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एसपीओ ने थामे बसों के स्टेय¨रग, हड़ताल खत्म होते ही फिर से बेरोजगार होंगे अस्थायी भर्ती परिचालक

मांगें पूरी कराने के लिए हरियाणा रोडवेज कर्मचारियों की शुरू की गई हड़ताल का पांचवें दिन भी व्यापक असर देखने को मिला। कुल मिलाकर 90 प्रतिशत बसों के पहिये थमे रहे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Oct 2018 01:29 AM (IST)Updated: Sun, 21 Oct 2018 01:29 AM (IST)
एसपीओ ने थामे बसों के स्टेय¨रग, हड़ताल खत्म होते ही फिर से बेरोजगार होंगे अस्थायी भर्ती परिचालक
एसपीओ ने थामे बसों के स्टेय¨रग, हड़ताल खत्म होते ही फिर से बेरोजगार होंगे अस्थायी भर्ती परिचालक

जागरण संवाददाता, अंबाला : मांगें पूरी कराने के लिए हरियाणा रोडवेज कर्मचारियों की शुरू की गई हड़ताल का पांचवें दिन भी व्यापक असर देखने को मिला। कुल मिलाकर 90 प्रतिशत बसों के पहिये थमे रहे। रोडवेज की ओर से जनता को राहत देने के लिए चलाई गई प्राइवेट स्कूलों की बसों के पहिये भी दूसरे दिन बहुत कम चले। हालांकि अधिकारियों ने कुछ पुलिस एसपीओ को रोडवेज बसों के स्टेय¨रग थमाए, लेकिन वह भी एक चक्कर लगाने के बाद हाथ खड़े कर गए। छावनी से पंजाब की ओर जाने वाली बसों में पुलिसकर्मियों को तैनात कर भेजा जा रहा है, ताकि कोई दिक्कत न आए। शनिवार को भी बस अड्डे पर चालक-परिचालक के लिए फार्म जमा कराने के लिए युवाओं का तांता लगा रहा। हालांकि इसमें 10 साल के अनुभव की शर्त भी आड़े आ रही है।

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दिल्ली-चंडीगढ़ के लिए सबसे अधिक मारामारी

अंबाला से रोजाना सैकड़ों लोग चंडीगढ़ की ओर सरकारी नौकरी के लिए जाते है। ऐसे में यहां से चंडीगढ़ जाने वाली रोडवेज बसों की संख्या काफी कम है। इसी कारण लोगों को सीटीयू या फिर पंजाब की बसों का चंडीगढ़ जाने के लिए सहारा लेना पड़ रहा है। इसी तरह से दिल्ली के लिए यहां से एक मिनट में तीन बसें निकलती हैं, लेकिन चार दिन में रोडवेज की कुल 50 बसें भी नहीं चल पाई है। दिल्ली, पानीपत, कुरुक्षेत्र, रोहतक, गुड़गांव या करनाल की तरफ जाने वाले यात्रियों को निजी बसों का सहारा लेना पड़ रहा है।

निजी बस संचालक कर रहे वसूली

इस हड़ताल का सबसे अधिक फायदा निजी प्राइवेट बसों के संचालक उठा रहे हैं। कुछ निजी संचालकों को अंबाला से जगाधरी का रूट परमिट मिला हुआ है, लेकिन रोडवेज की बसें नहीं चलने के कारण संचालक अपनी निजी बसों को अंबाला से पानीपत के लिए चला रहे हैं। ऐसे में नियमों को ताक पर रखकर ये बसें दूसरे रूट पर दौड़ाई जा रही हैं। इसके बावजूद उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

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आड़े आ रही 10 साल की शर्त

रोडवेज की हड़ताल अनिश्चितकालीन होने के बाद अब सरकार ने भी थमे बसों के पहियों को चलाने के लिए चालक-परिचालकों की भर्ती निकाल दी है। अंबाला जिले में छावनी बस अड्डे पर फार्म भरकर जमा कराए जा रहे हैं, लेकिन आवेदन फार्म में परिचालक के लिए 10 साल का अनुभव मांगा जा रहा है। हालांकि अस्थाई तौर पर की जा रही यह भर्ती केवल तीन महीने के लिए होगी। हड़ताल खत्म होते ही स्थायी कर्मियों के ड्यूटी पर वापस आते ही इन अस्थायी भर्ती के कर्मियों को दोबारा बेरोजगार कर दिया जाएगा। शनिवार को आवेदन फार्म जमा कराने के लिए काफी धक्का-मुक्की हुई।


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