जिस सां तै ना औदा लिखयां, लैणा भी ओखा लग्दा ए
शिक्षक दिवस पर अंबाला की शिक्षिका ने रखा पंजाबी गायिकी में कदम शहर के इस्माइलपुर सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पंजाबी विषय की शिक्षिका हैं गुरप्रीत।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर: सीढि़यां उन्हें मुबारक हो जिन्हें सिर्फ छत तक जाना है, मेरी मंजिल तो आसमान है, रास्ता मुझे खुद बनाना है। एक कवि की यह पंक्तियां अंबाला शहर के इस्माइलपुर के सीनियर सेकेंडरी स्कूल में शिक्षिका गुरप्रीत कौर पर सटीक बैठती हैं। उन्होंने सिर्फ शिक्षिका के रूप में ही खुद को सीमित नहीं रखा, एक कवयित्री के साथ-साथ अब पंजाबी गायिकी में भी उन्होंने कदम रख दिया है। शिक्षक दिवस के दिन ही बृहस्पतिवार को उनका एक पंजाबी गीत भी रिलीज हो गया। शहर के गांव नकटपुर में रहने वाले पंजाबी गायक रेशम सिंह अनमोल के बाद अब गुरप्रीत ने भी पंजाबी गायिकी में कदम रखा है।
युवाओं को विशेष संदेश देता है गीत
शिक्षिका एवं सिगर गुरप्रीत कौर का जिस सां तै ना औदा लिखयां लैणा भी ओखा लग्दा ए.. पंजाबी गीत रिलीज हो गया है। गीत के जरिए उन्होंने युवाओं को एक मैसेज देने की कोशिश की है कि किसी के लिए अपनी जिदगी को खत्म करना गलत है। जिस तरह से युवाओं में फ्रेंडशिप के बाद आत्महत्या के केस बढ़ रहे हैं उसको देखते हुए उन्होंने यह गीत पेश किया है। रिलीज होने के साथ ही गीत युवाओं की जुबां पर चढ़ने लगा है। पहले खुद को आत्मनिर्भर बनाया फिर गायिकी में उतरीं
शिक्षिका ने बताया कि उसका बचपन से ही सिगर और कवि बनने का सपना था। इसीलिए पहले शिक्षा हासिल की और उसके साथ-साथ स्कूल और कॉलेज स्तर पर अपने इस शौक को जिदा रखा। गायिकी के क्षेत्र में उन्हें कई सम्मान प्रदेश और नेशनल स्तर पर मिल चुके हैं। यूनिवर्सिटी के यूथ फेस्टिवल में कई अवॉर्ड भी उनके नाम हैं। शिक्षा पूरी करने के बाद वह 2013 में पंजाबी विषय की शिक्षिका बनीं और उसके बाद साल 2019 तक अपने आप को आत्मनिर्भर बनाया। इसके बाद मेहनत की और आज पंजाबी सिगर की सूची में उनका नाम भी शामिल हो गया है। शहर ने दिया तीसरा पंजाबी सिगर
अंबाला शहर पंजाबी कलाकारों को गढ़ बनता जा रहा है। शहर के गांव नकटपुर से रेशम सिंह अनमोल देश-विदेश में नाम कमा रहे हैं। शहर के ही एक सरकारी स्कूल के शिक्षक अभिजीत भी पंजाबी गायकी में कदम रख चुके हैं। अब गुरुप्रीत पंजाबी संगीत का नया चेहरा बनकर धमाल मचा रही हैं।