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78.46 करोड़ी अमरुत योजना में झोल, रिहायशी को छोड़ खेतों में डाली सीवरेज लाइन

रिहायशी क्षेत्र को छोड़कर खेतों में सीवरेज लाइन डाल दी गई। इस तरह एक-दो या 10 करोड़ नहीं बल्कि 78.46 करोड़ की अटल मिशन फार रेजुवेनशन एंड अर्बन ट्रांसफार्मेशन योजना (अमरुत) में जमकर गड़बड़झाला किया गया है। सब कुछ सामने होने के बावजूद अंबाला नगर निगम के अधिकारियों ने इस मामले पर पर्दा डाले रखा और ठेकेदार को पूरा भुगतान भी कर दिया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 06:17 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 06:17 PM (IST)
78.46 करोड़ी अमरुत योजना में झोल, रिहायशी को छोड़ खेतों में डाली सीवरेज लाइन
78.46 करोड़ी अमरुत योजना में झोल, रिहायशी को छोड़ खेतों में डाली सीवरेज लाइन

उमेश भार्गव, अंबाला शहर

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रिहायशी क्षेत्र को छोड़कर खेतों में सीवरेज लाइन डाल दी गई। इस तरह एक-दो या 10 करोड़ नहीं बल्कि 78.46 करोड़ की अटल मिशन फार रेजुवेनशन एंड अर्बन ट्रांसफार्मेशन योजना (अमरुत) में जमकर गड़बड़झाला किया गया है। सब कुछ सामने होने के बावजूद अंबाला नगर निगम के अधिकारियों ने इस मामले पर पर्दा डाले रखा और ठेकेदार को पूरा भुगतान भी कर दिया।

अंबाला शहर के मंडोर इलाके में करीब 22 एकड़ कृषि योग्य भूमि में सीवरेज लाइन डाली गई। इसी तरह जड़ौत रोड, सुल्तानपुर बाहरी क्षेत्र सहित नारायणगढ़ रोड पर ही स्थित कालोनियों और कुछ अवैध कालोनियों में अमरुत योजना के तहत सीवरेज लाइन को डाल दिया गया। हैरानी की बात यह है कि इन अवैध कालोनियों में सीवरेज डालने की न तो स्थानीय निकाय से अनुमति मिली थी न ही इसकी कोई ड्राइंग बनाई गई।

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क्या है पूरा मामला

दरअसल, वर्ष 2016-17 में अंबाला शहर में पुराने सीवरेज को बदलकर नया सीवरेज डालने और नई पेयजल लाइन डालने के अलावा कुछ रिहायशी कालोनियों में अमरुत योजना के तहत सीवरेज लाइन का कार्य करीब 78.46 करोड़ की लागत से पास हुए थे। हालांकि बाद में करीब 15 करोड़ रुपये बढ़ा दिया गया था। इस योजना में बलदेव नगर, पुराना शहर का ज्यादातर रिहायशी क्षेत्र व अन्य कालोनियां शामिल की गई। योजना के तहत शहर में करीब 22 साल पहले डाली गई सीमेंटेड लाइनों को बदलना था। साथ ही अन्य क्षेत्रों में सीवरेज नए सिरे से भी डालना था। इसके लिए बकायदा नक्शा तैयार किया गया था, लेकिन पास हुए नक्शे की बजाए नगर निगम के अधिकारी और ठेकेदारों ने कृषि योग्य भूमि, अवैध कालोनियों में जैसे मंडौर स्थित जग्गी गार्डन फेस वन, मंडौर में पार्क के सामने, मंडौर में गूगा माडी के पास कृषि योग्य भूमि व, काकरू, जड़ौत रोड, सुल्तानपुर की अवैध कालोनियों व कृषि वाली भूमि में सीवरेज डाल दिए और जहां आबादी रह रही है उन वैध कालोनियों को छोड़ दिया गया।

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योजनाबद्ध तरीके से किया गड़बड़झाला

पूरा गड़बड़झाला योजनाबद्ध तरीके से किया गया। 2018 मई में नगर निगम सदन का कार्यकाल खत्म हो गया था। इसके बाद वर्ष 2019 और वर्ष 2020 में अवैध रूप से अमरुत योजना के तहत पास हुए सीवरेज लाइन को कृषि योग्य भूमि और अवैध कालोनियों में डाल दिया। क्योंकि न तो कोई पार्षद था न ही निगम में कोई बोलने वाला जो इस मामले का विरोध करता।

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क्यों डाली गई अवैध कालोनियों में सीवरेज लाइन

दरअसल इससे सीधे तौर पर भू-माफिया को लाभ होगा। जिस कृषि योग्य भूमि में यह सीवरेज लाइन डाली गई हैं वहां पर कुछ क्षेत्र में खेती हो रही है जबकि शेष भूमि खाली पड़ी है यह जमीन भू-माफियों की है। सीवरेज लाइन डालने से इन क्षेत्र के दाम में सीधे तौर पर इजाफा हो गया है। वहीं खाली जमीन में सीवरेज डालने पर ठेकेदार का खर्चा भी आधा हो गया। न तो उसे सड़कें उखाड़नी पड़ी न इन एरिया में सीवरेज डालने के लिए कंकरीट का बेस बनाया गया।

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मेरे संज्ञान में फिलहाल ऐसा मामला नहीं है। अमरुत के तहत जो भी काम हुआ है वह मेरे कार्यकाल से पहले हो गया था। फिर भी इस मामले में मौके पर जाकर जांच कर ली जाएगी।

महिपाल, चीफ इंजीनियर, नगर निगम।

------------------- चीफ इंजीनियर यह कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकते कि मेरे कार्यकाल से पहले का मामला है। यदि कृषि योग्य भूमि में बिना प्लान के सीवरेज डाल दिए गए तो वास्तव में यह बड़ा घोटाला है। चाहे किसी के समय में यह भ्रष्टाचार हुआ हो इसे सदन बर्दाश्त नहीं करेगा। निश्चित तौर पर इसकी जांच करवाई जाएगी।

शक्तिरानी शर्मा, मेयर अंबाला।

---------------- मैं इस बारे में नगर निगम आयुक्त से कई बार मिल चुका हूं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही। बिना नक्शे के खेतों में सीवरेज डाल दिए और वैध कालोनियां जहां सैकड़ों परिवार रह रहे हैं उन्हें छोड़ दिया गया। निगम अधिकारियों की मिलीभगत के बिना यह नहीं हो सकता।

मनीष आनंद (मन्नी), पार्षद वार्ड-3।


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