शिवलिग पर जलाभिषेक के लिए उमड़ा आस्था का सैलाब
शिवालयों में जलाभिषेक के लिए मंगलवार को श्रद्धा और भक्ति का सैलाब उमड़ पड़ा। ट्विन सिटी के मंदिरों में सुबह चार बजे से कांवड़ियों ने गंगाजल चढ़ाना शुरू किया और यह सिलसिला दोपहर तक जारी रहा। मंदिरों में श्रद्धा और आस्था की बयार बह रही थी। कांवड़ियों सहित सभी श्रद्धालु बेल पत्र गंगाजल दूध व अन्य सामग्री के साथ सुबह से ही शिवालयों में पहुंच गए थे। घरों के आसपास के शिवालयों से लेकर प्राचीन श्री कैलाश हाथीखाना मंदिर और रानी तालाब प्राचीन शिव मंदिर में भक्तों का तांता लगा था। जलाभिषेक से पहले भगवान भोलेनाथ की मंदिरों में चार प्रहर की पूजा भी की गई।
जागरण संवाददाता, अंबाला : शिवालयों में जलाभिषेक के लिए मंगलवार को श्रद्धा और भक्ति का सैलाब उमड़ पड़ा। ट्विन सिटी के मंदिरों में सुबह चार बजे से कांवड़ियों ने गंगाजल चढ़ाना शुरू किया और यह सिलसिला दोपहर तक जारी रहा। मंदिरों में श्रद्धा और आस्था की बयार बह रही थी। कांवड़ियों सहित सभी श्रद्धालु बेल, पत्र, गंगाजल, दूध व अन्य सामग्री के साथ सुबह से ही शिवालयों में पहुंच गए थे। घरों के आसपास के शिवालयों से लेकर प्राचीन श्री कैलाश हाथीखाना मंदिर और रानी तालाब प्राचीन शिव मंदिर में भक्तों का तांता लगा था। जलाभिषेक से पहले भगवान भोलेनाथ की मंदिरों में चार प्रहर की पूजा भी की गई।
रानी का तालाब और कैलाश हाथीखाना में भक्तों का सबसे ज्यादा भीड़ रही। यहां पर श्रद्धालुओं पर काबू पाने के लिए पुलिस की व्यवस्था की गई थी। दोनों ही मंदिरों में भक्त लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। पुलिस की ओर से दशहरा ग्राउंड के पास से बेरिकेट्स लगाए गए थे और मंदिर के मुख्य द्वार पुलिस की पीसीआर और कर्मियों की तैनाती की गई थी। भक्तों की इस आस्था के साथ-साथ धार्मिक संस्थाओं ने भी विशेष प्रबंध किए थे। जगह-जगह पर भंडारों का आयोजन किया गया था, जिसमें कांवड़ियों और श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। जगाधरी रोड पर ब्रह्मकुमारी चौक के पास भंडारा लगाया गया। मंदिरों में भी विशेष प्रबंध किए गए थे। इसी प्रकार महेश नगर के श्री पंच देव मंदिर, सनातन धर्म मंदिर, रेसकोर्स स्थित राधा कृष्ण मंदिर में शिवालय, शिव प्रकट मंदिर, एकता विहार शिव मंदिर, प्रीत नगर व बीपीएस प्लेनेटेरियम शिव मंदिर में भक्तों माथा टेकने व जलाभिषेक करने पहुंचे। भक्तों ने बेल पत्र, शहद, भांग, धतूरा, दीपक, धूप, बेलपत्र, जनेऊ, फल, धूप, कपूर, पान, लौंग, गुलाब, इलायची, सुपारी, भस्म, इत्र, अर्क, गुलाब, चंदन व दूध के साथ शिवलिग का अभिषेक किया और ऊं नम: शिवाय का जाप कर भगवान शिव की आराधना की।
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इस बार कम सजी दुकानें
प्राचीन हाथीखाना कैलाश मंदिर के बाहर इस बार दुकानें की संख्या कम रहीं। बच्चों ने यहां से मनोरंजन के लिए खेल-खिलौने खरीदें और खूब मस्ती भी की। वहीं, भांग के पकौड़े व घोटा भी उपलब्ध था, जिसे भक्त भगवान शिव का प्रसाद मान कर ग्रहण कर रहे थे। दुकानों से भक्तजन मंदिर में जाते वक्त पूजा सामग्री खरीद रहे थे तो लौटते वक्त बच्चों के लिए खिलौने की दुकानों के बाहर भीड़ जमा थी।
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डीजे के साथ पहुंचे मंदिर
गोमुख व हरिद्वार से गंगा जल लेकर जलाभिषेक करने पहुंचे कांवड़िए अपने-अपने परिवारों के साथ मंदिर में पहुंचे थे। जगाधरी रोड पर संत निवास और महेश नगर में स्थित कैंटोनमेंट बोर्ड के बैक्वेंट हॉल में ठहरे कावड़ियों को परिजन सुबह-सुबह ही लेने के लिए पहुंच गए। जहां से डिस्क जॉकी की धुनों पर नाचते गाते ही श्रद्धा में डूबे भोले भक्त शिवालय में पहुंचे। इन कांवड़ियों ने शिवलिग पर जलाभिषेक कर अपनी हरिद्वार और गंगोत्री से शुरू की यात्रा को पूर्ण किया।
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हरिद्वार से गंगाजल लाया और शिवलिग पर जलाभिषेक के बाद काफी शांति महसूस हुई। यात्रा में श्रद्धालुओं ने जिस तरह से ठहरने के इंतजाम किए हैं वह यात्रा को काफी सुखद बनाते हैं।
गुनिष मल्होत्रा
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मेरी कांवड़ यात्रा काफी अच्छी रहीं। रास्तें में भोले भक्तों का काफी सहयोग मिला। हरियाणा का बार्डर क्रॉस करते ही यूपी का रास्ता काफी खस्ताहाल है। इसीलिए इस तरफ ध्यान देनी जरूरत है।
गोल्डी सेठी
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कांवड़ यात्रा में शामिल होने पर काफी अच्छा महसूस होता है। अंतिम एक दो दिन की यात्रा में साथी कावड़ियों को नाचते-गाते देख कर काफी प्रसन्न हो जाता है। यहीं क्षण कांवड़ यात्रा के लिए उन्हें अपनी तरफ खींचते हैं।
-आकाश
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शैंकी ने बताया कि भोले नाथ सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। जो भी मांगा वह देते हैं। कांवड़ यात्रा के अंतिम दिन जिस तरह से माहौल भोलेमय बन जाता है उससे काफी खुशी मिलती है।
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