अंबाला रेल मंडल में पटरी चोरी, 105 दिन बाद हुआ केस दर्ज
अंबाला रेल मंडल में नवंबर में पटरी चोरी हुई थी। दैनिक जागरण की मुहिम के बाद आरपीएफ के महानिदेशक के आदेश पर चोरी की अब जांच होगी।
अंबाला [दीपक बहल]। रेल पटरी चोरी मामले में आखिरकार विभाग की नींद खुल गई और करीब 105 दिन बाद राजपुरा पोस्ट में केस दर्ज कर लिया गया। इससे पहले अंबाला रेल मंडल स्तर तक तो मामला दबा ही दिया गया था, लेकिन आरपीएफ के महानिदेशक धमेंद्र कुमार ने इसे गंभीरता से लिया। साथ ही चोरी की घटना को छिपाने पर भी चौकी प्रभारी समेत मंडल के अफसरों से जवाब तलब किया है। यह सबकुछ दिल्ली में चार दिन पहले सौंपी रिपोर्ट के बाद हुआ है।
सूत्रों का कहना है कि इस प्रकरण में इंजीनियरिंग विंग व आरपीएफ अधिकारी अपने बुने जाल में फंस गए। इंजीनियरिंग विंग ने पटरी चोरी की लिखित शिकायत की। आरपीएफ ने पूरे स्टॉक की गिनती करने की धमकी दी तो घटना के छह दिन बाद 25 नवंबर को दूसरी शिकायत देकर चोरी की वारदात को छिपा लिया गया। मगर आरपीएफ ने रोजनामचे में एंट्री कर घटना का सबूत छोड़ दिया।
आरपीएफ अधिकारी ने भी मौके का दौरा कर अपने बॉस को सच से अवगत करवाया था, लेकिन केस दर्ज नहीं किया। चोरी की घटना को छिपाने पर अधिकारियों की पूरी शह रही जो अब विभागीय जांच में नपेंगे। 20 टन कबाड़ पटरी की कीमत करीब 5 लाख रुपये है, जबकि नई पटरी की कीमत इससे कई गुना अधिक है।
नवंबर 2017 का है मामला
19 नवंबर 2017 को पंजाब के राजपुरा में सराय बंजारा स्टेशन के पास से करीब 20 टन पटरियां चोरी हो गई। मामला रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) पोस्ट अंबाला व मंडल तक पहुंचा लेकिन चोरी का आंकड़ा बढ़ता देख वारदात को छिपा लिया गया। दैनिक जागरण ने मामले का पर्दाफाश किया तो उत्तर रेलवे के डिप्टी चीफ सिक्योरिटी कमिश्नर (आरपीएफ) महेंद्र सिंह ने दो बार मौका का मुआयना कर कर्मचारियों व अफसरों से पूछताछ की।
जांच में उन्होंने पाया कि उत्तर रेलवे के मुख्यालय बड़ौदा हाउस को अंबाला मंडल के अफसरों ने भी अंधेरे में रखा। चार दिन पहले जांच अधिकारी ने रिपोर्ट दी जिसके आधार पर रेल संपति चोरी का केस दर्ज कर चंडीगढ़ पोस्ट कमांडर को चोरी की जांच सौंपी है। हालांकि चोरी की घटना को छिपाने की जांच महेंद्र सिंह कर रहे हैं।
डीआरएम की जांच कमेटी कर गई खेल, दिल्ली ने मांगी जांच रिपोर्ट
मामले की जांच के लिए डीआरएम दिनेश चंद्र शर्मा ने मंडल स्तर पर तीन अफसरों की जांच कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने राजपुरा सेक्शन में स्टॉक की फिजिकल जांच की बजाय रिकॉर्ड में कितना सामान आया और कितना पड़ा है, उसकी रिपोर्ट तैयार कर दी। साथ ही रिपोर्ट में स्टॉक पूरा होने की बात लिखकर मामला रफा-दफा करने का प्रयास किया। डिप्टी चीफ सिक्योरिटी कमिश्नर ने जांच रिपोर्ट की प्रतिलिपि मांगी है।
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