श्राद्ध कल से, 16 दिन तक नहीं होंगे शुभ कार्य, कारोबार पर भी दिखेगा असर
16 दिन तक चलने वाले श्राद्ध के चलते जहां हिदू धर्म के अनुसार होने वाले शुभ कार्यो नहीं होंगे। विवाह संबंधी कार्यों व किसी तरह की खरीदारी को भी श्राद्ध में वर्जित माना गया है।
जागरण संवाददाता, अंबाला: पितरों की पूजा अर्चना के लिए श्राद्ध 14 सितंबर यानी कल से शुरू होगा। 16 दिन तक चलने वाले श्राद्ध के चलते जहां हिदू धर्म के अनुसार होने वाले शुभ कार्यो नहीं होंगे। विवाह संबंधी कार्यों व किसी तरह की खरीदारी को भी श्राद्ध में वर्जित माना गया है। कारोबार पर भी इसका असर दिखेगा।
पंडित वासु शास्त्री व संजय भट्ट ने बताया कि साल में श्राद्ध पक्ष के 16 दिन पितरों के प्रति श्रद्धा अर्पित करने का समय है। द्वितीय श्राद्ध 15 सितंबर की दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से लेकर 16 सितंबर की दोपहर 2 बजकर 36 बजे तक रहेगा। 25 सितंबर को एकादशी और द्वादशी के श्राद्ध एक साथ होंगे। 28 सितंबर को सर्व पितृ श्राद्ध किए जाएंगे। इसके बाद 29 सितंबर से नवरात्र शुरू होंगे। हादसों में मृतकों का श्राद्ध चतुर्दशी को करें
पंडित वासुशास्त्री के अनुसार सौभाग्यवती स्त्री का श्राद्ध हमेशा नवमी तिथि में ही करना चाहिए, भले ही उनकी मृत्यु तिथि कोई भी हो। ऐसे ही संन्यासी का श्राद्ध हमेशा द्वादशी तिथि को करना चाहिए। शस्त्र, विष, दुर्घटना आदि में मृतकों का श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को करना चाहिए। चतुर्दशी तिथि में मरने वालों का श्राद्ध अमावस्या को करना चाहिए। श्राद्ध तिथि
पूर्णिमा: 13 सितंबर
प्रतिपदा: 14 सितंबर
द्वितीया: 15 सितंबर
तृतीया - 17 सितंबर
चतुर्थी- 18 सितंबर
पंचमी- 19 सितंबर
षष्ठी- 20 सितंबर
सप्तमी - 21 सितंबर
अष्टमी - 22 सितंबर
नवमी- 23 सितंबर
दशमी- 24 सितंबर
एकादशी - 25 सितंबर
द्वादशी- 25 सितंबर
त्रयोदशी- 26 सितंबर
चतुर्दशी- 27 सितंबर
अमावस सर्वपितृ श्राद्ध- 28 सितंबर
नाना नानी का श्राद्ध- 29 सितंबर