केवल सिर हिलाने से नहीं आत्ममंथन से होता है शक्ति जागरण : महामंडलेश्वर दयानंद
जयराम सेठी धर्मशाला जलबेडा रोड पर दूसरे दिन की भागवत कथा में योगेश गुप्ता चरणजीत मौहडी ने रेणुका से पहुंचे महामण्डलेश्वर दयानंद भारती का पुष्प माला से स्वागत किया। गुरुदेव ने कहा कि परमबह्म पहले शक्ति रूप प्रकृति है तत्पश्चात पुरुष है। मां पराम्बा की जीवंत अभिव्यक्ति है नारी।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : जयराम सेठी धर्मशाला जलबेडा रोड पर दूसरे दिन की भागवत कथा में योगेश गुप्ता, चरणजीत मौहडी ने रेणुका से पहुंचे महामण्डलेश्वर दयानंद भारती का पुष्प माला से स्वागत किया। गुरुदेव ने कहा कि परमबह्म पहले शक्ति रूप प्रकृति है, तत्पश्चात पुरुष है। मां पराम्बा की जीवंत अभिव्यक्ति है नारी। हमारी भारतीय संस्कृति में स्त्री को आद्यशक्ति स्वरूपा माना गया है। सृष्टि के प्रारंभ में शक्ति का प्राकट्य हुआ। आद्याशक्ति मां सुक्ष्म जीव से लेकर ब्रह्म तक की जननी है। माना जाए तो सकल संसार की पहली गुरु आद्याशक्ति स्वरूप प्रकृति ही है। इसलिए उसके बिना सृष्टि के निर्माण की कल्पना नहीं कि जा सकती। इस सृष्टि में जो कुछ भी है उन सबका मूल मां पराम्बा ही है। वही लक्ष्मी, दुर्गा, सरस्वती, पार्वती, रमा, ब्राह्मणी, रूद्राणी और नवदुर्गा के रूप में विराजमान है। परमसत्ता की सृजन शक्ति वही तो है। महामण्डलेश्वर ने कहा कि पराम्बा मां केवल सिर हिलाने से नहीं मिलती उसे पाने के लिए आत्ममंथन की आवश्यकता है। इसलिए सभी प्रपंचों का त्याग कर केवल शुद्ध मन से शक्ति की आराधना करनी चाहिए। मां दयालु है वह ममता की मूर्ति है। अपने भक्त के सभी अपराध क्षमा कर अपनी शरण मे आये हुए का कल्याण कर देती है। इस दौरान रमेश गुप्ता, दीपचंद गुप्ता, रजनीश जंडली, बृज भूषण गोयल, कपिल गोयल, पुरुषोत्तम मोडी, हरनेक मोहडी, हाकम सिंह, कर्म सिह, बनारसी दास, नरेन्द्र शर्मा, चौधरीराम अरोडा, नरेश धीमान ने महाराज से आशीर्वाद ग्रहण किया।