छावनी की नई अनाज मंडी में गेहूं खरीद की तैयारी आधी-अधूरी
आज से जिले की अनाज मंडियों में गेहूं की खरीद शुरू हो जाएगी। इसके लिए सरकार ने स्थानीय प्रशासन को व्यवस्था दुरुस्त रखने के निर्देश दिए हैं। खरीद को लेकर मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर किसानों ने ऑनलाइन पंजीकरण कराते हुए मंडी में खरीद एजेंसियों से संपर्क करना शुरू कर दिया है।
जागरण संवाददाता, अंबाला : आज से जिले की अनाज मंडियों में गेहूं की खरीद शुरू हो जाएगी। इसके लिए सरकार ने स्थानीय प्रशासन को व्यवस्था दुरुस्त रखने के निर्देश दिए हैं। खरीद को लेकर मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर किसानों ने ऑनलाइन पंजीकरण कराते हुए मंडी में खरीद एजेंसियों से संपर्क करना शुरू कर दिया है। मंडी में साफ-सफाई से लेकर अन्य सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं, लेकिन फसल रखने के लिए यहां बोरियां नहीं हैं।
किसानों की मानें तो फसल पककर तैयार होने में एक सप्ताह से अधिक का समय लग सकता है। अगर मौसम ने अपना मिजाज बदला तो खेत से मंडी तक फसल लाने में कम से कम 15 दिन का समय लगेगा। ऐसे में मंडी परिसर में फसलों को साफ करने वाली मशीनों की मरम्मत कर ली गई है।
------------- छावनी मंडी में हैफेड करेगी खरीद
छावनी की नई अनाज मंडी में हैफेड किसानों से गेहूं की खरीद करेगी। हैफेड के प्रतिनिधियों ने आढ़तियों के साथ बैठक करके तैयारी मुकम्मल करने का दावा किया है। मौसम परिवर्तन की आशंका को देखते हुए तिरपाल व अन्य सुरक्षा के प्रबंध किए जा रहे हैं, जिससे अचानक बारिश होने पर फसलों को नुकसान से बचाया जा सके।
--------------- मोबाइल एप से भी रजिस्ट्रेशन की सुविधा
सरकार ने मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीकरण के लिए मोबाइल एप तैयार किया है। इसे किसान अपने स्मार्ट मोबाइल फोन में डाउनलोड कर सकते हैं। इसमें किसान अपनी फसल और खेत के बारे में जानकारी दर्ज करके रजिस्ट्रेशन कराएंगे। रजिस्ट्रेशन के बाद उसे फसल लेकर मंडी में पहुंचने की तिथि और समय के बारे में बताया जाएगा।
---------------
फोटो 22 :
आढ़तियों के साथ किसान हैं। ज्यादातर किसान खरीद के बाद भुगतान आढ़ती के खाते में करने की बात कर रहे हैं, लेकिन मार्केट कमेटी अथवा खरीद एजेंसी हैफेड के प्रतिनिधियों ने इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं होने की बात कही है।
- रविदर शर्मा।
------------------- फोटो 23 :
जब किसान चाहते हैं कि उसका आढ़ती के साथ पहले की तरह लेनदेन बना रहे तो इसमें नियम का अड़ंगा डालकर ऐसी व्यवस्था बना दी गई है कि अब फसल का भुगतान सीधे किसानों के खाते में जाएगा। जबकि बहुत से किसान जरूरत पड़ने पर आढ़तियों से रुपये लेते हैं।
- आरडी गुप्ता।