देसी पेड़ ही बचाएंगे देश की हरियाली
आने वाली पीढि़यां कहीं देसी वृक्षों को न भूल जाये और लोकल पेड़ इतिहास न बन जाएं। इसलिए इन्हें बचाने का जिम्मा संभाल रहा है मंथन सामाजिक चेतना संगठन।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर
आने वाली पीढि़यां कहीं देसी वृक्षों को न भूल जाये और लोकल पेड़ इतिहास न बन जाएं। इसलिए इन्हें बचाने का जिम्मा संभाल रहा है मंथन सामाजिक चेतना संगठन। यह संगठन दूसरे देशों की सुंदर या दिखावे तक सीमित नस्लों के पौधे नहीं, बल्कि देसी पौधों को बचाने के साथ-साथ और बढ़ा रहा है। इनके साथ-साथ औषधि वाले पौधे भी लगा रहा है। संस्था की माने तो देसी पेड़ गहरी छांव के साथ-साथ फलदार भी हैं, जबकि बाहरी किस्मों के पेड़ महज सजावटी हैं।
मंथन सामाजिक चेतना संगठन के अभिनव गुप्त ने बताया कि उन्होंने 2018 में संस्था की शुरुआत की थी। इसमें सबसे पहले उन्होंने जन पुरुष के नाम से विख्यात रैमन मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित राजेंद्र सिंह को अंबाला में बुलाया था ताकि लोग जल और पर्यावरण के प्रति जागरूक हों। इसके बाद से पर्यावरण के प्रति सजग लोग जुड़ते भी चले गए। इस कारण पिछले दो सालों में एक हजार से अधिक पौधे लगा चुके हैं। इस सीजन में नई सब्जी मंडी में दो सौ पेड़ लगाये थे। उन्हें कई ओर संस्थायें भी सहारा लगाती हैं। उनकी संस्था में संरक्षक प्रेम अग्रवाल, अभिनव गुप्त, आशीष शर्मा, रविद्र सिंह, विकास शर्मा, पंकज कौशल, विनय भोला, चमन अग्रवाल हैं। प्रकाशोत्सव पर लगाये 550 पौधे
संस्था ने इस बार गुरु नानक देवजी का प्रकाशोत्सव कुछ अलग तरह से ही मनाया। इसमें संस्था के सदस्यों ने पहले से ही प्लानिग शुरू कर दी थी। इसमें गुरुनानक देवजी के 550वें प्रकाशोत्सव पर 550 ही पौधे लगाये गए। इससे प्रकाशोत्सव यादगार भी रहेगा और जिले में हरियाली भी बढ़ेगी। इन पौधों को लगाया जाता है
संस्था की ओर से नीम, बड़, पीपल, पिलखन, विल, जामुन, महुआ, सेमल, आंवला, चंदन, कदम्ब, रुद्राक्ष, ढाक, गुलहर, शमी, अमलताश, गुलमोहर, आम, कीकर के पौधे लगाये जाते हैं। इसके साथ ही औषधीय पौधों में अश्वगंधा, धृतकुमारी, गिलोय, नागफनी, गुडहल, चंपा, मोगरा लगाया जाता है। जिम्मेदारी तय के बाद ही लगाते हैं पौधे
संस्था के अभिनव गुप्त ने बताया कि वह उन्हीं जगहों पर पौधे लगाने को प्राथमिकता देते हैं, जहां पौधों की जिम्मेदारी लेने वाला होता है। पौधे लगाने से पहले जिम्मेदारी तय करते हैं, जो पौधे लगाये जाने के बाद संभाल करे। इस कारण अब लोग खुद उन्हें पौधे लगाने के लिये आमंत्रित करते हैं। उन्होंने बताया इन्हीं प्रयासों से पहले लगे हुये पौधे उभर चुके हैं। संस्था बच्चों के जन्म दिन, वर्षगांठ पर पौधे लगाकर मनाने के लिये प्रेरित करती है। इसके साथ ही बच्चों को पेड़ों की पहचान और नामों से अवगत कराया जाता है ताकि बच्चों का पेड़ों के प्रति मोह बढ़े।