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प्राइवेट अस्पतालों में हड़ताल तो सरकारी में रही छुट्टी, इलाज का संकट

पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों से हुई मारपीट पर रोष व्यक्त करते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन(आइएमए) से जुड़े स्थानीय अस्पतालों में सोमवार को स्वास्थ्य सेवाएं ठप रहीं। जिले के करीब 300 प्राइवेट अस्पताल में इस हड़ताल का असर दिखा। इन अस्पतालों में इमरजेंसी को छोड़ शेष स्वास्थ्य सेवाएं बाधित थीं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Jun 2019 09:42 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jun 2019 09:42 AM (IST)
प्राइवेट अस्पतालों में हड़ताल तो सरकारी में रही छुट्टी, इलाज का संकट
प्राइवेट अस्पतालों में हड़ताल तो सरकारी में रही छुट्टी, इलाज का संकट

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर: पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों से हुई मारपीट पर रोष व्यक्त करते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन(आइएमए) से जुड़े स्थानीय अस्पतालों में सोमवार को स्वास्थ्य सेवाएं ठप रहीं। जिले के करीब 300 प्राइवेट अस्पताल में इस हड़ताल का असर दिखा। इन अस्पतालों में इमरजेंसी को छोड़ शेष स्वास्थ्य सेवाएं बाधित थीं। कबीर जयंती पर सरकारी अस्पतालों में छुट्टी रहने से मरीजों के लिए इलाज का संकट और बड़ा हो गया था। जो मरीज प्राइवेट अस्पतालों में हड़ताल से बेखबर थे वह भटकते नजर आए। दूर दराज गांवों से मरीज सुबह प्राइवेट अस्पतालों की ओपीडी पहुंचे। जब उन्हें हड़ताल का पता चला तो मायूस होकर लौटना पड़ा। हड़ताल का व्यापक असर देखा गया। कई अस्पतालों पर तो ताले ही लटके रहे। आइएमए की इस हड़ताल का सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने भी कंधे पर काली पट्टी लगाकर समर्थन किया। खुद सीएमओ संत लाल वर्मा काली पट्टी लगाए हुए थे। प्राइवेट अस्पतालों ने सुबह छह बजे से अगले 24 घंटों तक स्वास्थ्य सेवाएं बंद रखने के नोटिस अपने अपने अस्पतालों के गेट पर चस्पा कर दिए थे। छावनी के डॉक्टर आइएमए के प्रेसिडेंट प्रभाकर शर्मा के नेतृत्व में लुंबा अस्पताल के बाहर जुटे व डॉक्टरों की मांगों को लेकर नारेबाजी भी की। इसके बाद प्रदर्शन करते हुए स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के निवास पर पहुंचे और उन्हें प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इसी प्रकार शहर में आइएमए के प्रेसिडेंट डॉ. अशोक सारवाल व सचिव राजीव अग्रवाल के नेतृत्व में डॉक्टर जिला नागरिक अस्पताल में जुटे। यहां से सभी डॉक्टर नारेबाजी करते हुए एक निजी होटल में पहुंचे। यहां से बैठक के बाद सिविल सर्जन डॉ. संतलाल वर्मा को ज्ञापन सौंपा। डॉक्टरों ने अस्पतालों में होने वाली हिसा पर राष्ट्रीय कानून, जीरो टालरेंस पॉलिसी बनाने आदि की मांग की।

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--------------------------------- सरकारी छुट्टी का भी नहीं था पता

जंडली निवासी कृष्णा देवी, मोहल्ला खत्तरवाड़ा के तरसेम, गांव तेजा मोहड़ी निवासी गुरमेल कौर, मलकीत कौर आदि को पता नहीं था कि आज सरकारी छुट्टी है जो कि अस्पताल पहुंच गए। वहीं, जब प्राइवेट अस्पताल में जाने की सोची तो पता चला कि वहां हड़ताल चल रही है। वह करीब 20 किलोमीटर से एमएम अस्पताल आए थे। उनके पेट में आज सुबह पथरी का दर्द हुआ था। वह चेक कराने चाहते थे। यहां ओपीडी बंद मिली। पता चला है कि डॉक्टर हड़ताली डॉक्टरों के साथ गए हुए हैं और अब बाद में आना पड़ेगा।

हरनाम सिंह, बटरोहन गांव परिजनों के साथ पुलिस लाइन स्थित अस्पताल आई थीं लेकिन निराश होकर लौटना पड़ा। उसने रसोली का ऑपरेशन कराया था और आज चेक कराने आई थी लेकिन अस्पताल आकर पता चला कि हड़ताल है।

सुदेश रानी, तेपला वह लुंबा अस्पताल में इलाज के लिए आया था लेकिन आकर पता चला कि डॉक्टरों ने हड़ताल कर रखी है। वहीं, सरकारी अस्पताल में भी छुट्टी है। अब घर जाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा।

शुभम, महेश नगर मेरे गले में संक्रमण है। इसी का इलाज कराने आया था। अस्पताल आकर ही पता चला कि डॉक्टर आज हड़ताल पर हैं। इसलिए अब उसे वापस घर जाना पड़ रहा है।

रणधीर, महेश नगर

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