पत्र लिखने वालों का आज तक नहीं मिला कोई सुराग, कहीं छोटी सी चूक न पड़ जाए भारी
अंबाला ही नहीं प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों के भी कई रेलवे स्टेशनों और धार्मिक स्थलों को एक या दो बार नहीं बल्कि कई बार बम से उड़ाने की धमकी मिल चुकी है।
जागरण संवाददाता, अंबाला : अंबाला ही नहीं प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों के भी कई रेलवे स्टेशनों और धार्मिक स्थलों को एक या दो बार नहीं बल्कि कई बार बम से उड़ाने की धमकी मिल चुकी है। धमकी भरे इन पत्रों में आतंकी संगठनों ने जिम्मेदारी ली है लेकिन आज तक पत्र भेजने वालों को सुराग नहीं लगा। पिछले छह माह में यह तीसरा बड़ा मामला सामने आया है और पुलिस केवल एक मामले को ही सुलझा पाई है। इसके अलावा छावनी स्टेशन परिसर में आरडीएक्स से भरी मिली कार का भी कोई सुराग नहीं लग पाया। ।
26 सितंबर को मिला था डायरेक्टर
26 सितंबर 2018 को आतंकी संगठन के नाम से स्टेशन डायरेक्टर बीएस गिल को धमकी भरा पत्र मिला था। पत्र में माता वैष्णो देवी मंदिर के अलावा पंजाब एवं जम्मू कश्मीर के राज्यपालों की हत्या की धमकी भी दी गई थी। ऐसा ही पत्र जम्मू रेलवे स्टेशन अधीक्षक अजय गुप्ता के नाम लिखा मिला था जिसमें लिखा था'हमारे खुदा हमको माफ करना। हम अपने जेहादियों के मौत का बदला जरूर लेंगे। 20 अक्टूबर को जम्मू तवी रेलवे स्टेशन, उधमपुर-कटरा-पठानकोट, श्रीनगर, जम्मू कश्मीर के प्रमुख रेलवे स्टेशन बम से उड़ा देंगे। 10 नवंबर को रघुनाथ मंदिर, वैष्णो देवी कटरा, अमरनाथ मंदिर, भैरो नाथ मंदिर, अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को बम से उड़ा देंगे। इस बार हम दहशत और दीवाली हिदुस्तानियों के खून से मनाएंगे।
अब फिर से डायरेक्टर के नाम मिला पत्र
मंगलवार को फिर से स्टेशन डायरेक्टर के नाम डाक में एक धमकी भरा पत्र आया है। 16 मई को कुरुक्षेत्र के कई मंदिर, अंबाला कैंट के बस अड्डा, फौजी कैंप को बम से उड़ाने की धमकी दी गई है।
केवल एक मामला ही सुलझा
वहीं एक अप्रैल को रेलवे के हेल्पलाइन नंबर 182 पर किसी अज्ञात मोबाइल से दो बार रेलवे स्टेशनों को बम से उड़ाने की धमकी मिली थी। साहा थाने में दर्ज किए गए इस मामले में तीन दिन बाद ही सीआइए-2 टीम ने भिवानी से एक आरोपित को गिरफ्तार कर मामला सुलझाया। लेकिन पूछताछ में उसने बताया कि नशे की हालत में उसने फोन कर दिया था। 12 दिन का रिमांड खत्म होने के बाद सोमवार को उसे भी जेल भेज दिया गया।
स्टेशन पर मिल चुकी आरडीएक्स से भरी गाड़ी
वहीं वर्ष 2011 में स्टेशन परिसर की पार्किंग में ही कोई अज्ञात आरडीएक्स से भरी एक गाड़ी छोड़ गया था। लेकिन इंटेलीजेंस की सूचना से पहले ही इसका पता चल गया था और सुरक्षा एजेंसियों ने मौके पर पहुंचकर गाड़ी अपने कब्जे में ले ली थी। लेकिन आज तक भी पुलिस ही नहीं बल्कि सुरक्षा एजेंसियां भी इस गाड़ी के मालिक या इसे पार्किंग में खड़े करने वालों का कोई पता नहीं निकाल सकी है।
सुरक्षा की दृष्टि से नहीं कोई खास व्यवस्था
वहीं छावनी रेलवे स्टेशन चारों दिशाओं से खुला है। जिसका जहां से मन चाहे वह बिना किसी रोक-टोक के आ जा सकता है। स्टेशन पर सुरक्षा की ²ष्टि से कोई खास व्यवस्था नहीं है। न तो स्टेशन में यात्रियों के सामान को चेक करने के लिए कोई स्केनिग मशीन है और न ही कोई मेटल डिटेक्टर डोर लगा हुआ है। हालांकि जीआरपी के पास सुरक्षा के लिहाज से दो मेटल डिटेक्टर डोर है लेकिन दोनों ही खराब होने के कारण यहां से उन्हें लंबे समय से हटाया हुआ है।