पुलिस, प्रोबेशनर और प्रशिक्षु ने थामे स्टीय¨रग, 10 कर्मी हड़ताल छोड़ लौटे
शनिवार को भी रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल और सरकार के रवैये के बीच जनता पिसती रही। विशेषकर प्रदेश के आंतरिक भागों में लंबे रूट की बसों का अकाल पड़ा रहा।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : शनिवार को भी रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल और सरकार के रवैये के बीच जनता पिसती रही। विशेषकर प्रदेश के आंतरिक भागों में लंबे रूट की बसों का अकाल पड़ा रहा।
रोडवेज प्रशासन के लिए राहत की खबर यह थी कि 10 कर्मचारी हड़ताल छोड़ काम पर लौट आए थे। हड़ताल के दौरान यात्रियों के आवागमन का विकल्प बनी स्कूल बसों पर शनिवार को स्कूल खुले रहने का असर देखने को मिला। शुक्रवार की 44 के मुकाबले करीब 30 बसें ही चल पाई। इसके अलावा परिवहन बेड़े से करीब 30 बसों को विभिन्न रूट पर उतारा गया। इन बसों के स्टीय¨रग हड़ताल से लौटे चालकों के अलावा पुलिस कर्मियों, रोडवेज के प्रोबेशनर और प्रशिक्षु ड्राइवरों ने थामे हुए थे। बेशक रोडवेज प्रशासन ने राहत देने की कोशिश की थी, लेकिन इसके साथ ही जनता की जान जोखिम में भी डाल दी थी। जो प्रोबेश्नर और प्रशिक्षु चालक हड़ताल से पहले शहर के हुडा ग्राउंड में ड्राइ¨वग सीख रहे थे वह अब उन्हें सीधे रूटों पर उतार दिया गया था। रोडवेज डिपो पर कर्मचारियों ने अपना प्रदर्शन बदस्तूर जारी रखा। रोडवेज यूनियनों ने सीटीयू और पीआरटीसी से समर्थन का दावा किया है।
शनिवार को छावनी से 24 स्कूल बसें चलाई गई। इसके अलावा छह बसें शहर बस अड्डा से अंबाला-जगौली, अंबाला-निहारसी, अंबाला-नन्योला आदि रूटों पर चलाई गई थी। परिवहन की जो 30 बसें चलाई गई। इनमें से 10 बसें हड़ताल से लौटे कर्मचारी हर¨जद्र ¨सह, जितेंद्र, मनोज कुमार, रण ¨सह, बल¨वद्र ¨सह, हर¨जद्र ¨सह व बलकार ¨सह आदि ने चलाया। चार पुलिसकर्मियों, चार अनुबंधित प्रशिक्षुओं और शेष प्रोबेशनरों ने बसें चलाई। परिवहन बेड़े की इन बसों में चार जालंधर, एक लुधियाना, दो ब्यास, दो पिपली, एक कैथल सहित ¨पजौर, यमुनानगर आदि रूटों पर चली। इन बसों के साथ विभाग के इंस्पेक्टरों को भेजा गया। हालांकि डिपो से दिल्ली के लिए अभी तक बसें नहीं चल पा रही हैं।
प्रशिक्षु और प्रोबेशनर के हाथों में बस देना जनता से खिलवाड़
- हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन संबंधित सर्व कर्मचारी संघ के प्रदेश प्रधान इंद्र ¨सह बधाना के मुताबिक प्रशिक्षु व प्रोबेशनर के हाथों में स्टीय¨रग थमाना गैर संवैधानिक और जनता की जान से खिलवाड़ है। बधाना ने बताया कि उनके आंदोलन को चंडीगढ़ की सीटीयू और पंजाब की पन बस यूनियनों से भी समर्थन मिला है। अगर सरकार ने दो दिनों में कोई हल नहीं निकाला तो यह बसें भी प्रदेश में प्रवेश नहीं करेंगी।