हड़ताल से डांवाडोल, 10 दिनों से 20 रूटों पर जुगाड़ से चल रही रोडवेज
रोडवेज यूनियनों की 5 सितंबर की हड़ताल के बाद डिपो के 43 चालक व परिचालक सस्पेंड कर दिए गए। परिवहन विभाग द्वारा बिना कोई वैकल्पिक इंतजाम के लिए गए फैसले के बाद पूरा डिपो डांवाडोल हो गया है।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर
रोडवेज यूनियनों की 5 सितंबर की हड़ताल के बाद डिपो के 43 चालक व परिचालक सस्पेंड कर दिए गए। परिवहन विभाग द्वारा बिना कोई वैकल्पिक इंतजाम के लिए गए फैसले के बाद पूरा डिपो डांवाडोल हो गया है। डिपो के लगभग 20 रूट पर बसें जुगाड़ पर आ गई हैं। इन रूटों पर ज्यादातर ड्राइवर व परिचालक संबंधित गांवों के ही थे। अब इनके सस्पेंड होने से यहां रात को बस नहीं रुकती और सुबह स्कूली बच्चों व रोजमर्रा के यात्रियों के लिए आवाजाही का संकट खड़ा हो रहा है। महकमा यहां बसें भी एक दिन छोड़कर चलवा रहा है। जिससे यात्रियों की हालत पतली होकर रह गई है। बड़ी बात है कि खामियाजा केवल ग्रामीणों को ही नहीं भुगतना पड़ रहा है बल्कि इसका असर रोडवेज की कमाई पर भी पड़ रहा है। रोडवेज की बसें रोजाना करीब 53 हजार किलोमीटर सफर तय करती हैं लेकिन अब 8 हजार किलोमीटर सफर कम तय कर रही हैं और डिपो लगभग 2 लाख रुपये का नुकसान झेल रहा है। इन हालात से कब धुंध छंटेंगी इसको लेकर भी तस्वीर साफ नहीं है।
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इन रूटों पर यात्रियों के छूट रहे पसीने
- हड़ताल के बाद से केसरी, कोड़वा खुर्द, मोहड़ी, कमबासी, अहलावलपुर, सुभरी, बेरथली, कड़ासन, साभापुर, बराड़ा, रछेड़ी, बड़ौला, निहारसी, जखवाला, चुड़ियाला-चुड़ियाली आदि रूट प्रभावित हैं। निहारसी, कड़ासन, साभापुर, कमबासी में रात्रि ठहराव करने वाली बसें बंद हैं। निहारसी में दो रूट चलते थे अब एक रह गया है। इसी प्रकार केसरी में भी अब तीन में से एक ही रूट रह गया है।
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रोडवेज में करीब 125 पड़ रहे कम
- डिपो में चलने योग्य करीब 132 बसों पर करीब 208 चालक व 185 परिचालक हैं। हड़ताल के बाद अंबाला डिपो में प्रदेश में सबसे ज्यादा कर्मचारियों को सस्पेंड किया गया है। कुल 43 में से 20-20 चालक परिचालक व तीन कर्मचारी कार्यालय के हैं। इसके अलावा हाल में 30 कर्मचारियों का नूंह डिपो में स्थानांतरण कर दिया गया है। करीब 40 कर्मचारी रोजाना किसी न किसी कारण से छुट्टी पर रहते हैं। जिससे विभाग की गाड़ी बेपटरी हो चुकी है।
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एक बस आ रही है, पहले एक सप्ताह बंद रही
- निहारसी गांव के सरपंच लाल चंद के मुताबिक हड़ताल के एक सप्ताह तक गांव में बस बंद रही और अब दो में से एक बस चल रही है। रोजाना लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है और विशेषकर स्कूली बच्चों के लिए मुश्किल आ पड़ी है।
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कम्बासी में नहीं हो रहा बसों का ठहराव
- कम्बासी की ग्राम सरपंच बीरमति के मुताबिक गांव में पहले बस का ठहराव होता था। गांव के करीब 15 से 20 बच्चे बराड़ा के लिए सुबह इस बस से जाते थे। अब यह बस गांव में ठहराव नहीं कर रही है जिससे बच्चों के लिए सबसे ज्यादा परेशानी है।
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एक दिन छोड़कर भेज रहे हैं बसें
- डिपो के ड्यूटी इंचार्ज अशोक कुमार के मुताबिक हड़ताल में सस्पेंड ज्यादातर कर्मचारियों के पास ग्रामीण रूट ही थे। जिन गांवों में दो चक्कर थे वहां एक लगाया जा रहा है और एक दिन छोड़कर बस चलाई जा रही है। रात्रि ठहराव प्रभावित है।