चंडीगढ़, जागरण संवाददाता। हरियाणा विधानसभा में शुक्रवार को किसानों के कर्जे पर जबरदस्त हंगामा हुआ। इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला के एक सवाल के जवाब में प्रदेश सरकार ने जब सहकारी बैंकों के कर्ज की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी तो अभय सिंह उखड़ गये। उन्होंने सरकार से पूछा कि निजी बैंकों के कर्ज का ब्योरा सदन के पटल पर क्यों नहीं रखा गया। अभय सिंह इस बात से भी नाराज थे कि सवाल उन्होंने कृषि मंत्री से पूछा था, लेकिन उसे बदलकर सहकारिता मंत्री का सवाल बना दिया गया।

हालांकि स्पीकर डा. ज्ञानचंद गुप्ता ने इसकी जांच कराने की बात कही, लेकिन कई मौके ऐसे आए जब सदन में हंगामा हो गया और स्पीकर व अभय चौटाला भिड़ गये। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी अभय सिंह के समर्थन में खड़े दिखाई दिए। सरकार के जवाब से नाराज अभय सिंह ने सदन से वॉकआउट कर दिया। इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला ने किसानों पर बढ़ रहे कर्ज, कर्ज माफी और कर्ज के बोझ तले दबे किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्याओं का मुद्दा उठाते हुए सरकार की घेराबंदी की।

अभय ने मांगा किसानों पर बैंकों के कर्ज का ब्योरा

आजकल पूरे प्रदेश में परिवर्तन पदयात्रा निकाल रहे अभय ने सरकार से किसानों पर बैंकों के कर्ज का ब्योरा मांगा, लेकिन सरकार ने केवल सहकारिता बैंक के अधीन आने वाले बैंकों का ही विवरण सदन में रखा। यह मामला इतना गहराया कि मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप करना पड़ा। सहकारिता मंत्री डा. बनवारी लाल ने बताया कि राज्य सहकारी अपेक्स बैंक व हरियाणा राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के तहत 31 मार्च 2022 तक तीन लाख छह हजार 127 किसानों पर 2932 करोड़ 91 लाख से अधिक बकाया है।

हरियाणा राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के अंतर्गत किसानों पर 31 मार्च 2022 तक 59 हजार 354 किसानों पर 698 करोड़ 78 लाख से अधिक अतिदेय कृषि ऋण राशि बकाया है। अभय ने दूसरे नेशनल और प्राइवेट बैंकों के कर्जों का भी ब्योरा मांगा। इस पर सीएम ने कहा कि सहकारिता मंत्री ने अपने विभाग से जुड़े बैंकों का डाटा दे दिया है। सभी बैंकों की जानकारी चाहिए थी तो अभय को वित्त मंत्री से सवाल पूछना चाहिए था। इस मुद्दे पर हुड्डा ने कहा कि सरकार को ही जवाब देना होता है। ऐसे में सभी बैंकों का ब्योरा देना चाहिए।

प्रति किसान 1.82 लाख रुपये का कर्ज

अभय ने कहा कि प्रदेशभर में 19 लाख से अधिक किसान परिवार हैं और 2014 तक प्रति किसान पर 99 हजार 212 रुपये का कर्जा था। दिसंबर तक यानी पांच वर्षों में यह बढ़कर प्रति किसान एक लाख 82 हजार 922 रुपये हो गया। अभय ने जब अपने ही आंकड़े सदन में रखने शुरू किये तो स्पीकर डा. ज्ञानचंद गुप्ता ने उन्हें टोकते हुए कहा कि वे अपना सवाल पूछें।

स्पीकर मंत्री की सीट पर आकर बैठ जाएं

मामला उस समय गरमा गया जब अभय ने कहा कि स्पीकर को मंत्री की सीट पर आकर बैठ जाना चाहिए। इस पर स्पीकर ने कहा कि वे मंत्री का बचाव नहीं कर रहे। गर्मागर्मी के बीच अभय ने सरकार से पूछा कि आठ सालों में कितने किसानों ने आत्महत्या की है। किसानों पर कितना कर्ज है और सरकार की कर्ज माफी की कोई योजना है या नहीं। सरकार ने अभय के सवालों का जवाब देने के लिए 15 दिन का समय मांगा है।

संदीप सिंह को विपक्ष ने घेरा, बचाव में उतरी सरकार

चंडीगढ़। जूनियर महिला कोच से छेड़छाड़ के आरोपित मंत्री संदीप सिंह के बचाव में सरकार एकजुटता से खड़ी दिखी। बजट सत्र के पहले चरण में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर सदन से नदारद रहे राज्यमंत्री शुक्रवार को विधानसभा पहुंचे तो शून्यकाल में कांग्रेस ने सीधा हमला बोल दिया।

कांग्रेसियों के हंगामे और वॉकआउट को दरकिनार करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने न केवल जांच पूरी होने तक मंत्री को लेकर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया, बल्कि संदीप सिंह के बारे में की गई सभी टिप्पणियों को विधानसभा रिकॉर्ड से निकलवा दिया। इस दौरान मंत्री पर आरोप लगाने वाली जूनियर महिला कोच भी विधानसभा चौक तक पहुंच गई, लेकिन पुलिस ने उसे वहां से लौटा दिया।

Edited By: Swati Singh