प्रदेश के 119 ब्लाक में से सिर्फ 22 ब्लाक ही सक्षम बने
प्रदेश में 119 में से 22 ब्लॉक चुने गए हैं। जिनमें अंबाला वन और साहा ब्लॉक चुने गए हैं।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर
इस बार सक्षम में जिला का दो ब्लॉक ने नाम उंचा कर दिया। प्रदेश में 119 में से 22 ब्लॉक चुने गए हैं। जिनमें अंबाला वन और साहा ब्लॉक चुने गए हैं। जो पूरी तरह सक्षम बने हैं। जबकि ब्लॉक वन में क्षेत्र और विद्याíथयों की संख्या में मुताबिक बड़े भी हैं। इनमें तीसरी से आठवीं कक्षा के बीस विषयों की परीक्षाएं हुई, जिनमें अस्सी फीसद बच्चों ने पचास से अधिक अंक प्राप्त किए हैं। जिले के अन्य ब्लॉक ने भी पहले से मेहनत की है। जबकि सितंबर 2019 में प्रदेश में जिला के किसी ब्लॉक का नाम सूची में नहीं था।
बता दें कि फरवरी 2020 में सक्षम की परीक्षा हुई थी। इसमें प्रदेश के 119 ब्लाक ने हिस्सा लिया था। कक्षा 3 से 8 यानि 6 कक्षाओं के बच्चों ने भाग लिया था। इसमें तीसरी कक्षा की हिदी, गणित, चौथी-पांचवीं में हिदी, गणित और इनवायरमेंट साइंस, छठीं से आठवीं तक में चार विषयों की हिदी, गणित, साइंस और सामाजिक की हुई थी। -इस तरह चुने जाते हैं सक्षम
सक्षम उसे बनाया जाता है। जब एक ब्लाक के अस्सी फीसद से अधिक बच्चे पचास प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करते हैं। तो उस ब्लाक को सक्षम बनाया जाता है। इसका परिणाम स्कूल स्तर पर नहीं, बल्कि खंड स्तर का ही परिणाम रहता है। ब्लॉक वाइज इस तरह से रहा सक्षम
शहर ब्लॉक वन और साहा में छह कक्षाएं सक्षम, शहजादपुर में छह में से पांच कक्षाएं सक्षम, नारायणगढ़ में छह में से चार कक्षाएं सक्षम, अंबाला टू में छह में से तीन कक्षाएं सक्षम और बराड़ा में छह में से दो कक्षाएं सक्षम बनी हैं।
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विधायक ने दी बधाई
विधायक असीम गोयल ने जिला शिक्षा सदन पहुंच कर जिला शिक्षा अधिकारी सुरेश कुमार और डिप्टी डीईओ सुधीर कालड़ा को सक्षम परीक्षा परिणाम पर बधाई दी। शहर विधानसभा क्षेत्र के सभी सरपंचों को आह्वान किया कि वे लॉकडाउन के दौरान अपने गांव के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न होने दें। अपने गांव के बच्चों को उनके अध्यापकों के वाट्सएप ग्रुपों में शामिल करवाएं। सरकार की ओर से विशेष रूप से स्कूली शिक्षा पर संचालित चार एजुसेट चैनल्स को टीवी पर देखने और आपस में किताबों का परस्पर आदान प्रदान करने के लिए प्रेरित करें।
-छात्रों ने की मेहनत
डिप्टी डीईओ सुधीर कालड़ा ने कहा कि इस बार सक्षम घोषणा के बेहतर परिणामों के पीछे छात्रों और शिक्षकों की अथक मेहनत तो है ही पर मुख्य कारण डीसी, एडीसी व संबंधित उपमंडल अधिकारियों की ओर से सभी शिक्षाधिकारियों, स्कूल मुखियों व अध्यापकों को बैठकों के जरिए निरंतर प्रेरित कर उनका मनोबल बढ़ाया जाना रहा। मुख्यमंत्री सुशासन सहयोगी, कैवल्य फाउंडेशन व डाइट फैक्लटी से अध्यापकों को लगातार योग्य परामर्श मिलता रहा। अध्यापकों, एबीआरसी और बीआरपी के पद भरे जाने से भी लाभ मिला।