में अपने बच्चों को मेडल के साथ सम्मानित होते हुए देखते हैं, तो उनकी आंखें खुशी से भर आती है। ऐसी ही कहानी है वार हीरोज मेमोरियल स्टेडियम में। जहां पर हरियाणा प्रदेश के करीब दो सौ खिलाड़ी पहुंचे। उनमें कुछ बच्चे ऐसे हैं, जो गरीबी को मात देकर खेल के मैदान में उतरे।

कम खुराक के बावजूद करते अभ्यास

खेलों में मेहनत के साथ ही डाइट की भी जरूरत होती है, लेकिन ये बच्चे सुबह-शाम करीब छह घंटे कम खुराक के बावजूद अभ्यास करते हैं। प्रैक्टिस के दौरान काफी परेशानी भी होती है, लेकिन इनका लक्ष्य बुलंद है। ये हार नहीं मानते और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं।

ओलंपिक में पदक जीतना टारगेट

बालक-बालिकाओं के हौसले बुलंद है। बस ओलंपिक में पदक जीतना इनका सबसे बड़ा टारगेट है। उसके लिए वे सुबह-शाम खूब मेहनत कर रहे है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मेडल के साथ खुद की अलग पहचान भी बनाई है, लेकिन इनका सबसे बड़ा मकसद ओलंपिक में मेडल लाकर प्रदेश का मान बढ़ाना है।

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फोटो 17

फरीदाबाद के बादल पिता बिदु पासवान ऑटो चालक हैं। बादल की अगर बात करें तो उसने जिमनास्टिक आर्टिस्टिक इवेंट में दिग्गजों को पछाड़ा। राज्य स्तर पर तमाम मेडल जीते है। अंडर-10 में सिल्वर मेडल भी हासिल कर चुका है।

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फोटो नंबर-18

फरीदाबाद के रितिक के पापा पोस्टमैन हैं। रितिक को नहीं पता था कि वह खेलों में आएगा, लेकिन पिता ने उसे खेल के मैदान में पहुंचाया, ताकि वह दुनिया में नाम रोशन कर सके। आज वह राज्य और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल के साथ अपनी चमक छोड़ रहा है।

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फोटो-19

करनाल के कृष्ण के पिता विजय चौधरी राजमिस्त्री है। पिता ने बेटे को आगे बढ़ाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन आज उनका बेटा खेलों में परिवार का नाम बुलंद कर रहा है। कृष्ण फ्लोर एक्साइज और वाटिग टेबल में राज्य स्तर पर कई मेडल हासिल कर चुका है। अंतर केंद्रीय राज्य जिम्नास्टिक प्रतियोगिता में टॉपर्स भी रहा।

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फोटो नंबर-20

यमुनानगर की अंजली के बुद्धन पिता साइकिल रिपेयरिग का काम करते है। लेकिन आज उनकी बेटी जिमनास्टिक में मेडल की झड़ी लगा रही है। राज्य स्तर पर कई मेडल हासिल कर चुकी है। अब नेशनल में मेडल लाने की तैयारी में जुटी है।

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फोटो नंबर-21

पानीपत के गौतम की उम्र महज 12 साल है। पिता एक फैक्ट्री में काम कर परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं, लेकिन बेटे ने खेलों में आज अपना नाम चमकाया। स्टेट में कांस्य मेडल लिया और अब नेशनल में मेडल लाने की तैयारी में है।


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