पूर्ण संत का स्वरूप ही पवित्रता मे समाहित : दयानंद भारती
पूर्ण संत का स्वरूप ही पवित्रता मे समाहित है। मन,वचन और कर्म से यदि कोई भी व्यक्ति सद् आचरण करता है तो वही वास्तव मे संत है ।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : पूर्ण संत का स्वरूप ही पवित्रता मे समाहित है। मन,वचन और कर्म से यदि कोई भी व्यक्ति सद् आचरण करता है तो वही वास्तव मे संत है । यह सद् विचार श्री रेणुका जाते हुए महामंडलेश्वर स्वामी दयानंद भारती जी ने कहे । पटेल नगर स्थित आश्रम मे स्वामी दयानंद भारती का भक्तों ने भव्य स्वागत कर आशीर्वाद लिया। इस मौके चरणजीत मोहड़ी ने बताया कि स्वामी दयानंद भारती को प्रयागराज में कुंभ के अवसर पर हजारो संतों की उपस्थिति मे एवं बसंत पंचमी पर जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि ने महामंडलेश्वर की उपाधि से विभूषित कर पट्टाभिषेक किया है। जो कि भक्तों के लिए गौरव का पल है। इस मौके रश्मि जंडली, रमेश गुप्ता,हरनेक,राजेन्द्र शर्मा,ज्ञानचंद सैणी,बृज भूषण गोयल कैथ माजरी,योगेश गुप्ता,दीपचंद गुप्ता,रजनीश जंडली, पुरुषोत्तम लाल, सुरेश शर्मा, दर्शन लाल और अन्य भक्त मौजूद रहे।