परेड की जनता ने डीसी को लिखा पत्र, बोले, हो रहा मानवाधिकार का उल्लंघन
छावनी के सैन्य क्षेत्र में परेड की जनता ने डीसी को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है साथ ही संयुक्त समाज सेवा संघ के आह्वान पर एकजुट हुए लोगों ने कैंटोनमेंट बोर्ड की कार्रवाई को मानवाधिकार की उल्लंघना बताया है।
जागरण संवाददाता, अंबाला : छावनी के सैन्य क्षेत्र में परेड की जनता ने डीसी को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है साथ ही संयुक्त समाज सेवा संघ के आह्वान पर एकजुट हुए लोगों ने कैंटोनमेंट बोर्ड की कार्रवाई को मानवाधिकार की उल्लंघना बताया है। धरने पर बैठे 200 परिवारों ने आरोप लगाया है कि जब अंग्रेजों से देश आजाद हुआ तो यहां की जनता को राजनीति ने उन्हें अपना गुलाम बना लिया। इसीलिए आज तक उन्हें जमीन का मालिकाना हक नहीं मिल पाया।
इसीलिए कैंटोनमेंट बोर्ड के अधिकारियों का परेड में हुकुम चलता है। इसी हुकुम के चलते 6 फरवरी को परेड में बिना नोटिस के मकान गिरा दिए गए। इससे परिवार सदमे में है और लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। कैंटोनमेंट की यह ज्यादती का सिर्फ जगन्नाथ का परिवार शिकार नहीं हुआ है बल्कि पूर्व में काफी लोगों का मकान गिरा दिए गए। इसीलिए यहां की जनता मालिकाना हक की मांग कर रही है। इसी के चलते 8 फरवरी से घटनास्थल पर पीड़ित परिवार के साथ-साथ करीब 200 परिवार धरने पर बैठ गए हैं। यहां की जनता पहले स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के आवास पर पहुंची थी लेकिन मंत्री तबीयत खराब होने की वजह से नहीं मिले और बाद में मिलने की बात कहीं। इसीलिए जनता को मंत्री आवास पर बोर्ड उपाध्यक्ष ने समझाने का प्रयास किया। इसके बाद जनता बोर्ड कार्यालय के गेट पर पहुंचे और रोष प्रकट किया। अभी तक मंत्री से प्रशासन तक अभी कोई सुनवाई आम जनता की नहीं हुई है दूसरी तरफ विपक्षी राजनैतिक पाíटयों ने अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने का सिलसिला शुरू कर दिया है।
बहुत सी चीजें होती है जिसमें फंस जाती हैं सरकारें
अंबाला कैंट का इतिहास और चरित्र अलग है। मालिकाना हक की समस्या बहुत पुरानी है जो लंबे समय से कोर्ट में भी चली रही और बीच-बीच में केंद्रीय मंत्री रहते हुए मैं भी इस मामले से जुड़ी रही। यह मामला अंबाला नहीं बल्कि पूरे देश के 62 कैंटोनमेंट का है। फिर चाहे हमारी कांग्रेस सरकार रही हो या बीच-बीच में अन्य सरकार कोई सरकार रही हो। जमीन के मालिक कोई ओर हैं जिनसे अंग्रेजों ने 200 साल पहले लीज पर लेकर इक्वायर किया। लेकिन यह मामला हमारी सेना सुरक्षा से जुड़ा है और सेना का भी अलग अस्तित्व होता है। इसीलिए बहुत सी चीजें जानते हुए भी सरकारें फंस कर रह जाती है। इसीलिए जब प्रणव मुखर्जी डिफेंस मिनिस्टर थे तो मैं इस मामले को लेकर उनके पास गई थी और कहा था कि यदि हमारी बात को नहीं सुनोगे तो मैं मंत्रालय के सामने बैठ कर धरना दूंगी। यह समस्या बार-बार आती है। हर समस्या का हल समय से ही निकलता है।
- कुमारी सैलजा, निजी कार्यक्रम में मालिकाना हक पर दिया बयान..