सौर ऊर्जा की अनिवार्यता पर नहीं सख्ती, सब्सिडी से बढ़ाई जा रही दिलचस्पी
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : 30 किलोवाट से ऊपर की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा प्लांट लगाने की अनिवार्यता है। हालांकि ऐसा न करने वाले संस्थानों का कनेक्शन काटने की कार्रवाई नहीं की जा रही है। ऐसे में सौर उपकरणों पर सब्सिडी देकर लोगों की दिलचस्पी बढ़ाई जा रही है। जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : 30 किलोवाट से ऊपर की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा प्लांट लगाने की अनिवार्यता है। हालांकि ऐसा न करने वाले संस्थानों का कनेक्शन काटने की कार्रवाई नहीं की जा रही है। ऐसे में सौर उपकरणों पर सब्सिडी देकर लोगों की दिलचस्पी बढ़ाई जा रही है।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : 30 किलोवाट से ऊपर की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा प्लांट लगाने की अनिवार्यता है। हालांकि ऐसा न करने वाले संस्थानों का कनेक्शन काटने की कार्रवाई नहीं की जा रही है। ऐसे में सौर उपकरणों पर सब्सिडी देकर लोगों की दिलचस्पी बढ़ाई जा रही है।
कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा के विस्तार को लेकर किसानों को उपकरणों पर 75 फीसद तक सब्सिडी दी जा रही है। साल 2018-19 में छोटे किसानों को 69 सबमर्सिबल पंप दिए गए हैं। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग ने साल 2018-19 के लिए 694 किलोवाट के प्लांट स्वीकृत हुए हैं। जबकि साल 2017-18 में 1296 किलोवाट के प्लांट लगाए गए। ज्यादा ऊर्जा खपत वाले संस्थानों को रिझाने के लिए बनाई पुरस्कार योजना को लेकर दिलचस्पी कम है।
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इनके लिए अनिवार्य है सौर ऊर्जा प्लांट
हुडा और नगर निगम के 500 गज व उससे ज्यादा के आवासीय भवन, शिक्षण संस्थान, होटल, हॉस्टल, विश्वविद्यालय जिनका कने¨क्टग लोड 30 किलोवाट से अधिक है। इसके अलावा सरकारी दफ्तर एवं कार्यालय जिनका लोड 30 किलोवाट से अधिक है, इन्हें सौर ऊर्जा प्लांट लगाना अनिवार्य है लेकिन इस मामले में कोताही बरती जा रही है। यह है सौर ऊर्जा प्लांट की कीमत
1 से 10 किलोवाट तक के सौर ऊर्जा प्लांट की कीमत लगभग 75 हजार रुपये प्रति किलोवाट है। 11 से 50 किलोवाट के सौर ऊर्जा प्लांट की कीमत लगभग 62 हजार रुपये प्रति किलोवाट है। 51 या इससे अधिक किलोवाट क्षमता के प्लांट की कीमत लगभग 62 हजार रुपये प्रति किलोवाट है।
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प्रोत्साहन राशि को लेकर नहीं दिलचस्पी
बड़े उद्योगों को एक मेगावाट से ज्यादा खपत की श्रेणी में रखा गया है। छोटे उद्योगों को एक मेगावाट से कम खपत वाले उद्योगों सहित सरकारी व गैर सरकारी शिक्षण संस्थानों की एक श्रेणी है। जबकि 5 हजार यूनिट तक बिजली खर्च करने वाले व्यापारिक प्रतिष्ठानों की एक एक श्रेणी है। ऐसे संस्थानों के लिए 50 हजार से 5 लाख तक की पुरस्कार राशि मिलती है। लेकिन बिजली खपत का आडिट करवाने की अनिवार्य शर्त के चलते महकमे पीछे हट जाते हैं।
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नब्बे फीसद तक कम कर सकते हैं बिजली खर्च
नवीन एवं नवीकरण ऊर्जा विभाग के परियोजना अधिकारी अतुल मोहिल ने बताया कि सौर ऊर्जा प्लांट लगाकर 90 फीसद तक बिजली खर्च कम किया जा सकता है। ऐसे प्लांट की आयु 25 वर्ष तक सुनिश्चित की गई है। संस्थान द्वारा पैदा की गई अतिरिक्त बिजली पर 25 पैसे प्रति यूनिट के दर से प्रोत्साहन का भी प्रावधान है। छोटे सौर ऊर्जा सबमर्सिबल के लिए आगे भी आवेदन मांगें जाएंगे।