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निजी बसों से घर जा रहे प्रवासी कामगार

छावनी बस अड्डे से सहकारी समिति की बसों से प्रवासी श्रमिकों को उनके घर उत्तर प्रदेश और बिहार पहुंचाने के नाम पर मनमाना किराया वसूल किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2020 11:31 AM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2020 11:31 AM (IST)
निजी बसों से घर जा रहे प्रवासी कामगार
निजी बसों से घर जा रहे प्रवासी कामगार

जागरण संवाददाता, अंबाला : छावनी बस अड्डे से सहकारी समिति की बसों से प्रवासी श्रमिकों को उनके घर उत्तर प्रदेश और बिहार पहुंचाने के नाम पर मनमाना किराया वसूल किया जा रहा है। यात्रियों को बसों में सवार करते समय बस के आपरेटर की ओर से उनकी स्क्रीनिंग भी नहीं की जा रही है। यात्रियों को बैठाते समय शारीरिक दूरी का भी ख्याल नहीं रखा जा रहा। घंटों बस में इंतजार करने के बाद यमुनानगर पहुंचने के बाद बस से सवारी को टूरिस्ट बसों में बैठाकर बिहार और उत्तर प्रदेश पहुंचाया जा रहा है। इस खेल में निजी आपरेटर और यमुनानगर की एक टूरिस्ट संचालक की मिलीभगत है।

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छावनी बस अड्डे से प्रवासी श्रमिकों को लेकर जाने वाली समिति की बसों से यात्रियों को यमुनानगर में दूसरी बस में सवार किया जाता है। यमुनानगर से रोजाना दो से तीन टूरिस्ट की बसें प्रवासी श्रमिकों को लेकर बिहार के अलग-अलग जिलों के लिए रवाना होती हैं।

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आरटीए की चेकिग भी पड़ी धीमी

अवैध रूप से सड़कों पर चलने वाले वाहनों पर नकेल कसने वाला आरटीए विभाग की चेकिग भी इन दिनों धीमी पड़ती नजर आ रही है। आरटीए का अतिरिक्त कार्यभार देख रहे जिला स्तरीय अधिकारी इन दिनों कोविड-19 से लेकर प्रशासनिक अधिकारी अपने मूल विभाग की कार्रवाई में व्यस्त हैं।

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सरल केंद्र से परमिशन के नाम पर खेल

सरल केंद्र की वेबसाइट से बस को दूसरे राज्य में लेकर जाने की अनुमति ली जाती है। जबकि इसके तहत बस में सवार होने वाले प्रवासी श्रमिकों का भी परमिशन होना चाहिए। इसमें से अधिकतर बसों का करीब चार-चार महीने का टैक्स भी आरटीए में बकाया चल रहा है।

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निजी बसों को अड्डे से बाहर किया

छावनी बस अड्डा परिसर से समिति की बसों से प्रवासी श्रमिकों को सीधे बिहार और उप्र पहुंचाने के नाम पर चल रहे खेल की जानकारी होने पर एसएस विजेंद्र चौहान ने लाल बसों को बाहर करा दिया। एसएस ने कहा कि जिन बसों में सवारी बैठाई जा रही है उसका परमिशन नहीं है और अड्डा फीस भी जमा नहीं है। इसलिए समिति की बसों को अड्डे के बाहर कर दिया गया है।

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वर्जन

अगर इस तरह का काम हो रहा है तो गलत है। मैं आस्ट्रेलिया से वापस आया हूं और 3 जुलाई तक होम क्वारंटाइन हूं। मैं इस बारे में जो भी आपरेटर अपनी बसें गलत तरीके से चलवा रहा है उससे बात करूंगा।

रामनाथ राना, प्रधान परिवहन समिति।

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बेरोजगार हो गया, घर जाना मजबूरी

फोटो : 04

काम की तलाश में आया था। लॉकडाउन के कारण फैक्ट्री बंद हो गई और बेरोजगार हो गया। काम छूट जाने के बाद मजबूरी में घर शाहजहांपुर जाने के लिए 1500 रुपये देकर बस में सवार हुआ हूं।

मिथुन कुमार वासी शाहजहांपुर यूपी।

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काम बंद, गांव जा रहा

फोटो : 05

काम धंधा बंद हो गया। सेठ ने नौकरी से बाहर कर दिया। किसी तरह तीन महीने काटे, अब बेरोजगारी आ चुकी है, अपने गांव परिवार के पास जा रहा हूं। बस में सवार होने से पहले 1500 रुपये किराया दिया है।

टेबिड, वासी शाहजहांपुर यूपी।

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काम छूटने के बाद घर ही सहारा

फोटो : 06

लॉकडाउन के कारण काम छूट गया। पहले हर महीने करीब 20 से 25 हजार कमा लेता था, लेकिन अब सबकुछ बंद हो गया है, इसलिए अपने घर शाहजहांपुर जा रहा हूं। जिसके लिए 1500 रुपये किराया जमा कराया।

सुमित कुमार वासी शाहजहांपुर यूपी।


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