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जीएनएम कोर्स बंद होने से आर्ट-नॉन मेडिकल छात्राओं के साथ कालेजों को भी झटका

इंडियन नर्सिंग काउंसिल ने जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी(जीएनएम) कोर्स को बंद करने का फैसला लिया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 May 2019 07:30 AM (IST)Updated: Fri, 17 May 2019 07:30 AM (IST)
जीएनएम कोर्स बंद होने से आर्ट-नॉन मेडिकल छात्राओं के साथ कालेजों को भी झटका
जीएनएम कोर्स बंद होने से आर्ट-नॉन मेडिकल छात्राओं के साथ कालेजों को भी झटका

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : इंडियन नर्सिंग काउंसिल ने जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी(जीएनएम) कोर्स को बंद करने का फैसला लिया है। साल 2020-21 जीएनएम का अंतिम सत्र होगा और इसके बाद इस कॉलेज को कराने वाले नर्सिंग कॉलेजों में दाखिले मान्य नहीं होंगे। इससे जिले में जीएनएम कराने वाले कॉलेजों को तो झटका लगा ही बल्कि उन विद्यार्थियों के लिए भी नर्सिंग में आने के दरवाजे बंद हो जाएंगे जिन्होंने 12वीं की पढ़ाई मेडिकल संकाय से नहीं की। ऐसे में आर्टस, नॉन मेडिकल एवं कॉमर्स से पढ़ाई कर जीएनएम में दाखिले लेकर नर्सिंग में जाने वाली छात्राओं के लिए दरवाजे बंद हो जाएंगे। जीएनएम कोर्स कर रही छात्राओं को बीएससी मेडिकल से एएनएम कर रही छात्राओं से पहले की चुनौती मिल रही थी। इन छात्राओं के मुताबिक इस कोर्स को बंद करने के बजाए इसमें मेडिकल विषय का व्यवहारिक पढ़ाई पर जोर दिया जाना चाहिए था क्योंकि आर्टस, कॉमर्स एवं नान मेडिकल की छात्राओं के लिए नर्सिंग पेशे में जाने का यह एकमात्र रास्ता था।

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इंडियन नर्सिंग काउंसिल के फैसले के बाद जीएमएन कोर्स कराने वाले अस्पतालों को बीएससी नर्सिंग के मानक पूरे करने होंगे। अंबाला शहर में मिशन अस्पताल व महावीर नर्सिंग अस्पताल में फिलहाल यह कोर्स चल रहे हैं। वहीं, इस मामले में छात्राओं ने इस बात से इंकार किया कि नए बैच बंद होने से उनके लिए रोजगार हासिल करना आसान हो जाएगा। इन छात्राओं के मुताबिक बीएससी नर्सिंग की छात्राओं के एएनएम कोर्स को ही वरीयता मिल रही है।

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अस्पतालों में नर्सिंग स्टाफ की पहले से कमी है

छात्रा अनीता ने बताया कि जीएनएम कोर्स बंद किए जाने का कोई फायदा थोड़े ही मिलना है। अस्पतालों में नर्सिंग स्टाफ की पहले से कमी है। नए बैच बंद होने से मौजूदा बैच को भी कोई फायदा नहीं होने वाला है। पहले से ही उन्हें बीएससी नर्सिंग की छात्रओं से चुनौती मिल रही है और उन्हें ही पहल मिलती है।

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मेडिकल संकाय वालों के पास पहले ही बहुत विकल्प

छात्रा सुखजीत कौर ने बताया कि मेडिकल संकाय से पढ़ाई करने वालों के पास तो पहले ही विकल्पों की कमी नहीं है। वह एमबीबीएस कर सकते हैं। डेंटल बन सकते हैं लेकिन जिन छात्राओं ने दूसरे संकायों से पढ़ाई की वह कहां जाएंगे। जबकि एएनएम सिर्फ प्रसूति विभाग में ही काम करेंगी और जीएनएम का बहुउद्देशीय उपयोग रहता है।

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सीधे सीधे बीएसएस नर्सिंग ही रह जाएंगी

छात्रा अशिमा ने बताया कि अब सीधे सीधे बीएससी नर्सिंग से जुड़े विद्यार्थी नर्सिंग कर पाएंगे। इसका फायदा कम है और नुकसान ज्यादा है। जो छात्राएं मौजूदा यह कोर्स कर रही हैं उनको भी अपने रोजगार की चिता है। ऐसा फैसला लिए जाने के बजाय मौजूदा कोर्स में ही बदलाव किए जा सकते थे।

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मेडिकल संकाय के पास पहले ही बहुत रास्ते

जीएनएम की छात्रा सविता ने बताया कि मेडिकल संकाय से पढ़ाई करने वाली छात्राओं के पास पहले ही बहुत रास्ते रहते हैं। वह एमबीबीएस कर सकते हैं और नंबर न भी पड़े तो फिर बीएससी नर्सिंग कर सकती हैं लेकिन दूसरे संकायों के लिए तो कोई चारा नहीं होता। अब कोर्स बंद होने पर वह क्या करेंगे।

आखिरी रास्ता भी बंद

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छात्रा किरणदीप ने बताया कि पढ़ाई में रोजगार के मौके पहले ही बहुत कम हैं। ऐसे में जो लोग इस कोर्स के माध्यम से अपना रोजगार हासिल कर सकते थे उनके लिए अब यह रास्ता बंद कर दिया गया है। इस कोर्स को बंद करने के बजाय इस कोर्स में मेडिकल संकाय की व्यवहारिक शिक्षा दी जानी चाहिए।

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