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नोटबंदी में फ्रॉड पर उलझे रिजर्व बैंक और स्टेट बैंक

एसबीआइ ने जमा कराए 390 करोड़ 1180 नोट ऐसे जो एक ही तरह से कटे मिले। एसबीआइ ने फ्रॉड से किया इनकार तो आरबीआइ ने दर्ज कराई आपत्ति मामला दर्ज करने के आदेश। एसबीआइ के सात कर्मचारियों से हुई 7.09 लाख रुपये की रिकवरी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Sep 2019 07:35 AM (IST)Updated: Mon, 02 Sep 2019 07:35 AM (IST)
नोटबंदी में फ्रॉड पर उलझे रिजर्व बैंक और स्टेट बैंक
नोटबंदी में फ्रॉड पर उलझे रिजर्व बैंक और स्टेट बैंक

दीपक बहल, अंबाला शहर: नोटबंदी के ऐतिहासिक फैसले में अंबाला शहर स्थित स्टेट बैंक आफ इंडिया (एसबीआइ) की शाखा में फ्रॉड हो गया। कुल 390 करोड़ रुपये एसबीआइ ने रिजर्व बैंक आफ इंडिया (आरबीआई) में जमा करवाए, तो एक ही तरफ से 1180 नोट कटे होने के कारण आरबीआइ ने इसे फ्रॉड की नजर से देखा। बैंक के करीब 6 कर्मी जिनमें कैशियर और अकाउंटेंट शामिल हैं, उनसे पूछताछ की लेकिन आरबीआइ संतुष्ट नहीं हुआ। इन कर्मियों से 7.09 लाख रुपये की रिकवरी की गई। इसके बावजूद आरबीआइ ने फ्रॉड का मामला दर्ज करने के आदेश दिए।

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एसबीआइ के मैनेजर इंद्र नारंग ने 26 नवंबर 2018 को एसपी से गबन का मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की थी। पुलिस की लंबी तफ्तीश के बाद शनिवार रात पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। हालांकि, जांच में शामिल हो चुके बैंक कर्मियों ने अपने पक्ष में यही कहा कि उपभोक्ताओं ने जमा करवाए थे, जो बदलकर दूसरे दिए गए हैं। इन नोटों में 1000 रुपये के 238 तथा 500 रुपये के 942 नोट शामिल हैं। अब पुलिस बैंक से रिकॉर्ड लेकर कैशियर और अकाउंटेंट को जांच में शामिल कर रही है। आरबीआइ ने जांच की तो सन 2010 तक के निकाल दिए फटे नोट

नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद लोगों ने 500 और 1000 रुपये के नोट बैंकों में जमा करवा दिए। इस दौरान शहर की एसबीआइ कोर्ट रोड स्थित बैंक व करंसी चेस्ट में सारा रुपया पहुंचा। छावनी और शहर की करीब एक दर्जन शाखाओं में पहुंचे 500 और 1000 रुपये के नोटों को शहर एसबीआइ शाखा में भेज दिया गया। इन नोटों को जब आरबीआइ में भेजा गया, तो इन में से 1180 नोट अलग से निकाल दिए गए। आरबीआइ ने कहा कि यह नोट एक ही तरह से कटे हैं, जिससे आशंका है कि फ्रॉड हुआ है। आरबीआई ने इन नोटों को बैंक को वापस दे दिया और जांच कर रिपोर्ट मांगी। एसबीआई ने अपनी दलीलों में कहा कि आरबीआई की गाइडलाइन के मुताबकि करीब 80 सेंटीमीटर नोट सही है, तो उनको बदल दिया जाता है ताकि उपभोक्ता परेशान न हो। इस पर आरबीआई ने कहा कि एक ही तरह से नोटों का कटा होना संदेह पैदा करता है, इसलिए एफआईआर दर्ज करवाने के आदेश दिए। यह मामला प्रकाश में आने के बाद आरबीआईने जांच ने सन 2010 के 1180 नोट भी इस में शामिल किए गए। हालांकि अधिक 500 और 1000 के नोट नोटबंदी में ही जमा हुए हैं। जांच में शामिल किया जाएगा : एसएचओ

शहर कोतवाली थाना के प्रभारी राजेश कुमार ने बताया कि शनिवार को मामला दर्ज किया है। इस मामले में कानून के विशेषज्ञों की राय भी ली गई। बैंक मैनेजर ने अपनी शिकायत में किसी का नाम नहीं लिखा। सन 2010 से 2016 के बीच जो कैशियर और अकाउंटेंट रहे उनको जांच में शामिल किया जाएगा।


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