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वंदे भारत एक्सप्रेस को लेकर अब रेलवे में इस बात पर खींचतान, दो विभागों के विवाद में ए‍क ने मारी बाजी

वंदे भारत एक्‍सप्रेस ट्रेन को लेकर रेलवे में नई खींचतान मच गई। ट्रेन की मरम्मत को लेकर दो विभागों में ठन गई। अब इस मामले में इलेक्ट्रिक विभाग की शक्तियां बढ़ा दी गई हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 25 Jul 2019 01:57 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jul 2019 01:57 PM (IST)
वंदे भारत एक्सप्रेस को लेकर अब रेलवे में इस बात पर खींचतान, दो विभागों के विवाद में ए‍क ने मारी बाजी
वंदे भारत एक्सप्रेस को लेकर अब रेलवे में इस बात पर खींचतान, दो विभागों के विवाद में ए‍क ने मारी बाजी

अंबाला, [दीपक बहल]। देश की महत्वाकांक्षी पहली सेमी हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस और ईएमयू को लेकर प्रभुत्व की लड़ाई में फिर इलेक्ट्रिक विभाग की शक्तियां बढ़ा दी गई हैं। पहले जहां इन ट्रेनों की मरम्मत का काम मेकेनिकल विभाग के इंजीनियर के जिम्मे था, अब इलेक्ट्रिकल विभाग को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है। इतना ही नहीं आरडीएसओ (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गेनाइजेशन) लखनऊ और इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आइसीएफ) चेन्नई में भी जिम्मेदारियों को लेकर बदलाव किया जा रहा है। यहां पर भी मेकेनिकल की जगह इलेक्ट्रिकल विभाग रुतबा बढ़ा दिया है।

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इलेक्ट्रिकल व मेकेनिकल इंजीनियर्स विभाग में अफसरशाही की जिम्मेदारियों को लेकर फिर किया बदलाव

फिलहाल वंदे भारत एक्सप्रेस की मरम्मत का काम शकूरबस्ती में किया जा रहा है, जबकि इलेक्ट्रिकल विभाग चाहेगा कि इस ट्रेन की मरम्मत का काम गाजियाबाद शेड में ही किया जाए। बता दें कि भारतीय रेल में प्रभुत्व के लिए अधिकारियों में खींतचान बढ़ गई थी। देशभर में दौड़ रही ईएमयू (इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट) और एमईएमयू (मेन लाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट) के कार शेड मेकेनिकल इंजीनियर्स के हवाले कर दिए गए थे। शताब्दी, राजधानी, सुपरफास्ट और एक्सप्रेस ट्रेनों में लाइट, पंखे और एसी की मरम्मत का काम मेकेनिकल इंजीनियर्स के अधीन कर दिया था।

वंदे भारत व ईएमयू की मरम्मत अब इलेक्ट्रिकल विभाग के जिम्मे, पहले मेकेनिकल इंजीनियरों के थी हवाले

इलेक्ट्रिकल विभाग का तर्क था कि 25 हजार वोल्ट से ईएमयू, एमईएमयू दौड़ती हैं, यदि इनका संचालन में कोताही बरती गई तो हादसा हो सकता है। दोनों विभाग में खींचतान इतनी बढ़ गई है कि इलेक्ट्रिकल विभाग के अधिकारी बचाव में आ गए और कागजी जंग आरंभ हो गई। इलेक्ट्रिकल के एचओडी मेकेनिकल विभाग के बना दिए गए। यहां तक कि रेलवे बोर्ड ने 3 अगस्त 2016 को इलेक्ट्रिकल की रिपोर्टिंग मेकेनिकल विभाग के आला अधिकारियों के अधीन कर दी थी।

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ऐसे हालात में दक्षिण-पूर्व रेलवे के प्रधान मुख्य विद्युत अभियंता गौतम बनर्जी ने रेलवे के मेंबर इलेक्ट्रिकल को दो पेज का पत्र लिख इलेक्ट्रिकल विभाग की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां मेकेनिकल विभाग को देने का विरोध किया था। इसे इलेक्ट्रिकल रूल्स 1956 का उल्लंघन भी बताया और दिल्ली के उपहार सिनेमा कांड का भी जिक्र किया था, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी।

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उस समय रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी इंडियन रेलवे सर्विस आफ मेकेनिकल इंजीनियर्स (आइआरएसएमइ) कैडर के अधिकारी थे, इसलिए चर्चाएं थीं कि इसी वजह से मेकेनिकल इंजीनियर्स को अधिक दायित्व सौंपे जा रहे हैं। लोहानी के रिटायर होने के बाद इंडियन रेलवे सर्विस और इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स (आइआरएसइइ) के अधिकारी वीके यादव हैं। ऐसे में अप्रत्यक्ष तौर पर यही माना जा रहा है कि कैडर बदलते ही बदलाव भी होते हैं।

यहां हैं ईएमयू/एमईएमयू कार शेड

रेलवे में ईएमयू और एमईएमयू कार शेड की बात करें तो गाजियाबाद, सहारनपुर, कोलकाता, मद्रास, मुंबई, बड़ोदा आदि में है। यहां पर भले ही अभी इलेक्ट्रिकल विभाग के अधिकारी कामकाज संभाल रहे हैं लेकिन इनकी रिपोर्टिंग अब मेकेनिकल विभाग को कर दी गई है। रेलवे बोर्ड ने 18 जुलाई को मेकेनिकल व इलेक्ट्रिकल विभाग की जिम्मेदारियों को लेकर आदेश जारी किए थे। इन आदेशों में सन 2016 में जारी किए गए आदेशों का भी हवाला दिया गया।

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