जिला अस्पताल-ट्रामा पर 5 एंबुलेंस में से 2 खराब, शेष तीन से एक को लगाया मेला ड्यूटी
स्वास्थ्य मंत्री के गृह क्षेत्र के जिला अस्पताल एवं ट्रामा सेंटर में एंबुलेंस सेवा की हालत पतली चल रही है। रेफरल ट्रांसपोर्ट सेवा का हाल यह है कि ट्रामा सेंटर व जिला अस्पताल के लगाई पांच गाड़ियों में से 2 खराब हैं। आन रिकार्ड जो तीन गाड़ियां शेष बची हैं उनमें से एक की ड्यूटी अगले चार दिनों के लिए वामन द्वादशी मेले में लगा दी गई है। यह हालात तब हैं जबकि एक गाड़ी को पहले ही माजरी पीएचसी से हटाकर ट्रामा सेंटर पर लगाया हुआ है। रेफरल ट्रांसपोर्ट के इन हालात का खामियाजा मरीज झेल रहे हैं। जिन्हें लंबे समय तक गाड़ियों का इंतजार करना पड़ रहा है। आपात अवस्था में भी मरीजों को समय पर गाड़ी नसीब नहीं हो रही हैं। जिससे प्राइवेट वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर
स्वास्थ्य मंत्री के गृह क्षेत्र के जिला अस्पताल एवं ट्रामा सेंटर में एंबुलेंस सेवा की हालत पतली चल रही है। रेफरल ट्रांसपोर्ट सेवा का हाल यह है कि ट्रामा सेंटर व जिला अस्पताल के लगाई पांच गाड़ियों में से 2 खराब हैं। आन रिकार्ड जो तीन गाड़ियां शेष बची हैं उनमें से एक की ड्यूटी अगले चार दिनों के लिए वामन द्वादशी मेले में लगा दी गई है। यह हालात तब हैं जबकि एक गाड़ी को पहले ही माजरी पीएचसी से हटाकर ट्रामा सेंटर पर लगाया हुआ है। रेफरल ट्रांसपोर्ट के इन हालात का खामियाजा मरीज झेल रहे हैं। जिन्हें लंबे समय तक गाड़ियों का इंतजार करना पड़ रहा है। आपात अवस्था में भी मरीजों को समय पर गाड़ी नसीब नहीं हो रही हैं। जिससे प्राइवेट वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है।
जानकारी मुताबिक स्वास्थ्य विभाग के रेफरल ट्रांसपोर्ट बेड़े में इस वक्त पूरे जिले के लिए 23 गाड़ियां हैं। शहर नागरिक अस्पताल व ट्रामा सेंटर पर पांच गाड़ियां लगाई हुई हैं। प्रसूति विभाग पर विशेषकर बच्चों के लिए लगाई एएलएफ यानी नीयो नेटल एंबुलेंस व जननी के लिए लगाई किलकारी के अलावा नेशनल हाइवे पर दुर्घटनाओं के लिए लगाई एनएचएआई की एंबुलेंस खराब है। इसके अतिरिक्त नग्गल पीएचसी की ¨वगर गाड़ी करीब 10 दिनों से खराब चल रही है। वहीं, माजरी पीएचसी की टाटा सूमो गाड़ी को ट्रामा सेंटर में लगाए जाने से चौड़-मस्तपुर की गाड़ी पर नग्गल के अलावा माजरी का भी अतिरिक्त दबाव है।
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गाड़ियां जल्द ठीक नहीं हुई तो बिगड़ेंगे हालात
- जिले के रेफरल ट्रांसपोर्ट से जुड़ी गाड़ियों पर रोजाना करीब 75 कॉल आती हैं। मरीजों के मुताबिक गाड़ियां कम पड़ रही हैं। जो गाड़ी पीजीआई चली जाती है फिर करीब दो घंटे तक वह नहीं आ पाती। अकसर ट्रामा सेंटर पर मरीजों के परिजनों को ट्रामा सेंटर पर गाड़ी उपलब्ध नहीं होने के चलते लड़ते झगड़ते देखा जा रहा है। गाड़ियां पर्याप्त नहीं होने का फायदा प्राइवेट एंबुलेंस को मिलता है। मरीजों को मुंह मांगें दाम देने पड़ते हैं। अगर खराब गाड़ियां ठीक होकर जल्द वापस नहीं आती तो फिर ट्रामा सेंटर में आपात सेवाओं की हालात और खराब होना तय है।