सुदामा और श्रीकृष्ण की आदर्श मैत्री का मनोहारी चित्रण
छावनी के बोह में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन राधाकृष्ण मंदिर में सुदामा चरित्र का वर्णन किया गया। कथावाचक प्रेम सागर पथिक ने कहा कि सुदामा चरित्र अत्यंत स्वाभाविक हृदय ग्राही सरल एवं भावपूर्ण कथा है।
जागरण संवाददाता, अंबाला : छावनी के बोह में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन राधाकृष्ण मंदिर में सुदामा चरित्र का वर्णन किया गया। कथावाचक व्यास प्रेम सागर पथिक ने कहा कि सुदामा चरित्र अत्यंत स्वाभाविक, हृदय ग्राही सरल एवं भावपूर्ण कथा है। इसमें एक ही गुरु के यहां अध्ययन करने वाले दो गुरु भाइयों सुदामा और श्रीकृष्ण की आदर्श मैत्री का अत्यंत मनोहारी चित्रण किया गया है। सुदामा एक दरिद्र ब्राह्मण था और कृष्ण यदुवंशियों के सिरमौर। ऐसे दो विपरीत स्थिति स्वभाव और सत्ता वाले लोगों के बीच मैत्री की रसपूर्ण व्यंजना, अपने में एक अलभ्य और अनूठा चरित्र है। इस अवसर पर महंत राधा गिरी माया गिरी भागवत कथा संयोजक राजिद्र राणा, विजय शर्मा, सुशील कुमार छजु, लाला रिशी पाल, राधेश्याम आदि मौजूद रहे।
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