लापरवाही निगम की अब भुगत रहे 300 मीट शॉप व 250 रेहड़ी-फड़ी संचालक
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर: मीट खाने के शौकीनों को अब कभी भी झटका लग सकता है। नियम
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर: मीट खाने के शौकीनों को अब कभी भी झटका लग सकता है। नियमों को पूरा न करने वाले मीट शॉप संचालकों पर नगर निगम ने कार्रवाई शुरू कर दी है। इसी तरह रेहड़ी-फड़ी मार्केट पर भी रोक लगा दी गई है। अलबत्ता अब इन दोनों कारोबारों से जुड़े हजारों लोगों के बेरोजगार होने की नौबत आन खड़ी हुई है। क्योंकि नगर निगम को इनके लिए पहले व्यवस्था करनी थी। अंबाला शहर में लगने वाली बृहस्पतिवार मार्केट के साथ- साथ ही रेहड़ी-फड़ियों को भी उठा दिया गया है। लेकिन इससे पहले स्ट्रीट वेंडर जोन बनाए जाने थे जोकि नहीं बने। यही हाल मीट शाप संचालकों का है। पशुओं को काटने के लिए स्लाटर हाउस का होना अनिवार्य है जिसके लिए जगह ही चयनित नहीं हो सकी। वहीं छावनी में पहले से बने हुआ 18 लाख का सलाटर हाउस बिना चले कंडम हो गया है।
ध्यान रहे कि नगर निगम ट्विन सिटी में 300 मीट शाप व 250 रेहड़ी-फड़ी शहर एरिया में हैं। इन्हें बंद करने और हटाने का काम शुरू कर दिया गया है जबकि छावनी की रेहड़ियों को अभी हटाने का काम छेड़ा नहीं गया।
---------------------
हाउस में लग चुकी है मुद्दों पर मुहर, 6 माह बाद भी नहीं हुई बैठक
नगर निगम हाउस की मार्च में हुई बैठक में इन दोनों मुद्दों पर सदन ने मुहर लगा दी थी। जबकि स्ट्रीट वे¨डग जोन बनाने के निर्देश प्रत्येक जिले में नगर निगम को खुद मुख्यमंत्री ने दिए थे। दो साल बाद भी मुख्यमंत्री के आदेशों की अनुपालना अंबाला जिले में नहीं हो सकी। हालांकि रेहड़ी-फड़ी वालों को उठा दिया गया है। यह रेहड़ी-फड़ी संचालक कई बार नगर निगम आयुक्त से लेकर मेयर रमेशमल तक से जगह दिलाने की गुहार लगा चुके हैं लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। शहर में करीब 250 रेहड़ी-फड़ी संचालक व इनसे जुड़े अन्य लोगों के साथ इनके परिवारों के सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है। स्लाटर हाउस बनाने के मुद्दे पर भी मुहर लग चुकी है लेकिन एक कदम भी निगम आगे नहीं बढ़ा। अपनी गलती को छुपाने और विभागीय आदेशों की अनुपालना के लिए अब नगर निगम ने मीट शाप ही बंद करानी शुरू कर दी हैं। क्योंकि न रहेंगी मीट शाप और न बनाना पड़ेगा सलाटर हाउस। नगर निगम इस नीति पर चल रहा है।
-------------------
फंड का बनाया बहाना, कैसे कराएं मी¨टग
अब अधिकारियों व मेयर ने यह कहना शुरू कर दिया है कि जब फंड ही नहीं है तो वह हाउस की बैठक कराकर क्या करें? लेकिन जो मुद्दे पहले ही पास हुए पड़े हैं और वह दो साल से शुरू ही नहीं हुए उनपर बोलने वाला भी न कोई पार्षद है न मेयर। लिहाजा किसी भी वार्ड का विकास नहीं हो रहा। जनता मूलभूत सुविधाओं के लिए ठोकरें खा रही है। नगर निगम कार्यालय शहर व छावनी में जनरेटर की व्यवस्था करानी थी जोकि आजतक नहीं हो सकी। अलबत्ता जनता अपने कार्य के लिए नगर निगम में पहुंचती तो जरूर है लेकिन बत्ती गुल होने के कारण अकसर लोगों को बैरंग ही लौटना पड़ता है।
--------------
मैंने तो परसों भी आयुक्त साहब से बैठक के बारे में कहा था लेकिन वह फंड नहीं होने की बात कह रहे हैं। बिना फंड के बैठक बुलाकर भी क्या करें न ही आयुक्त साहब इस बारे में कुछ बता रहे हैं। कई बार बैठक के लिए मैं लिख चुका हूं। सलाटर हाउस और स्ट्रीट वें¨डग जोन का प्रस्ताव भी पास हो चुका है जल्द ही काम शुरू कर दिया जाएगा।
रमेशमल, मेयर नगर निगम।