आरटीए की मूवमेंट लीक होने का मामला नया नहीं, 2016 में भी चलता था खेल
एडीसी प्रीति की गाड़ी की मूवमेंट लीक होने के मामले में भले ही पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया है लेकिन अभी बड़े ट्रांसपोर्टर इस मामले में अंडरग्राउंड हैं।
संवाद सहयोगी, नारायणगढ़ : एडीसी प्रीति की गाड़ी की मूवमेंट लीक होने के मामले में भले ही पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया है, लेकिन अभी बड़े ट्रांसपोर्टर इस मामले में अंडरग्राउंड हैं। आरोपित राजीव ने पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए अदालत में जमानत याचिका दायर कर दी है, जिसकी सुनवाई वीरवार को होगी। पुलिस जमानत न हो, इस पर कोर्ट में अपनी दलील देगी, ताकि राजीव के माध्यम से वह इस मामले में फरार अन्य लोगों को गिरफ्तार कर सके। साइबर सेल की मदद से पुलिस इस पूरे गिरोह का पर्दाफाश करने में जुटी हुई है।
आरटीए की मूवमेंट लीक होना, अंबाला में नया नहीं है। वर्ष 2016 में भी आरटीए की मूवमेंट लीक होती थी, जिसमें विभाग का भी एक कर्मचारी शामिल था। हालांकि अभी तक की जांच में आइएएस की मूवमेंट लीक करने में विभाग के किसी कर्मचारी का नाम सामने नहीं आया है। कॉल डिटेल या फिर साइबर सेल की जांच में यदि कोई विभाग का कर्मी भी लिप्त पाया जाता है तो उसकी गिरफ्तारी से भी इनकार नहीं किया जा सकता। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 में आरटीए कार्यालय के एक कर्मचारी की ट्रांसपोर्टरों के साथ सेटिग हुई थी। कार्यालय से जब भी कोई अधिकारी वाहनों की चेकिग के लिए निकलता तो उससे पहले ही सेवादार ट्रांसपोर्टरों को फोन कर सूचना दे देता। इसके साथ ही वह कार्यालय की अन्य कई सरकारी सूचनाएं भी लीक करता रहा। अब एडीसी-कम-आरटीए प्रीति के मामले में भी ऐसा ही हुआ है।
नारायणगढ़ में चेकिग करते हुए बीते दिनों उनकी कार को आरोपितों ने टक्कर मार दी थी। पुलिस ने एडीसी की शिकायत पर मामला दर्ज करके जांच शुरू की थी। इस में बताया गया था कि कालका चौक से निकलते ही सूचना लीक हो गई थी। इसके बाद पुलिस ने पांच आरोपितों को गिरफ्तार किया है, जिनके पास से बरामद मोबाइल में ऑडियो संदेश मिले हैं। इस ऑडियो संदेश में य शातिर ओवरलोड खनन वाहन चालकों को आगाह करते थे कि अधिकारी किस रूट पर हैं और चेकिग कर रहे हैं।