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चोट को मात दे चार साल से स्टेट गोल्ड मेडलिस्ट है तैराक हिमांशु

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर सूबेदार पिता श्याम बहादुर की हल्लाशेरी बाद नौ साल की उम्र में तैराकी सीखना शुरू करने वाले हिमांशु अब चार साल से स्टेट गोल्ड मेडलिस्ट हैं। 14 से 19 दिसंबर 2018 तक दिल्ली के ताल कटोरा स्टेडियम में हुए नेशनल खेलों में हिस्सा लेने वाले हिमांशु लगातार चार साल से नेशनल खेल के लिए चयनित हो रहे हैं। महत्वपूर्ण यह है कि इन उपलब्धियों को हासिल करने के दौरान हिमांशु ने न केवल अपने प्रतिस्पर्धी खिलाड़ियों से ही मुकाबला किया बल्कि वह खुद से भी लड़ा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 01:31 AM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 01:31 AM (IST)
चोट को मात दे चार साल से स्टेट गोल्ड मेडलिस्ट है तैराक हिमांशु
चोट को मात दे चार साल से स्टेट गोल्ड मेडलिस्ट है तैराक हिमांशु

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर

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सूबेदार पिता श्याम बहादुर की हल्लाशेरी बाद नौ साल की उम्र में तैराकी सीखना शुरू करने वाले हिमांशु अब चार साल से स्टेट गोल्ड मेडलिस्ट हैं। 14 से 19 दिसंबर 2018 तक दिल्ली के ताल कटोरा स्टेडियम में हुए नेशनल खेलों में हिस्सा लेने वाले हिमांशु लगातार चार साल से नेशनल खेल के लिए चयनित हो रहे हैं। महत्वपूर्ण यह है कि इन उपलब्धियों को हासिल करने के दौरान हिमांशु ने न केवल अपने प्रतिस्पर्धी खिलाड़ियों से ही मुकाबला किया बल्कि वह खुद से भी लड़ा। साल 2016 में स्वास्थ्य कारणों से नेशनल खेलों में हिस्सा नहीं ले पाया। इसके बाद साल 2017 में कमर के नीचे के हिस्से में चोट लगने व उसके बाद कंधे में चोट लगने के बावजूद वह स्टेट चैंपियनशिप बना। हिमांशु का सपना है कि वह तैराकी के महारथी एवं अमेरिकन तैराक माइकल फलेप्स की तरह देश का नाम चमकाए। हालांकि, साल 2015 में केंद्रीय विद्यालय खेलों में दो गोल्ड मेडल व एक सिल्वर मेडल अपने नाम कर अपने मजबूत इरादों को प्रकट भी कर चुका है।

हिमांशु ने साल 2018 में अंडर-17 की 50 मीटर बटर फ्लाई में लगातार चौथी बार प्रदेश में गोल्ड मेडल हासिल किया है। इसके अलावा 50 मीटर ब्रेस्ट स्ट्रोक में ब्रांज मेडल हासिल किया है। छावनी के मेजर आरएन स्कूल में नौवीं कक्षा के छात्र हिमांशु के मुताबिक उसने पहला अंतर राज्जीय मेडल 11 साल की उम्र में 50 मीटर बटर फ्लाई स्पर्धा में गोल्ड के रूप में जीता था। 50 मीटर बटर फ्लाई व बेक स्ट्रोक उसके पसंदीदा इवेंट है। बड़ी बात है हिमांशु के परिवार का तैराकी से दूर दूर का भी नाता नहीं है।

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जिला प्रशासन व स्वास्थ्य मंत्री ने किया सम्मानित

- इस उभरते तैराक को साल 2017 में स्वतंत्रता दिवस पर जिला प्रशासन द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा खेल मंत्री अनिल विज ने 21 हजार रुपये के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया। जिला तैराकी एसोसिएशन भी नकद पुरस्कार से हिमांशु को पुरस्कृत कर चुकी है। कोच राम शर्मा के मुताबिक हिमांशु में सर्वश्रेष्ठ समय निकालने की सभी क्षमताएं हैं। उसके पास जब हिमांशु आया था तो वह तैराकी की बेसिक जानता था और अब इस खेले में तेजी से आगे बढ़ रहा है। हालांकि, चोटिल न रहता तो कहीं आगे निकल जाता।

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