मालिकाना हक की लड़ाई, बारिश में भी जारी रहा धरना
सैन्य क्षेत्र में अंग्रेजों के समय में बसाई परेड की जनता के मालिकाना हक की लड़ाई जारी है। बारिश के बीच उनका हौसला और जुनून कम नहीं हुआ।
जागरण संवाददाता, अंबाला : सैन्य क्षेत्र में अंग्रेजों के समय में बसाई परेड की जनता के मालिकाना हक की लड़ाई जारी है। बारिश के बीच उनका हौसला और जुनून कम नहीं हुआ। इसीलिए सोमवार सुबह से शाम तक जनता ने धरना जारी रखा। इसके अलावा वाट्सएप पर भी लोगों ने कहा कि सप्ताह में छह दिन तक जनता शांतिपूर्ण तरीके से अपना धरना परेड में ही देगी और सातवें दिन यानि रविवार को एक रैली निकाली जाएगी जिसमें तानाशाही रवैये की पोल खोली जाएगी। यह धरना 8 फरवरी को शुरू हुआ था क्योंकि बोर्ड ने बिना लिखित आदेशों के ही जगन्नाथ के बेटों की ओर से बनाए जा रहे मकान को गिरा दिया गया था।
सोशल मीडिया पर भी पूर्व पार्षद का विरोध
असल में परेड की जनता अपने पूर्व पार्षद से भी परेशान हैं। पूर्व पार्षद इस धरने से अलग चु¨नदा लोगों को अपने साथ लेकर अलग बयान देते हैं। इतना ही जनता के साथ धरने पर एक बार भी नहीं पहुंचे। रविवार को जब रैली निकाली गई तो पूर्व पार्षद जनता के साथ नहीं दिखा। लेकिन जब जनता का प्रतिनिधि मंडल मंत्री अनिल विज से बातचीत करने के लिए पहुंचा तो इसी दौरान पूर्व पार्षद भी फोटो खिंचवाने के लिए बीच में आ गए। इसका विरोध दबी जुबां पर मौके पर हुआ लेकिन सोशल मीडिया पर यह विरोध खुलकर सामने आ गया। रैली की कवरेज को जब वाट्सएप पर मालिकाना हक जनसभा के ग्रुप में शेयर किया गया तो चार मिनट के बाद ही कांशी राम की पोस्ट पर एक राजकुमार ने लिखा कि Þललित जी फोटो खिंचवाने के लिए आगे रहते हैं'। इस पर महिला सुषमा ने लिखा कि बिलकुल सही कहा कि काम तो कुछ करना नहीं है तो फोटो खींचवाने में आगे ही रहेंगे। युवा हितेश सक्सेना भी पीछे नहीं हटे। हितेश पहले महिला के कमेंट पर हंसे और बोले कि टांग खींचने के लिए भी और हलवा बनाने के लिए भी। संजय कुमार ने लिखा कि अब बस। अब वो होगा। जो परेडवासी चाहते है। इसीलिए परेड एकता ¨जदाबाद। साथ ही एक ओर बात कहीं कि अभी तो पहला शॉट है मैच में रोमांच अभी बाकी है।