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ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल तालाबों का भी मिट रहा अस्तित्व

कस्बे की ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल राजाओं वाला तालाब का अस्तित्व मिटता जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Jun 2019 08:00 PM (IST)Updated: Tue, 11 Jun 2019 06:34 AM (IST)
ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल तालाबों का भी मिट रहा अस्तित्व
ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल तालाबों का भी मिट रहा अस्तित्व

संवाद सहयोगी, नारायणगढ़ : कस्बे की ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल राजाओं वाला तालाब का अस्तित्व मिटता जा रहा है। प्रशासन की अनदेखी के कारण शिव मंदिर के नजदीक कभी पानी से लबालब रहने वाला यह तालाब अब खुद पानी के लिए तरस रहा है। इस तालाब का पानी कभी रानियों और स्थानीय लोगों को अपनी और आकर्षित करता था। तब से लेकर आज तक इस तालाब को स्थानीय लोगों से जीवंत रिश्ता रहा है।

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राजा वाला तालाब न केवल जलस्रोत का साधन रहा बल्कि यहां की संस्कृति का केंद्र भी रहा है। वर्तमान में इस तालाब की स्थिति ऐसी भयावह हो गई है कि इसके अंदर जाने से भी डर लगता है। अब इस तालाब में सांप, नेवले, बिच्छू आदि खतरनाक जीवों का सम्राज्य है। देखा जाए तो इस तालाब को ऐसे हालात तक पहुंचाने में प्रशासन जिम्मेदार है। स्थानीय निवासी बहुत पहले से इस तालाब की सफाई की मांग करते रहे लेकिन शासन प्रशासन ने एक ना सुनी। इस तालाब से पशुपालकों को भी लाभ मिलता था। पूरे शहर के मवेशी यहां पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते थे। एक और जहां तेजी से भू जल स्तर में गिरावट आई है वहीं मवेशियों को पानी के लिए भटकते हैं। इसके अलावा इस तालाब की खास बात यह भी थी की इसके साथ ही शिव मन्दिर है कि यहां छायादार पेड़ लगे हुए हैं। यही पर धर्मप्रेमी व राहगीर पूजापाठ व विश्राम किया करते थे।

कभी नहाया करती थी रानियां

नारायणगढ़ कभी नाहन (हिमाचल)की रियासत का हिस्सा था। जहां अब पुलिस थाना और सीआईए स्टाफ है वह राजा का किला था। रानियों के नहाने के लिए इस तालाब में विशेष रूप से घाट बनाया गया था जिसका रास्ता मन्दिर से होकर आता था। इसके अलावा राजसी लोगों के लिए अलग घाट बनाया गया था। नगरपालिका और प्रशासन न तो ऐतिहासिक धरोहर की देखरेख कर सके और न ही तालाब के अस्तित्व को बचा सके हैं।

राजतंत्र के दौरान शहर में आने वाले साहुकारों की प्यास बुझाता था तालाब

वर्तमान में इस तालाब का जीर्णोद्धार करने की बजाय इसके अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। शहर की गंदगी इस तालाब में गिराई जा रही है। शहरवासियों का आरोप है कि विकास के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करने की बात कहने वाली नगरपालिका तालाब को खत्म करने पर जुटी है।

मिटती धरोहरों का जिम्मेदार कौन

राजा वाला तालाब के अस्तित्व पर मंडराते खतरे के जिम्मेदार नागरिक पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि सभी है। आज भी इस तालाब पर शहर में होने वाले धार्मिक अनुष्ठान से लेकर कर्मकांड तक किए जाने में परहेज नहीं है, लेकिन वह दिन दूर नहीं जब इन कर्मो के लिए टैंकर से पानी मंगवाना पड़ेगा।

वर्जन

मुख्यमंत्री ने शहर के विकास के लिए दस करोड़ देने की घोषणा की थी। उसी दौरान राजा वाला तालाब के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव डीसी को भेज दिया गया था। इस बारे में अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।

-श्रवण कुमार डबलाना, प्रधान नगरपालिका नारायणगढ़।


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