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ढाई घंटे चली बैठक में जल संरक्षण का पढ़ाया पाठ, बजट के नाम पर हाथ खाली

जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार की टीम ने बुधवार को जिला प्रशासन के अफसरों के साथ मैराथन बैठक कर जिले के गिरते भूजल स्तर पर चिता जताई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Jul 2019 07:20 AM (IST)Updated: Thu, 11 Jul 2019 07:20 AM (IST)
ढाई घंटे चली बैठक में जल संरक्षण का पढ़ाया पाठ, बजट के नाम पर हाथ खाली
ढाई घंटे चली बैठक में जल संरक्षण का पढ़ाया पाठ, बजट के नाम पर हाथ खाली

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर :

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जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार की टीम ने बुधवार को जिला प्रशासन के अफसरों के साथ मैराथन बैठक कर जिले के गिरते भूजल स्तर पर चिता जताई। जिले में तीन दिनों के लिए आई इस टीम का नेतृत्व कर रहे मंत्रालय के संयुक्त सचिव रामबीर व उनकी टीम ने अढ़ाई घंटे तक चली बैठक में जोहड़ व तालाबों की हालात सुधारने, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, वाटर शेड डवलपमेंट, बोरवेल रिचार्ज स्ट्रक्चर करने, वर्षा जल संचयन आदि को लेकर पाठ पढ़ाया। इतना ही नहीं सरकारी संस्थानों की दीवारों पर जागरूकता स्लोगन लिखने व कैंप लगाने की सीख भी दी। इस टीम ने सारी जानकारी पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के तहत दी। हालांकि, जब जिले की आला अधिकारी ने इस इन कार्यों को पूर्ण करने के लिए बजट के प्रावधान बारे पूछा तो केंद्रीय टीम ने यह कहकर अधिकारियों के उत्साह को ठंडा कर दिया कि इसके लिए अभी बजट का कोई प्रावधान नहीं है। बैठक में एक पल के लिए मानो सन्नाटा छा गया। इस बीच जिला प्रशासन के अधिकारियों ने मौके को संभालते हुए कहा कि इसके लिए कुछ कार्य तो वह मनरेगा के माध्यम से करा लेंगे तो कुछ सिचाई विभाग व अन्य भूजल से सीधे जुड़े महकमों के तालमेल से करा लेंगे। इसके लिए संस्थाओं से भी आह्वान किया जाएगा। इस बैठक के बाद टीम ने जमीनी स्तर पर जाकर भी जल संचयन को लेकर किए जा रहे प्रयासों की स्थिति का जायजा लिया।

अंबाला के छह में से चार ब्लॉक में हालात चिताजनक

अंबाला के कुछ छह ब्लॉक में से अंबाला वन, अंबाला -2 को छोड़कर शेष सभी ब्लॉक में हालात टीम ने चिता जनक बताई है। जिसमें बराड़ा ब्लॉक की हालात सबसे ºराब बताई गई है। जहां पानी का दोहन तो लगातार हो रहा है लेकिन उसके मुकाबले रिचार्ज (पुनर्भरण) कहीं कम है। इस दोहन में खेती के लिए उपयोग हो रहे पानी की मात्रा सबसे ज्यादा है। जानकारी के मुताबिक भूजल का ओवर एक्सप्लोइटेड(अति खपत) वाला स्तर बेहद खतरनाक माना जाता है। बीते 19 सालों के दौरान जिले का स्तर छह मीटर नीचे खिसका तो बराड़ा लगभग 11 मीटर नीचे चला गया है। इसी श्रेणी में शामिल नारायणगढ़ लगभग मीटर नीचे तो साहा का भूजल इस अवधि में पौने आठ मीटर नीचे चला गया है। हालांकि, अंबाला शहर व छावनी ब्लॉक सेफ जोन में हैं। इस टीम ने अधिकारियों को इन खंडों के वास्तविक आंकड़े प्रस्तुत करने को कहा गया ताकि यहां सुधार को लेकर कार्य किया जा सके।

सरकारी भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग की मांगी रिपोर्ट

जिन सरकारी भवनों में हारर्वेस्टिंग की व्यवस्था है उनकी रिपोर्ट मांगी गई है। इसके साथ जिन महकमों में वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं है उनकी जानकारी जुटाने को कहा गया है। इसके लिए वॉल पेटिग, टविटर व अन्य सोशल माध्यमों से जागरूकता के लिए निर्देश दिए गए। टीम ने कहा कि सभी स्कूलों में हार्वेस्टिंग की व्यवस्था हो, ऐसे प्रयास वृहद पैमाने पर किए जाएं इसके लिए चर्चा की गई। इसके अलावा समाज सेवी संस्थाओं, ऐच्छिक संगठनों, एनसीसी, एनएसएस, पंचायती राज संस्थाओं यानि पंच, सरपंच, जिला परिषद और ब्लॉक समितियों के माध्यम से जल संरक्षण संबंधी विषय को लेकर लोगों को जागरूक करने का काम किया जाएगा।


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