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राजनीति शास्त्र के साथ संस्कृत पढ़ाने का सुझाव

इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (आइसीएसएसआर) द्वारा संस्कृत को लेकर मांगे गए सुझावों पर सिलेबस में परिवर्तन किया जा सकता है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Jan 2021 06:25 AM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 06:25 AM (IST)
राजनीति शास्त्र के साथ संस्कृत पढ़ाने का सुझाव
राजनीति शास्त्र के साथ संस्कृत पढ़ाने का सुझाव

जागरण संवाददाता, अंबाला : इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (आइसीएसएसआर) द्वारा संस्कृत को लेकर मांगे गए सुझावों पर सिलेबस में परिवर्तन किया जा सकता है। इसी को लेकर आइसीएसएसआर द्वारा देशभर से संस्कृत के प्रोफेसरों से शोध पत्र मांगे गए थे। गांधी मेमोरियल नेशनल (जीएमएन) कालेज अंबाला कैंट की संस्कृत विभागाध्यक्ष डा. राजेंद्रा ने रोल ऑफ संस्कृत शास्त्र इन गुड गर्वनेंस पर रिसर्च प्रोजेक्ट तैयार किया। इसमें बताया गया है कि संस्कृत को कैसे अन्य विषय के साथ पढ़ाया जा सकता है तथा सुशासन को और बेहतर किया जा सके। यह रिसर्च प्रोजेक्ट आइसीएसएसआर नई दिल्ली के इंप्रेस स्कीम के तहत किया गया है।

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डा. राजेंद्रा ने बताया कि इस शोध पत्र के लिए साढ़े पांच लाख रुपये मिले थे, जबकि देशभर के लिए लगभग चार सौ करोड़ का बजट जारी किया गया। अनुमान है कि सात हजार विद्वानों ने अपने शोध पत्र आइसीएसएसएआर को भेजे हैं। हर किसी ने अपने सब्जेक्ट के आधार पर संस्कृत विषय पर शोध किया है। इसके लिए बनारस विश्वविद्यालय, जवाहर लाल यूनिवर्सिटी, विश्वेश्वरानंद वैदिक शोध संस्थान, गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार आदि में जाकर शोध किया। उन्होंने बताया कि उनके शोध पत्र में पुरातन काल की व्यवस्थाएं आज के परिप्रेक्ष्य में किस स्तर पर है। इसमें न्याय, अर्थ और कर व्यवस्था पर तुलनात्मक अध्ययन किया गया है। इसी तरह शिक्षा को लेकर भी शोध किया गया। इसमें पाया गया कि संस्कृत विषय को उच्च शिक्षा के विभिन्न विषयों के साथ समायोजित कर बेहतर बनाया जा सकता है। इसके अलावा कुछ अन्य सुझाव आइसीएसएसआर को भेजे गए हैं, जिसके बाद आगामी कार्य संस्था को करना है।

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पुरातन काल की व्यवस्था भी समझ आएगी

डा. राजेंद्रा ने बताया कि यदि उच्च शिक्षा के तहत राजनीति शास्त्र विषय के साथ संस्कृत को पढ़ाया जाए तो बेहतर होगा। इसमें पुरानत काल की व्यवस्था के लिए लिखे ग्रंथ संस्कृत भाषा में आधुनिक राजनीतिक व्यवस्था को समझने और इसे बेहतर करने के लिए इन ग्रंथों की समझ आवश्यक है। इसके लिए कई ग्रंथों में ऐसी व्यवस्था का जिक्र है जो आज के दौर में काफी प्रभावी हो सकता है। कौटिल्य ने राजनीति के साथ-साथ विभिन्न विषयों पर जो मार्गदर्शन किया है, वह काफी प्रभावी है।


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